Category Archives: शिक्षा और रोज़गार

झूठे मुद्दों की भूलभुलैया से निकलो, रोज़गार के लिए सड़कों पर उतरो!

देश आज अभूतपूर्व बेरोज़गारी का सामना कर रहा है। सरकार या तो इस समस्या से पूरी तरह आँख चुराए हुए है या फिर जीडीपी में भारी गिरावट की तरह इसे भी “दैवी आपदा” साबित करने की कोशिश कर रही है। लेकिन अगर आपकी आँखों पर भक्ति की पट्टी नहीं बँधी है तो इस सच्चाई को समझना क़तई मुश्किल नहीं है कि बेरोज़गारी की इय भयावह हालत की ज़िम्मेदार पूरी तरह मोदी सरकार और उसके कारनामे हैं। अगर आप अब भी आँखों से यह पट्टी उतारने के लिए तैयार नहीं हैं, तो आपको शायद तब ही समझ में आयेगा जब बेरोज़गारी और महँगाई की आग आपके घर को झुलसाने लगेगी। उन जर्मनीवासियों की तरह जिनकी हिटलर भक्ति तब टूटी जब जर्मनी पूरी तरह बर्बाद हो गया।

बहाली के मुद्दे पर हरियाणा के 1983 पीटीआई शिक्षक संघर्ष की राह पर

यह रिपोर्ट लिखे जाने तक दिनांक 8 सितम्बर को पीटीआई शिक्षकों के धरने को 85 दिन हो चुके हैं। भाजपा-जजपा सरकार इन शिक्षकों को लगातार बरगलाने पर लगी है लेकिन शिक्षक भी हार मानने को तैयार नहीं हैं। नित-नये ढंग से पीटीआई शिक्षक अपनी एकजुटता का इज़हार कर रहे हैं। विभिन्न कर्मचारी यूनियन और जन संगठन भी शिक्षक आन्दोलन का समर्थन कर रहे हैं।

हरियाणा में शिक्षा व्यवस्था और स्थायी रोज़गार सरकारी हमले की चपेट में !

हरियाणा की खट्टर-दुष्यन्त के नेतृत्व वाली भाजपा-जजपा ठगबन्धन सरकार प्रदेश के 450 स्कूलों में विज्ञान की पढ़ाई बन्द करने जा रही है। यह क़दम बच्चों की कम संख्या के नाम पर उठाया जा रहा है। होना तो यह चाहिए था कि सरकारी मशीनरी द्वारा प्रचार करके और पढ़ाई का स्तर सुधारकर सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या और फ़िर स्कूलों की संख्या को भी बढ़ाया जाता किन्तु यहाँ यह जनविरोधी सरकार विभिन्न संकायों की पढ़ाई और स्कूलों को ही बन्द करने पर तुली हुई है!

‘नयी शिक्षा नीति 2020’ : लफ़्फ़ाज़ि‍यों की आड़ में शिक्षा को आम जन से दूर करने की परियोजना

छात्रों-युवाओं और बुद्धिजीवियों के तमाम विरोध को दरकिनार करते हुए दिनांक 29 जुलाई के दिन ‘नयी शिक्षा नीति 2020’ को मोदी सरकार के कैबिनेट ने मंज़ूरी दे दी है। यह शिक्षा नीति शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी निवेश को घटायेगी और देशी-विदेशी बड़ी पूँजी के लिए शिक्षा क्षेत्र के दरवाज़े खोलेगी। व्यापक मेहनतकश जनता के बेटे-बेटियों के लिए शिक्षा प्राप्त करने के रास्ते और भी संकरे हो जायेंगे।

हरियाणा में युवाओं, कर्मचारियों और जनता के हितों पर खट्टर सरकार का बड़ा हमला!

हाल ही में भाजपा-जजपा की खट्टर सरकार ने हरियाणा में अगले 1 साल तक सरकारी भर्तियों पर रोक लगाने का फ़रमान सुनाया है। खट्टर सरकार द्वारा यह बेहूदा निर्णय उस समय लिया गया है जब प्रदेश में बेरोज़गारी का आँकड़ा बुलन्दियों को छू रहा है। इसके अलावा कर्मचारियों के महँगाई, एलटीसी जैसे भत्तों पर रोक लगा दी गयी है। जल्द ही अन्य हक़ों को छीने जाने का भी ऐलान होने वाला है।

बेतहाशा बढ़ती बेरोज़गारी और ढपोरशंखी सरकारी योजनाएँ

सी.एम.आइ.ई. (सेन्टर फ़ॉर मॉनिटरिंग इण्डियन इकोनॉमी) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक़ देश के शहरी क्षेत्र में बेरोज़गारी दर ने पिछले 45 सालों के सारे कीर्तिमान तोड़ डाले हैं। दिसम्बर 2019 में यह दर 9 फ़ीसदी थी। जनवरी 2020 तक, महज़ एक महीने में तेज़ रफ़्तार से बढ़ता हुआ यह आँकड़ा 9.9 फ़ीसदी तक जा पहुँचा। केवल 15 से लेकर 29 वर्ष के आयु वाले शहरी नौजवानों के बीच ही बेरोज़गारी की दर देखी जाये तो यह 22.5 फ़ीसद की ऊँचाई तक पहुँच चुकी है।

बेरोज़गारी का दानव लील रहा है युवा ज़ि‍न्दगि‍याँ

राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो (एनसीआरबी) के आँकड़ों के मुताबिक 2018 में हर दिन औसतन 35 बेरोज़गारों और स्वरोज़गार से जुड़े 36 लोगों ने ख़ुदकुशी की। कुल मिलाकर 2018 में बेरोज़गार और स्वरोज़गार से जुड़े 26,085 लोगों ने जीवन से निराश होकर आत्महत्या कर ली!

दिल्‍ली विधानसभा चुनाव 2020 में फिर से आम आदमी पार्टी की जीत के मायने: एक मज़दूर वर्गीय नज़रिया

जिन्‍होंने भी केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के पूरे चुनाव अभियान को क़रीबी से देखा है, वह अच्‍छी तरह जानते हैं कि भाजपा के हिन्‍दुत्‍ववादी फ़ासीवाद के एजेण्‍डे के बरक्‍स, अरविन्‍द केजरीवाल ने कोई सही मायनों में सेक्‍युलर, जनवादी और प्रगतिशील एजेण्‍डा नहीं रखा था। उल्‍टे केजरीवाल ने ‘सॉफ़्ट हिन्‍दुत्‍व’ का कार्ड खेला। अपने आपको हिन्‍दू, हनुमान-भक्‍त आदि साबित करने में केजरीवाल ने कोई कसर नहीं छोड़ी। साथ ही, कश्‍मीर में 370 हटाने पर मोदी को बधाई देने से लेकर, जामिया और जेएनयू पर हुए पुलिसिया अत्‍याचार और शाहीन बाग़ और सीएए-एनआरसी-एनपीआर जैसे सबसे ज्‍वलन्‍त और व्‍यापक मेहनतकश आबादी को प्रभावित करने वाले प्रमुख मसलों के सवाल पर चुप्‍पी साधे रहने तक, केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने मोदी-शाह-नीत भाजपा के कोर एजेण्‍डा से किनारा काटकर निकल लेने (सर्कमवेण्‍ट करने) की रणनीति अपनायी। तात्‍कालिक तौर पर, इस रणनीति का फ़ायदा आम आदमी पार्टी को मिला है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2019 : शिक्षा के नग्न बाज़ारीकरण का घोषणापत्र

आख़िरकार लम्बे समय से जारी लुकाछिपी का खेल 1 जून 2019 को ख़त्म हो गया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के चार ड्राफ़्ट और हज़ारों जन सुझावों को हज़मकर चुप्पी मारकर बैठ जाने वाली मोदी सरकार ने लोक सभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अचानक कस्तूरीरंगन कमेटी द्वारा तैयार नयी शिक्षा नीति की रिपोर्ट सार्वजानिक कर दी।

बेरोज़गारी की भयावह स्थिति : पहली बार देश में कुल रोज़गार में भारी कमी!

ऐसे में फ़ासिस्ट मोदी सरकार की पूँजीपतियों को बहुत ज़रूरत है ता‍िक राष्ट्रवाद और धार्मिक जुनून के नशे की खुराकें देकर बेरोज़गार मज़दूरों और युवाओं को एकजुट होने और लड़ने से रोका जा सके। फिलहाल वे अपने मंसूबों में कामयाब होते दिख रहे हैं। क्या इस देश के मज़दूर और नौजवान ऐसे ही चुपचाप बर्बादी की ओर धकेले जाते रहेंगे?