सैन्य तानाशाही और खुले पूँजीवादी शोषण के विरुद्ध एक बार फिर सड़कों पर आ रहे हैं मिस्र के मज़दूर
आज एक बार फिर पूँजीवादी साम्राज्यवादी शोषण और उत्पीड़न के विरुद्ध मिस्र के मज़दूरों का असन्तोष एक के बाद एक जुझारू हड़तालों के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। कपड़ा, लोहा तथा स्टील कम्पनियों में काम करने वाले मज़दूर, डॉक्टर, फ़ार्मासिस्ट, डाकख़ाना-कर्मी, सामाजिक कर्मी, सामाजिक यातायात-कर्मी, तिपहिया ड्राइवर, और अब संवाददाता जैसे दसियों हज़ार मज़दूर काम की परिस्थितियों को बेहतर करने, वेतन बढ़ाने और अन्य मज़दूर अधिकारों से जुड़ी माँगों को लेकर लगातार सड़कों पर आ रहे हैं। जनवरी 2014 से मज़दूर हड़तालों के उभार का यह सिलसिला पूरे मिस्र में दिख रहा है जो अब्दुल अल फ़तह-सिसी के नेतृत्व में साम्राज्यवाद द्वारा पोषित सैन्य तानाशाही के तहत होने वाले नंगे पूँजीवादी शोषण और उत्पीड़न के विरुद्ध जनता की आवाज़ को अभिव्यक्त कर रहा है।