निराशा, अवसाद और पस्तहिम्मती छात्रों को आत्महत्या की तरफ धकेल रही है
सरकार में आने से पहले इन्होने वायदे किए थे कि ‘हर साल दो करोड़ नौकरी देंगे’, मगर फासीवादी मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद निजीकरण-उदारीकरण की नीतियों को जिस गति से लागू किया है, उसकी आज़ाद भारत के इतिहास में कोई मिसाल नहीं है। रेलवे के निजीकरण, ओएनजीसी के निजीकरण, एयर इण्डिया के निजीकरण, बीएसएनएल के निजीकरण, बैंक व बीमा क्षेत्र में देशी-विदेशी पूँजी को हर प्रकार के विनियमन से छुटकारा, पूंजीपतियों को श्रम कानूनों, पर्यावरणीय कानूनों व अन्य सभी विनियमनकारी औद्योगिक कानूनों से छुटकारा, मज़दूर वर्ग के संगठन के अधिकार को एक-एक करके छीनना लगातार जारी है। यह सारी नीतियाँ भी छात्रों- युवाओं में निराशा और अवसाद पैदा करने के लिए प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर उतने ही ज़िम्मेदार है।