Category Archives: कारख़ाना इलाक़ों से

कोरोना की आपदा : मालिकों के लिए मज़दूरों की लूट का अवसर

कोरोना काल को एक बार फिर अवसर में तब्दील करते हुए फासीवादी मोदी सरकार मज़दूरों की श्रम-शक्ति की लूट को तेज़ी से लागू कर रही है। कोरोना महामारी में सरकार की बदइन्तज़ामी की वजह से जब एक तरफ़ आम मेहनतकश आबादी दवा-इलाज़ की कमी और राशन की समस्या की दोहरी मार झेल रही है तब ऐसे वक्त में गोवा की सरकार ने मज़दूरों के काम के घण्टे बढ़ाकर उन पर एक और हमला किया है। कोविड-19 का हवाला देते हुए गोवा में भाजपा की सरकार ने मज़दूरों के काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 कर दिये हैं ताकि मालिकों के मुनाफ़े को बरकरार रखा जा सके।

मुम्बई : मेहनतकशों की ठण्डी हत्याओं की राजधानी

देश की आर्थिक राजधानी कहे जाना वाला मुम्बई शहर सही मायने में पूँजीवादी व्यवस्था द्वारा मुनाफ़े की हवस को बुझाने के लिए की जाने वाली आम मेहनतकशों की ठण्डी हत्याओं की भी राजधानी है। इन हत्याओं को अक्सर प्राकृतिक दुर्घटनाओं, हादसों आदि का नाम दे दिया जाता है और बहुत सफ़ाई से लूट और मुनाफ़े के लिए की जाने वाली इन हत्याओं पर प्रशासनिक लीपापोती कर दी जाती है।

बिना योजना थोपा गया लॉकडाउन और मज़दूरों के हालात

हमारा देश आज ज्वालामुखी के दहाने पर बैठा धधक रहा है। दूसरी तरफ़ हमारे देश का नीरो बाँसुरी बजा रहा है। कोरोना महामारी से बरपे इस क़हर ने पूँजीवादी स्वास्थ्य व्यवस्था के पोर-पोर को नंगा कर के रख दिया है। एक तरफ़ देश में लोग ऑक्सीजन, बेड, दवाइयों की कमी से मर रहे हैं, दूसरी तरफ़ फ़ासीवादी मोदी सरकार आपदा को अवसर में बदलते हुए पूँजीपतियों की तिजोरियाँ भरने में मग्न है। जब कोरोना की पहली लहर के ख़त्म होने के बाद देश भर की स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करना चाहिए था, तब यह निकम्मी सरकार चुनाव लड़ने में व्यस्त थी।

महिला दिवस पर महिलाओं व पुरुष मज़दूरों को कम्पनी में अपनी माँगों को लेकर भूख हड़ताल करनी पड़ी

जेएनएस के कैज़ुअल व परमानेण्ट मज़दूर, 8 मार्च और 9 मार्च को वेतन बढ़ोत्तरी, पुराने कैज़ुअल मज़दूरों को पक्का करने व अन्य माँगों को लेकर डेढ़ दिन हड़ताल के बाद कम्पनी प्रबन्धन से श्रम विभाग के समक्ष बातचीत के बाद काम पर लौट आये हैं।
फ़िलहाल कम्पनी प्रबन्धन ने लिखित रूप में 30 अप्रैल तक समस्याओं के समाधान का भरोसा दिलाया है। और कहा कि डेढ़ दिन की हड़ताल का पैसा भी नहीं कटेगा।

ऑटोनियम के मज़दूरों का संघर्ष और बढ़ रही मुश्किलें

बहरोड़ (ज़िला नीमराना, राजस्थान) की ऑटोनियम कम्पनी की मज़दूरों की छँटनी, स्टैण्डिंग ऑर्डर के नियमों के विपरीत ज़बरन ट्रांसफ़र, झूठे मुक़दमों, धमकियों के ख़िलाफ़ 2019 से ही संघर्ष कर रहे हैं। इस बार मार्च की शुरूआत में ही बहरोड़ औद्योगिक क्षेत्र की ऑटोनियम इण्डिया प्राईवेट लिमिटेड कम्पनी के परमानेण्ट मज़दूर यूनियन के उपाध्यक्ष जोगिन्दर यादव ने कम्पनी गेट पर अपने ऊपर पेट्रोल छिड़क कर पेट्रोल पी लिया और बेहोश हो गये। जिन्हें कम्पनी की गाड़ी में इमरजेन्सी में आई.सी.यू. में भर्ती करवाया गया।

ज़बरन रिटायरमेण्ट के विरुद्ध सनबीम के मज़दूरों का संघर्ष

26 मार्च को ज़बरन रिटायरमेण्ट के ख़िलाफ़ गुड़गाँव की सनबीम कम्पनी के 1100 स्थायी (परमानेण्ट) मज़दूर टूल डाउन करके हड़ताल पर चले गये थे। कम्पनी प्रबन्धन द्वारा 33 साला पुराने एक स्टैण्डिंग ऑर्डर (1989) का हवाला देते हुए 25 वर्ष का कार्यकाल पूरा होने या 58 साल की उम्र पूरी होने पर 158 स्थायी मज़दूरों की सेवासमाप्ति (रिटायरमेण्ट) की घोषणा कर दी थी। जिन 158 मज़दूरों की सेवा समाप्ति का नोटिस जारी किया गया उनमें बहुतेरे की उम्र अभी 55 साल भी नहीं हुई है।

लॉकडाउन के बाद दिल्ली में मज़दूरों के हालात

बीते वर्ष मार्च में कोरोना महामारी की वजह से जो लॉकडाउन लगा था, उसमें मज़दूरों के साथ कितना ज़ुल्म हुआ था, वह किसी से छुपा नहीं है। लाखों-करोड़ों की संख्या में मज़दूर देश के महानगरों को छोड़कर गाँव पलायन करने के लिए मजबूर हुए थे। जिसका कारण मोदी सरकार द्वारा बिना किसी तैयारी के लगाया गया लॉकडाउन था। यही हालात दिल्ली के उत्तर-पश्चिमी छोर पर बसे बवाना-नरेला-बादली जैसे औद्योगिक क्षेत्रों के भी थे।

ओखला औद्योगिक क्षेत्र : एक रिपोर्ट

ओखला औद्योगिक क्षेत्र के रिहायशी इलाक़ों में घूमते हुए हम बंगाली कॉलोनी, जेजे कॉलोनी और नेपाली कॉलोनी गये। इन जगहों पर छोटे-छोटे प्लॉटों को जिस तरह काटकर घर बनाये गये हैं, उसे देखकर लगता है कि भवन निर्माण के असल आश्चर्य ऐफ़िल टावर नहीं, ऐसे घर ही हैं। पतली-पतली गलियों के ऊपर बीम डालकर छोटे-छोटे कमरे बनाये गये हैं।

अमेज़ॉन के मज़दूरों का यूनियन बनाने की माँग को लेकर जुझारू संघर्ष

अमरीका के अलबामा राज्य के बेसिमर शहर में स्थि‍त अमेज़ॉन के भण्डारगृह में 5800 मज़दूर कार्यरत हैं। यहाँ के मज़दूर काम की भीषण परिस्थितियों के ख़िलाफ़ एक संगठित संघर्ष के लिए यूनियन बनाने की माँग पिछले साल से कर रहे हैं। इतने लम्बे समय से माँग करने के बाद अभी एक महीने से यानी मार्च के आरम्भ से चुनाव प्रक्रिया चल रही है।

सत्यम ऑटो कम्पोनेण्ट के 1000 से अधिक मज़दूर भूख हड़ताल पर!

हरियाणा के मानेसर औद्योगिक क्षेत्र की सत्यम ऑटो कम्पोनेण्ट कम्पनी में पिछली 1 मार्च से एक हज़ार से अधिक स्थायी और कैज़ुअल दोनों मज़दूर पूरी तरह काम बन्द करके कम्पनी के भीतर ही अपने बुनियादी श्रमिक अधिकारों, ओवर टाइम, वेतन बढ़ोत्तरी, बोनस आदि माँगों को लेकर हड़ताल पर बैठने को मजबूर हुए हैं।