हमारा आन्दोलन दबाया नहीं जा सकता
…मण्डली की बैठक नेवा पार के इलाक़े में मैकेनिकल फ़ैक्टरी के फ़िटर इवान बाबुश्किन के घर में हो रही थी। नेवा के पार बहुत-से कारख़ाने और फ़ैक्टरियाँ थीं। सुबह अभी झुटपुटा ही होता था कि उनके भोंप गूँजने लगते। मज़दूर मुँह अँधेरे ही काम के लिए चल पड़ते और रात होने पर घर लौटते। सूरज कभी देखने को न मिलता। कितना अन्धकारपूर्ण जीवन था! पर हमेशा तो ऐसे नहीं रहा जा सकता था!
मज़दूर पुलिस से छिपकर फ़िटर बाबुश्किन के घर में इकट्ठा होते और अपनी स्थिति पर विचार करते।