आवाज़ निकालोगे तो काम से छुट्टी
फैक्ट्री मज़दूरों के लिए जेल की तरह है। फैक्ट्री पहुँचते ही हम लोगों के अन्दर अजीब किस्म का डर-सहम घुसने लगता है और हमारे सिर मुजरिमों की तरह झुक जाते हैं। काम करते हुए बार-बार हम समय देखते हैं कि कब बारह घण्टे खत्म हों, कब मुक्ति मिले। मगर ये मुक्ति ज्यादा देर नहीं रहती। अगली सुबह फिर जेल। अपराधियों को बड़े-बड़े जुर्म के लिए भी दस-बीस साल की जेल होती है, लेकिन हम लोगों की पूरी ज़िन्दगी इन जेलों में निकल जाती है जिन्हें लोग फैक्ट्री कहते हैं, और वह भी बिना किसी गुनाह के!