मोनोपोली बनाम ‘बाकी सभी’! अपने वर्ग सहयोगवाद को जायज़ ठहराने के लिए “महासचिव” अजय सिन्हा की नयी “खोजें”!
माटसाब अब कुलकों के साथ-साथ, पटना के ठेकेदारों, एफ़डीआई से मार खा रहे बड़े दुकानदारों, मायापुरी-नारायणा के फैक्ट्री मालिकों को भी मुक्ति दिलायेंगे और उनके बीच भी समाजवाद का नारा बुलन्द करेंगे, जिनके बीच इनका संगठन कुछ कवायदें करता रहा है! कहा जा सकता है कि माटसाब ने मार्क्सवाद में नया इज़ाफ़ा करके यह नया नारा दिया है, “दुनिया के कुलकों, ठेकेदारों, व्यापारियों, छोटे-मँझोले फैक्ट्री मालिकों, एक हो!” माटसाब का तर्क है कि अब चूँकि ये छोटे और मध्यम पूँजीपति भी इज़ारेदार वित्तीय पूँजी की मार से त्रस्त है इसलिए इनका हित जनता के साथ साझा है। और ये भी मुक्ति की चाहत रखते हैं, और इन्हें मुक्ति सिर्फ़ समाजवाद में मिल सकती है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार ये समाजवाद में कुलकों को “उचित दाम” दिलायेंगे!