युवा मार्क्स की कविता : जीवन-लक्ष्य
कठिनाइयों से रीता जीवन
मेरे लिए नहीं,
नहीं, मेरे तूफानी मन को यह स्वीकार नहीं।
मुझे तो चाहिये एक महान ऊँचा लक्ष्य
और उसके लिए उम्र भर संघर्षों का अटूट क्रम ।
ओ कला ! तू खोल
मानवता की धरोहर, अपने अमूल्य कोषों के द्वार
मेरे लिए खोल !