मोदी सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों को औने-पौने दामों में निजी पूँजीपतियों को बेचने के लिए कमर कसी
वैसे तो आज़ादी के बाद से हर सरकार ने अपने-अपने तरीक़े से पूँजीपति वर्ग की चाकरी की है, लेकिन अपने कार्यकाल के शुरुआती छह महीनों में ही मोदी सरकार ने इस बात के पर्याप्त संकेत दिये हैं कि उसने चाकरी के पुराने सारे कीर्तिमान ध्वस्त करने का बीड़ा उठा लिया है। देशी-विदेशी पूँजीपतियों को लूट के नये-नवेले ऑफ़र दिये जा रहे हैं। एक ओर यह सरकार विदेशी पूँजी को रिझाने के लिए मुख़्तलिफ़ क्षेत्रों में विदेशी पूँजी के सामने लाल कालीनें बिछा रही है, वहीं दूसरी ओर देशी पूँजी को भी लूट का पूरा मौक़ा दिया जा रहा है। पूँजी को रिझाने के इसी मक़सद से अब मोदी सरकार आज़ादी के छह दशकों में जनता की हाड़-तोड़ मेहनत से खड़े किये गये सार्वजनिक उद्यमों को औने-पौने पर बेचने के लिए कमर कस ली है।