हरियाणवी रागणी – मई दिवस

रामधारी खटकड़, जीन्द, हरियाणा

मई दिवस पुकार रह्या तू सुण मज़दूर-किसान
होस म्हं आइये रै…

अधिकारां नै ख़त्म करै यू, पूँजीवाद बदमास घणा।
कुछ सालां म्हं पूँजीवाद नै, कर दिया देखो नास घणा।
पर्दा होग्या फास घणा, घट्या म्हैनत का सम्मान।
होस म्हं आइये रै…

बारा घण्टे हाड पिटाई, जुल्म लगे इब होण द्यखे।
निजीकरण यो लाग रह्या सै, बीज बिघन के बोण द्यखे।
क्यूँ लगे नींद म्हं सोण द्यखे, म्हारा लुट ग्या हिन्दुस्तान
होस म्हं आइये रै…

शिकागो के म्हं धार खून की, मज़दूर लड़े थे अड़कै रै।
काम के घण्टे आठ और मज़ूरी, अधिकार लिये थे लड़कै रै।
इब हक़ म्हारा हड़कै रै, मोटे होगे बेईमान।
होस म्हं आइये रै…
लुटेरां गेल्यां जंग होवै, इब और नहीं कोय चारा सै।
इज्ज़त सेत्ती जीणा सीखो, जो अधिकार हमारा सै।
इन्क़लाब का नारा सै अर झण्डा लाल निशान।
होस म्हं आइये रै…

रामधारी सुण खटकड़िये, तनै देस जगाणा होगा रै।
मज़दूर-किसान-करमचारी, कुछ ठाणा ठाणा होगा रै।
जोश म्हं गाणा होगा रै, तू ऊँची कर ले तान।
होस म्हं आइये रै…

मई दिवस पुकार रह्या तू सुण मज़दूर-किसान
होस म्हं आइये रै

(घणा – ज़्यादा, बिघन – विनाश, द्यखे – देखिये, अड़कै – अड़कर मुकाबला करना, हड़कै – हड़प कर, गेल्यां – के साथ, सेत्ती – के लिए, ठाणा ठाणा – पहले ठाणा का अर्थ ज़िम्मेदारी और दूसरे ठाणा का अर्थ है उठाना)

मज़दूर बिगुल, मई 2016

 

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