Category Archives: शिक्षा और रोज़गार

हरियाणा के निजी क्षेत्र के रोज़गार में 75 प्रतिशत स्थानीय आरक्षण के मायने

गत 15 जनवरी से राज्य में ‘हरियाणा स्टेट एम्प्लॉयमेण्ट ऑफ़ लोकल कैण्डिडेट्स एक्ट, 2020’ को लागू कर दिया है। इस एक्ट के अनुसार हरियाणा राज्य के निजी क्षेत्र में 75 फ़ीसदी नौकरियाँ प्रदेश के निवासियों के लिए आरक्षित कर दी गयी हैं। निजी क्षेत्र में आरक्षण को लागू करने वाला हरियाणा दूसरा राज्य है, इससे पहले आन्ध्रप्रदेश ने प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण लागू कर रखा है। इस एक्ट के लागू होने के बाद, अब हरियाणा में निकलने वाली ऐसी निजी भर्तियाँ जिनमें सकल वेतन 30,000 रुपये से कम होगा, उनमें नियोक्ताओं को 75% नौकरियाँ हरियाणा के निवासियों को देनी होंगी। हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला इसे एक ऐतिहासिक फ़ैसला बता रहे हैं।

हरियाणा में बेरोज़गारी के भयंकर होते हालात!

सेण्टर फ़ॉर मॉनिटरिंग इण्डियन इकॉनमी (सीएमआईई) के ताज़ा आँकड़ों के अनुसार देश बेरोज़गारी की भयंकर दलदल में धँसता जा रहा है। सितम्बर 2021 में आये अगस्त माह के आँकड़ों के अनुसार देश में बेरोज़गारी की दर 8.3 प्रतिशत तक पहुँच गयी है। वहीं दूसरी ओर हरियाणा में बेरोज़गारी की दर 35.7 प्रतिशत तक जा पहुँची है जोकि देश के किसी भी राज्य में सबसे ज़्यादा और राष्ट्रीय बेरोज़गारी दर के चार गुणे से भी अधिक है। रोज़गार की इतनी बुरी स्थिति होने के बावजूद भी हरियाणा की खट्टर सरकार बड़ी ही बेशर्मी के साथ अपनी पीठ थपथपा रही है कि उसने हरियाणा के नौजवानों को रोज़गार दिये हैं!

राजस्‍थान में प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर आउट, बेरोज़गार युवाओं के साथ छलावा

राजस्‍थान में 2018 के विधानसभा चुनाव में युवाओं को नौकरी देने के नाम पर कांग्रेस पार्टी सत्ता में आयी। लेकिन कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने आम जनता व युवाओं को छलावे के सिवा कुछ नहीं दिया। पूरे कोरोना काल में राज्‍य सरकार का कुप्रबन्धन हावी रहा। राजस्‍थान में पेट्रोल और डीज़ल पर वैट की दर सबसे अधिक है। युवाओं और बेरोज़गारों को उम्‍मीद थी कि गहलोत सरकार नयी भर्तियाँ निकालेगी व युवाओं को रोज़गार के अवसर उपलब्‍ध करायेगी।

उत्तर प्रदेश में “विकास” और रोज़गार के योगी के दावे बनाम असलियत

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार केन्द्र की मोदी सरकार के नक़्शे क़दम पर चलती नज़र आ रही है। ‘चोर मचाये शोर’ की बात चरितार्थ होते दिख रही है। बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स लगाकर, सारे प्रमुख अख़बारों में विज्ञापन देकर सरकार चार साल के कारनामों को हर जनता तक पहुँचा देना चाहती है। 2017 के चुनावी घोषणापत्र को देखने पर ऐसा लगता है कि अब विकास की गंगा यूपी में हिलोरे मारेगी। एक दरबारी ने तो योगी को भगवा समाजवादी तक घोषित कर दिया।

हरियाणा में नौकरियों में स्थानीय लोगों को आरक्षण : मज़दूर वर्ग को बाँटने की साज़ि‍श

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने मार्च के पहले सप्ताह में राज्य में निजी क्षेत्र की प्रति माह 50 हज़ार रुपये तक की तनख़्वाह वाली नौकरियों में 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण सम्बन्धी क़ानून पारित करवा लिया। इससे पहले गुजरात, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु व उत्तराखण्ड सहित कई राज्यों में भी इस तरह के क़ानून पारित हो चुके हैं या उनकी क़वायद चल रही है। हाल ही में झारखण्ड में भी यह क़वायद शुरू हो चुकी है।

सरकारी दावों की पोल खोलती शिक्षा बजट में भारी कटौती

संसद में पेश किये गये हालिया बजट में शिक्षा बजट में की गयी कटौती ने नयी शिक्षा नीति के वादों-दावों की पोल खोलकर रख दी है। कहाँ तो कहा गया था कि आनेवाले दस साल में शिक्षा पर ख़र्च दोगुना हो जायेगा, लेकिन उसके पहले ही साल में यहाँ बजट में हज़ार-हज़ार करोड़ रुपये तक की कटौती होनी शुरू हो गयी है। पिछले साल 2020-21 के बजट में 38,751 करोड़ रुपये समग्र शिक्षा अभियान को आवण्टित हुए थे,लेकिन इस साल उसे घटाकर 31,050 करोड़ कर दिया गया है।

‘वादा ना तोड़ो अभियान’ के तहत पटना में हुआ ‘रोज़गार अधिकार महाजुटान’

इस बार के बिहार विधान सभा चुनाव में रोज़गार एक मुख्य मुद्दा बनकर उभरा था और हर पार्टी द्वारा रोज़गार के मुद्दे पर बड़े-बड़े चुनावी वादे किये गये थे। उनमें से नीतीश की गठबन्धन सरकार ने 19 लाख रोज़गार का वादा किया था। इसी के मद्देनज़र बिहार में ‘वादा न तोड़ो अभियान’ की शुरुआत की गयी जिसमें कि सरकार से यह माँग की गयी कि वह 19 लाख रोज़गार कैसे देगी इसकी रूप रेखा जनता के सामने प्रस्तुत करे। इसके अलावा इस अभियान में राज्य स्तर पर भगतसिंह रोज़गार गारण्टी क़ानून बनाने की माँग उठायी गयी व और भी अन्य माँगें शामिल की गयीं।

महामारी और संकट के बीच पूँजीपतियों के मुनाफ़े में हो गयी 13 लाख करोड़ की बढ़ोत्तरी!

कोरोना महामारी की वजह से आजकल सभी काम-धन्धे बन्द हुए मालूम पड़ते हैं। लगभग हर गली-मोहल्ले में तो ही रोज़गार का अकाल ही पड़ा हुआ है। वहीं, दूसरी तरफ़, कोरोना काल में अम्बानी-अडानी आदि थैलीशाहों के चेहरे पहले से भी ज़्यादा खिले हुए हैं। करोड़ों-करोड़ का मुनाफ़ा खसोटकर वे अपनी महँगी पार्टियों में जश्न मना रहे हैं।

नयी शिक्षा नीति के तहत आँगनवाड़ी केन्द्रों में प्री-प्राइमरी की पढ़ाई; आँगनवाड़ी कर्मियों से बेगारी करवाने का नया तरीक़ा!

केन्द्र सरकार ने नयी शिक्षा नीति के तहत प्री-प्राइमरी के बच्चों की आँगनवाड़ी में अनिवार्य पढ़ाई के निर्देश दिये हैं। नयी शिक्षा नीति के तहत आने वाले दिनों में जल्द ही पूरी शिक्षा व्यवस्था की नयी रूपरेखा तैयार की जायेगी जिसमें एक महत्वपूर्ण बात यह है कि हर बच्चे के लिए आवश्यक प्री-प्राइमरी की पढ़ाई आने वाले समय में आँगनवाड़ी कर्मियों के ज़िम्मे होगी। इस नयी ज़िम्मेदारी के लिए आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों की योग्यता कम से कम 12वीं पास होनी चाहिए।

हरियाणा सरकार का शिक्षा व इलाज के जनता के अधिकारों पर बड़ा हमला!

हरियाणा में मेडिकल की पढ़ाई की फ़ीस में बेतहाशा बढ़ोत्तरी कर दी गयी है। सरकारी कॉलेजों/संस्थानों में एमबीबीएस यानी मेडिकल में स्नातक/ग्रेजुएशन की फ़ीस पहले जहाँ सालाना तक़रीबन 53,000 होती थी वहीं अब इसे बढ़ाकर 80,000 कर दिया गया है। यही नहीं, इसमें हर वर्ष 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी भी की जायेगी। इसके अतिरिक्त प्रत्येक छात्र को दाखिले के समय फ़ीस के अलावा 10 लाख रुपये (घटा फ़ीस) का बॉण्ड भी भरना पड़ेगा। जैसे यदि प्रथम वर्ष के छात्र की सालाना फ़ीस होगी 80,000 रुपये तो उसे 9 लाख 20 हज़ार रुपये बॉण्ड के तौर पर भरने होंगे।