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(मज़दूर बिगुल के मई 2017 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
क्या छँटनी/बेरोज़गारी की वज़ह ऑटोमेशन है? / मुकेश त्यागी
अर्थव्यवस्था चकाचक है तो लाखों इंजीनियर नौकरी से निकाले क्यों जा रहे हैं?
फासीवाद / साम्प्रदायिकता
इलेक्ट्रोनिक व सोशल-मीडिया पर चल रहे कारनामे / अभिषेक
आर.एस.एस. और बी.एम.एस. के मई दिवस विरोध के असली कारण / मुकेश त्यागी
आरएसएस का “गर्भ विज्ञान संस्कार” – जाहिल नस्लवादी मानसिकता का नव-नाज़ी संस्करण / डॉ. पावेल पराशर
संघर्षरत जनता
मज़दूर विरोधी आर्थिक सुधारों के खि़लाफ़ ब्राज़ील के करोड़ों मज़दूर सड़कों पर उतरे / रणबीर
आइसिन ऑटोमोटिव के मज़दूर कम्पनी प्रबन्धन के शोषण के ख़िलाफ़ संघर्ष की राह पर
मज़दूर आंदोलन की समस्याएं
एमसीडी चुनावों में ‘क्रान्तिकारी मज़दूर मोर्चा’ की भागीदारी : एक राजनीतिक समीक्षा व समाहार
स्वास्थ्य
इलाज कराने वाली कम्पनियों का कौन करेगा इलाज? / तपिश
विरासत
‘पूँजी’ के साहित्यिक मूल्य के बारे में / कविता कृष्णपल्लवी
स्मृति शेष
मज़दूर संघर्षों के साथी नितिन नहीं रहे… साथी नितिन को अन्तिम लाल सलाम
गतिविधि रिपोर्ट
अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन
हरियाणा में दलित उत्पीड़न के खि़लाफ़ संयुक्त प्रदर्शन!
कला-साहित्य
युवा मार्क्स की कविता : जीवन-लक्ष्य
मज़दूरों की कलम से
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन