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मार्क्सवादी पार्टी बनाने के लिए लेनिन की योजना और मार्क्सवादी पार्टी का सैद्धान्तिक आधार

कठिनाई इसी में नहीं थी कि जार सरकार के बर्बर दमन का सामना करते हुए पार्टी बनानी थी। जार सरकार जब-तब संगठनों के सबसे अच्छे कार्यकर्ता छीन लेती थी और उन्हें निर्वासन, जेल और कठिन मेहनत की सजाएँ देती थी। कठिनाई इस बात में भी थी कि स्थानीय कमेटियों और उनके सदस्यों की एक बड़ी तादाद अपनी स्थानीय, छोटी-मोटी अमली कार्रवाई छोड़कर और किसी चीज़ से सरोकार नहीं रखती थी। पार्टी के अन्दर संगठन और विचारधारा की एकता नहीं होने से कितना नुक़सान हो रहा है, इसका अनुभव नहीं करती थी। पार्टी के भीतर जो फूट और सैद्धान्तिक उलझन फैली हुई थी, वह उसकी आदी हो गयी थी। वह समझती थी कि बिना एक संयुक्त केन्द्रित पार्टी के भी मज़े में काम चला सकती है।

स्तालिन / सर्वहारा वर्ग तथा सर्वहारा की पार्टी

क्या एक पार्टी सदस्य के लिए पार्टी का कार्यक्रम, कार्यनीति तथा संगठनात्मक विचारों को केवल स्वीकार करना ही पर्याप्त है? क्या ऐसा व्यक्ति सर्वहारा की सेना का एक सच्चा नेता माना जा सकता है? अवश्य ही नहीं। प्रथम तो हर व्यक्ति यह जानता है कि दुनिया में ऐसे अनेकों बकवास करने वाले लोग हैं जो तुरन्त पार्टी के कार्यक्रम, कार्यनीति तथा संगठनात्मक विचारों को “स्वीकार” कर लेंगे, जब कि वे बकवास करने के अतिरिक्त और कुछ करने के योग्य नहीं हैं। ऐसे बकवासी व्यक्ति को पार्टी के सदस्य (यानी कि सर्वहारा की सेना का नेता) कहना तो पार्टी की पूरी गरिमा को नष्ट कर देना होगा। और फिर, हमारी पार्टी कोई दर्शन बघारने की जगह या धार्मिक पंथ तो है नहीं। क्या हमारी पार्टी एक युद्धरत जुझारू पार्टी नहीं है? चूँकि है, अतः क्या यह स्वतः-स्पष्ट नहीं है कि वह सिर्फ अपने कार्यक्रम, कार्यनीति तथा संगठनात्मक सिद्धान्तों की मौखिक स्वीकृति से ही सन्तुष्ट न होगी, कि वह वह बेशक यह माँग करेगी कि उसके सदस्य स्वीकार किये गये सिद्धान्तों को कार्यान्वित करें। अतः, जो भी कोई हमारी पार्टी का सदस्य बनना चाहता है वह केवल हमारी पार्टी के कार्यक्रम, कार्यनीति तथा संगठनात्मक विचारों को स्वीकार कर संतुष्ट नहीं बैठ सकता, वरन उसे इन विचारों को क्रियान्वित करना चाहिए, उन्हें अमल में लाना चाहिए।

कम्युनिस्ट पार्टी की ज़रूरत के बारे में लेनिन के कुछ विचार…

पूँजीवाद के युग में, जबकि मज़दूर जनता निरन्तर शोषण की चक्की में पिसती रहती है और अपनी मानवीय क्षमताओं का विकास वह नहीं कर पाती है, मज़दूर वर्ग की राजनीतिक पार्टियों की सबसे ख़ास विशेषता यही होती है कि अपने वर्ग के केवल एक अल्पमत को ही वह अपने साथ ला पाती है। कोई भी राजनीतिक पार्टी अपने वर्ग के केवल एक अल्पमत को ही अपने अन्दर समाविष्ट कर सकती है। उसी तरह जिस तरह कि किसी भी पूँजीवादी समाज में वास्तविक रूप से वर्ग चेतन मज़दूर तमाम मज़दूरों का मात्र एक अल्पमत होते हैं। इसलिए इस बात को मानने के लिए हम बाध्य हैं कि मज़दूरों के व्यापक जनसमुदायों का निर्देशन और नेतृत्व केवल यह वर्ग चेतन अल्पमत ही कर सकता है।

पार्टी की बुनियादी समझदारी (पैंतीसवीं किस्त)

क्रान्तिकारी कामों का मुख्य आधार बनने के लिए, उन्हें तीन महान क्रान्तिकारी संघर्षों में अनुकरणीय हरावल भूमिना निभानी चाहिए। मार्क्सवादी–लेनिनवादी क्लासिकीय रचनाओं और अध्यक्ष माओ की रचनाओं का अध्ययन करने में उन्हें अगली कतारों में होना चाहिए, वर्ग शत्रु से संघर्ष में शामिल होने में अग्रणी होना चाहिए, उत्पादन के लक्ष्यों को पूरा करने, वैज्ञानिक प्रयोगों को जारी रखने और दिक्कतों से पार पाने में अग्रणी होना चाहिए। पार्टी और राज्य द्वारा सौंपे गये सारे कामों को पूरा करने के लिए उन्हें जनसमुदायों को एकजुट करना चाहिए और उनकी अगुवाई करनी चाहिए।