मोहन भागवत की “हिन्दू” एकजुटता किसके लिए?
क्या कभी आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद् ने देश भर के मज़दूर-ग़रीब किसानों के आन्दोलन को समर्थन दिया है? जबकि देश भर के सभी संघर्षों में 90 फ़ीसदी आबादी हिन्दुओं की होती है। याद कीजिए ग़रीब किसानों-मज़दूरों के आन्दोलन में हिन्दुओं के ये फ़र्ज़ी ठेकेदार कभी नज़र आयें हैं? जब लाखों की संख्या में ठेका, अस्थायी, दिहाड़ी मज़दूरों के पैसे ठेकेदार और मालिक हड़प जाते हैं, तब ये हिन्दू धर्म के ठेकेदार मदद के लिए सामने क्यों नहीं आते?