ग़रीबों से जानलेवा वसूली और अमीरों को क़र्ज़ माफ़ी का तोहफ़ा
रहा है, वहीं दूसरी ओर क़र्ज़ दे-देकर दिवालिया हुए बैंकों को भाजपा सरकार “बेलआउट पैकेज” के नाम पर जनता से वसूली गयी टैक्स की राशि में से लाखों करोड़ रुपये देने की तैयारी कर रही है। इससे पहले भी सरकार “बेलआउट पैकेज” के नाम पर 88,000 करोड़ रुपये बैंकों को दे चुकी है। ये सारा पैसा मोदी ने चाय बेचकर नहीं कमाया है, जिसे वह अपने आकाओं को लुटा रहा है। ये मेहनतकश जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा है जिसे तरह-तरह के टैक्सों के रूप में हमसे वसूला जाता है। ये पैसा जनकल्याण के नाम पर वसूला जाता है, लेकिन असल में कल्याण इससे पूँजीपतियों का किया जा रहा है। इस पैसे से लोगों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस अच्छे अस्पताल बन सकते थे और निःशुल्क व अच्छे स्कूल-कॉलेज खुल सकते थे, लेकिन हो उल्टा रहा है। सरकार पैसे की कमी का रोना रोकर रही-सही सुविधाएँ भी छीन रही है।