सरकार के दावों की पोल खोलता मनरेगा का केन्द्रीय बजट
किसी भी देश की पूँजीवादी व्यवस्था अपने देश के मज़दूरों को गुमराह करने के लिए तमाम तरह के हथियार इस्तेमाल करती रहती है। उन हथियारों में से एक हथियार आँकड़ों की हेरा-फेरी का भी होता है। ऐसा ही कुछ इस बार भारत के केन्द्रीय बजट में देखने को मिला है। वैसे तो पूरा बजट ही आँकड़ों की हेरा-फेरी से भरा हुआ है। लेकिन यहाँ हम पूरे बजट पर चर्चा करने की बजाय सिर्फ़ मनरेगा के इर्द-गिर्द ही बात करेंगे।