तेल की क़ीमतों में गिरावट का राज़
आमतौर पर जब अन्तरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की क़ीमतें गिरने लगती हैं तो ओपेक (तेल उत्पादक देशों का समूह जिसमें सऊदी अरब, ईरान, वेनेजुएला, इराक़ और कतर जैसे देश शामिल हैं) अपने तेल उत्पादन में कमी लाकर तेल की आपूर्ति कम कर देता है जिससे तेल के मूल्य में गिरावट रुक जाती है। परन्तु इस बार ओपेक ने तेल उत्पादन में कटौती नहीं करने का फ़ैसला किया है। इसकी वजह भूराजनीतिक है। सऊदी अरब जो दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है, अमेरिका में शेल तेल की खोज को अपने भविष्य के लिए एक ख़तरे के रूप में देखता है। यही वजह है कि उसने इस बार तेल उत्पादन में कटौती करने से मना कर दिया ताकि तेल की क़ीमतें इतनी नीचे गिर जायें कि शेल तेल उत्पादन (जो अपेक्षाकृत अधिक ख़र्चीला है) मुनाफ़े का व्यवसाय न रह पाये और इस प्रकार अन्तरराष्ट्रीय तेल बाज़ार में सऊदी अरब का दबदबा बना रहे। साथ ही साथ इस नीति से ईरान और रूस की अर्थव्यवस्थाओं पर ख़तरे के बादल मँडराने लगे हैं क्योंकि तेल उत्पादन इन दोनों ही देशों की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।