Tag Archives: ताज मोहम्‍मद

कविता – मुनाफ़ाखोर व्यापारी की प्रार्थना

भाइयो इस महँगाई के दौर में एक तरफ जब लोग कुपोषण से बीमार पड़ रहे हैं, भूख से मर रहे हैं, लोगों का जीना दुश्वार हो गया है वहीं दूसरी तरफ सरकारी गोदामों में सैकड़ों टन अनाज़ सड़ाया जा रहा है। एक तो सरकार हम गरीबों के दिये टैक्स के पैसों से अमीर किसानों से महँगा अनाज खरीदती है,दूसरी ओर उस अनाज को गोदामों में सड़ा कर जमाखोरों को फायदा पहुँचाती है। ऐसे में एक जमाखोर क्या सोच रखता है, मुनाफा कमाने का क्या-क्या तरीका सोचता है, मैं अपनी कविता के जरिए बिगुल के पाठकों को बताना चाहता हूँ

गोरखपुर के संगठित मज़दूरों के नाम

ओ मज़दूर साथी निकलो बनके संघर्ष के सिपाही,
लोग देखेंगे अरमान से अपनी शक्ति ऊँची आसमान से।
पैसे वालों से न डरना ख़ूब मेहनत से लड़ना,
जीत होगी अपनी शान से अपनी शक्ति ऊँची आसमान से।

कविता – सरकारी अस्पताल

यहाँ मरीजों की भरमार है मगर दवाओं का अकाल है
पर्चियाँ लेकर घूमते लोग हैं यह शहर का सरकारी अस्पताल है
यहाँ मरीजों को मुफ्त इलाज के लिए बुलाया जाता है
फिर टेस्ट के बहाने दौड़ाया जाता है
बाद में दवाओं के अभाव का रोना रोते हैं
उचित इलाज करने के लिए अपने क्लिनिक का पता देते हैं
एक तो सरकार की उँची तनख़्वाह है दूसरे डॉक्टरी का बिजनेस भी बहाल है

कविता – मई दिवस

निर्दोष ग़रीबों के ख़ून से जब शहर शिकागो लाल हुआ,
जब गूँजा नारा अधिकारों का जब फटे कान सरकारों के
मौत से लड़ते जोश के आगे अमरीका बेहाल हुआ।
सारी दुनिया दहल गयी जब तूफ़ान उठा मज़दूरों का,
एक मई इतिहास बना है दुनिया के मज़दूरों का।