मीना किश्वर कमाल : वर्जनाओं के अंधेरे में जो मशाल बन जलती रही
सपनों पर पहरे तो बिठाये जा सकते हैं लेकिन उन्हें मिटाया नहीं जा सकता। वर्जनाओं के अंधेरे चाहे जितने घने हों, वे आजादी के सपनों से रोशन आत्माओं को नहीं डुबा सकते। यह कल भी सच था, आज भी है और कल भी रहेगा। अफगानिस्तान के धार्मिक कठमुल्लों के “पाक” फरमानों का बर्बर राज भी इस सच का अपवाद नहीं बन सका। मीना किश्वर कमाल की समूची जिन्दगी इस सच की मशाल बनकर जलती रही और लाखों अफगानी औरतों की आत्माओं को अंधेरे में डूब जाने से बचाती रही।