नोटबन्दी – जनता की गाढ़ी कमाई से सरमायेदारों की तिजोरियाँ भरने का बन्दोबस्त
लगभग 93% भारतीय श्रमिक असंगठित, अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं और इनकी पूरी आमदनी नक़दी में है। नक़दी के अभाव से इनके छोटे धन्धे बन्द हो रहे हैं या इनका रोज़़गार छिन जा रहा है। इन मज़दूरों और छोटे कारोबारियों दोनों को ही इसकी वजह से या तो और भी कम मज़दूरी पर काम करने को मजबूर होना पड़ रहा है या अपना माल बड़े कारोबारियों को उनकी मनमानी क़ीमतों पर बेचकर नुक़सान उठाना पड़ रहा है। नहीं तो सूदखोरों के पास जाकर अपनी भविष्य की कमाई का एक हिस्सा सूद के रूप में उनके नाम लिख देने के साथ किसी तरह कुछ बचाकर इकठ्ठा की गयी एकाध बहुमूल्य वस्तु गिरवी भी रखने की मज़बूरी है जो फिर वापस न आने की बड़ी सम्भावना है।