क्या है बजरंग दल और मज़दूरों को इससे क्यों सावधान रहना चाहिए?
फैक्ट्री मालिकों, ठेकेदारों के पैसों से चलने वाले ये धर्मध्वजाधारी वास्तव में मालिकों की ही सेवा करने के लिए खड़े हैं। आज हर क्षेत्र का पुलिस प्रशासन भी ऐसे हिंसक संगठित गिरोहों को इसलिए फलने-फूलने का मौका देता है ताकि भविष्य में जुझारू मज़दूर आन्दोलन पर हमले करवा सकें या उसको कुचलने के लिए प्रतिक्रियावादी ताक़तों का इस्तेमाल कर सकें। पहले भी मज़दूर आन्दोलनों व हड़तालों पर बजरंग दल, विहिप, शिवसेना जैसे साम्प्रदायिक संगठन अपने पूँजीपति आकाओं के इशारों पर हमले करते रहे हैं, ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं की हत्याएँ करते रहे हैं।