तेलंगाना की फ़ार्मा-केमिकल फ़ैक्ट्री में भीषण आग – मालिक के मुनाफ़े की भट्ठी में जलकर ख़ाक हो गये 52 मज़दूर
सरकारी आँकड़ों के मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में भारत में 269 से अधिक केमिकल फ़ैक्टरियों, कोयला खदानों और निर्माण स्थलों पर बड़े औद्योगिक हादसे हुए हैं। इन सभी हादसों की जड़ में मुनाफ़े पर टिकी पूँजीवादी व्यवस्था ही है। ये बढ़ती औद्योगिक दुर्घटनाएँ पूँजीवाद के मानवद्रोही चरित्र को सरेआम उजागर कर देती हैं। आज मज़दूरों के सामने सवाल यह है कि वे आख़िर कब तक पूँजीपतियों के मुनाफ़े की भट्टी में झोंके जाने को बर्दाश्त करते रहेंगे? इससे पहले कि पूँजीवाद हमारी ज़िन्दगी और हमारे सपनो को जलाकर ख़ाक कर दे हमें पूँजीवाद को ख़ाक में मिलाने के लिए कमर कसनी होगी।