मोदी की नोटबन्दी ने छीने लाखों मज़दूरों से रोज़गार
नरेन्द्र मोदी ने तो प्रत्येक वर्ष दो करोड़ लोगों को रोज़गार देने का वादा कर दिया। लेकिने ये दो करोड़ रोज़गार तो क्या पैदा होने थे, नोटबन्दी द्वारा लाखों मज़दूरों का रोज़गार छीन लिया गया। इस तरह नोटबन्दी से बेरोज़गारी की समस्या और अधिक भयानक बन गयी। वैसे तो नोटबन्दी के दौरान यह साफ़ दिख ही रहा था कि मज़दूरों की नौकरियाँ छिन रही हैं। ख़ासकर दिहाड़ी पर काम करने वाले या कच्चे मज़दूरों के रोज़गार छिनना सबके सामने था। लेकिन मोदी सरकार द्वारा नोटबन्दी के नुक़सानों को बेशर्मी से झुठलाया जा रहा था। मोदी सरकार की पोल इसके श्रम मन्त्रालय के लेबर ब्यूरो द्वारा जारी इस रिपोर्ट ने ही खोल दी है।