सरकारी अस्पताल
टी. एम. आंसारी, पावरलूम ऑपरेटर, शक्तिनगर, लुधियाना
यहाँ मरीजों की भरमार है मगर दवाओं का अकाल है
पर्चियाँ लेकर घूमते लोग हैं यह शहर का सरकारी अस्पताल है
यहाँ मरीजों को मुफ्त इलाज के लिए बुलाया जाता है
फिर टेस्ट के बहाने दौड़ाया जाता है
बाद में दवाओं के अभाव का रोना रोते हैं
उचित इलाज करने के लिए अपने क्लिनिक का पता देते हैं
एक तो सरकार की उँची तनख़्वाह है दूसरे डॉक्टरी का बिजनेस भी बहाल है
पर्चियाँ लेकर घूमते लोग हैं यह शहर का सरकारी अस्पताल है
यहाँ दवायें काग़ज़ के पन्नों पर बँटवाई जाती हैं
स्टॉक की दवायें सारी मेडीकल से बेचवाई जाती हैं
साधनहीन ग़रीब दुखियारे इलाज के लिए जब आते हैं
चेकअप करके उन लोगों को पर्चियाँ पकड़ाई जाती हैं
भोली जनता सिसक रही है सेहत मेहकमा मालामाल है
पर्चियाँ लेकर घूमते लोग हैं यह शहर का सरकारी अस्पताल है
अकलमन्द मरीजों से जब इनका पाला पड़ जाता है
मानव रूपी हैवानों का भेद वहीं खुल जाता है
अपने फर्ज से बचने को इधर उधर भरमाता है
इससे जब न बात बने ग़लत रिपोर्ट बनाता है
जीता जागता उदाहरण इसका छय रोगी गोपाल है
पर्चियाँ लेकर घूमते लोग हैं यह शहर का सरकारी अस्पताल है
सारे शहर में आग लगी है हर सू मारा मारी है
हाथ कटे हैं पेट कटे हैं दहशत सब पे तारी है
बूढ़े बच्चे नर और नारी दर्द से चिल्लाते हैं
इलाज न इनका हुआ अगर तो मरने की तैयारी है
एक हफ्ते से सारे डॉक्टरों की बेमुद्दत हड़ताल है
पर्चियाँ लेकर घूमते लोग हैं यह शहर का सरकारी अस्पताल है
बिगुल, जुलाई 2009
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