Category Archives: मज़दूर आन्दोलन की समस्‍याएँ

चीनी मिल-मालिकों की लूट से तबाह गन्ना किसान

पश्चिमी उत्तर प्रदेश का गन्ना आन्दोलन इस बार बुरी तरह असफ़ल हुआ। ऐसी शर्मनाक पराजय किसान आन्दोलन के निकट अतीत के इतिहास में शायद ही कभी हुई हो। पिछले साल का गन्ना मूल्य 95 रुपये प्रति कुन्तल था और अब चीनी मिलों ने 64-50 रुपये प्रति कुन्तल पर गन्ना बेचने के लिए किसानों को मजबूर कर दिया है। इस मूल्य पर तो छोटे किसानों की लागत भी निकल आये तो ग़नीमत है।

क्या कर रहे हैं आजकल पंजाब के ‘कामरेड’?

कोई भी वर्ग अपने हितों के लिए लड़ने को आज़ाद है। वह ख़ुशी से अपनी लड़ाई लड़े। मगर दुख की बात तो यह है कि पंजाब की धरती पर यह सब कुछ कम्युनिस्टों के भेस में हो रहा है। इन कम्युनिस्टों की रहनुमाई में लड़े जा रहे इन किसान आन्दोलनों की माँगें मज़दूर विरोधी तथा ग्रामीण धनी किसानों के हित में हैं। मज़दूरों के रोज़मर्रा के उपयोग की वस्तुओं जैसे, गेहूँ, धान तथा दूध आदि की कीमतों में बढ़ोत्तरी तो सीधे-सीधे मज़दूरों की जेब पर डाका है। ऊपर से सितम यह है कि इस डाकेज़नी में कोई और नहीं बल्कि ख़ुद को मज़दूर वर्ग के प्रतिनिधि कहने वाले रंग-बिरंगे कम्युनिस्ट ही जाने-अनजाने मददगार बन रहे हैं।

नई भरती करो / लेनिन

‘व्पेर्योद’ केा रूस पहुँचाने के काम में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाने का कार्यभार रखना चाहिए। सेंट पीटर्सबर्ग में ग्राहक बढ़ाने के लिए जोरदार प्रचार कीजिए। विद्यार्थी और खास तौर पर मजदूर अपने पतों पर ही दसियों-सैकड़ों प्रतियाँ मँगायें। इन दिनों के माहौल में इससे डरना बेतुका है। सब कुछ तों पुलिस पकड़ नहीं पायेगी। आधो-तिहाई तो पहुँचेंगे ही और यही बहुत है। नौजवानों के हर मण्डल को यह विचार सुझाइये और वे तो विदेश से सम्पर्क बनाने के अपने सैकड़ों रास्ते खोज लेगें। ‘व्पेर्योद’ केा पत्र भेजने के लिए पते अधिक से अधिक लोगों को दीजिये।