पेट्रोल मूल्य वृद्धि लोगों की जेब पर सरकारी डाकेज़नी
यह बजट घाटा इसलिए नहीं पैदा हुआ कि सरकार भारत के मेहनतकशों और मज़दूरों पर ज्यादा ख़र्च कर रही है। यह बजट घाटा इसलिए पैदा हुआ है क्योंकि सरकार बैंकों को अरबों रुपये के बेलआउट पैकेज देती है, कारपोरेट घरानों के हज़ारों करोड़ के कर्जों को माफ करती है और उन्हें टैक्सों में भारी छूट देती है, धनी किसानों को ऋण माफी देती है और देश के धनिक वर्ग पर करों के बोझ को घटाती है। इसके अलावा, ख़ुद सरकार और उसके मंत्रियों-आला अफसरों के भारी तामझाम पर हज़ारों करोड़ रुपये की फिज़ूलखर्ची होती है। ज़ाहिर है, अमीरों को सरकारी ख़ज़ाने से ये सारे तोहफे देने के बाद जब ख़ज़ाना ख़ाली होने लगता है, तो उसकी भरपाई ग़रीब मेहनतकश जनता को लूटकर की जाती है। पेट्रोल के दामों में वृद्धि और उस पर वसूल किये जाने वाले भारी टैक्स के पीछे भी यही कारण है।