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(मज़दूर बिगुल के जनवरी 2021 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ़ फ़ाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-ख़बरों आदि को यूनिकोड फ़ॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
किसान-प्रश्न
मौजूदा किसान आन्दोलन और लाभकारी मूल्य का सवाल; कुछ बुनियादी बातें और कुछ ग़लत दावों का खण्डन / अभिनव
कोरोना महामारी और नाकारा मोदी सरकार
कोरोना वैक्सीन के नाम पर जारी है बेशर्म राजनीति; वैज्ञानिक उपलब्धि की वाहवाही लूटने की सनक में लोगों की ज़िन्दगी से खिलवाड़ / आनन्द
लॉकडाउन और सरकारी उपेक्षा का शिकार स्कीम वर्कर्स भी बनीं / वृषाली
डॉक्टरों-नर्सों पर फूल बरसाने की सरकारी नौटंकी, मगर अपना हक़ माँगने पर सुनवाई तक नहीं / गीतिका
सरकारी ढोल की पोल
मोदी सरकार की अय्याशी और भ्रष्टाचार का नया कीर्तिमान : सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट / अनुपम
कारख़ाना इलाक़ों से
विस्ट्रॉन आईफ़ोन प्लाण्ट हिंसा : अमानवीय हालात के ख़िलाफ़ मज़दूरों का विद्रोह! / अखिल
होण्डा मानेसर प्लाण्ट में परमानेंट मज़दूरों की वी.आर.एस. के नाम पर छँटनी का नोटिस जारी!
ग़रीबी / कुपोषण
भूख और कुपोषण के साये में जीता हिन्दुस्तान / अविनाश
ठेका-प्रथा / निजीकरण
उत्तर प्रदेश में रोडवेज़ कर्मचारी भी अब निजीकरण के ख़िलाफ़ आन्दोलन की राह पर
गतिविधि रिपोर्ट
प्रथम स्त्री शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस पर जातितोड़क भोजों का आयोजन
कला-साहित्य
कॉमरेड : एक कहानी / मक्सिम गोर्की
आपस की बात
किसान आन्दोलन के सन्दर्भ में मेरे गाँव के कुछ अनुभव / लालचन्द्र
बोलते आँकड़े चीख़ती सच्चाइयाँ
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन