मज़दूर आन्दोलन में मौजूद किन प्रवृत्तियों के ख़िलाफ़ मज़दूर वर्ग का लड़ना ज़रूरी है? – (दूसरी क़िस्त)
लेनिन ने अर्थवाद का खण्डन करते हुए बार-बार दुहराया कि विचारधारा का प्रवेश मज़दूर आन्दोलन में बाहर से होता है और यह भी कि आम मज़दूरों द्वारा अपने आन्दोलन की प्रक्रिया के दौरान विकसित किसी “स्वतन्त्र” विचारधारा का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है, इसलिए केवल दो ही रास्ते बचते हैं, या तो बुर्जुआ विचारधारा को चुना जाये या फिर समाजवादी विचारधारा को चुना जाये। बीच का कोई रास्ता नहीं है