मज़दूरों की लाचारी (मालिक भी खुश, मज़दूर भी खुश)
समयपुर, बादली में नेभको बैटरीज़ के नाम से एक कम्पनी है। इसमें न ही कोई सुपरवाइजर है, न ही कोई फोर्डमैन, न कोई कम्प्यूटर ऑपरेटर और न कोई बाबू। मालिक भी सप्ताह दो सप्ताह में कभी घूमने चला आया तो गनीमत। स्टॉफ के नाम पर मालिक ने एक मैनेजर रखा है। फिर भी रोज फैक्टरी में 4000 पॉजिटिव और 4000 निगेटिव बैटरी की प्लेटें तैयार होकर सप्लाई के लिए निकलती हैं जो कि सिर्फ नेभको कम्पनी अपने लिए नहीं तैयार करती। बल्कि पूरे देश भर में कई बड़ी पार्टियों को सप्लाई करती है। अनुमान लगाने में हो सकता है कि आप लोग कुछ ज़्यादा ही अनुमान लगा लें। इसलिए हम आपको बताना चाहते हैं कि ये फैक्टरी 150 व 200 गज के प्लॉट में बनी हुई है जिसमें टीन की छत है और इसमें मज़दूरों की संख्या भी कुछ खास नहीं है। क़रीब-क़रीब 35 मज़दूर इस फैक्टरी में काम करते हैं और इसमें मज़दूर की तनख्वाह भी बहुत ज़्यादा नहीं है। नये हेल्पर की (8 घण्टे) तनख्वाह 2600 रु. महीना। जो जितने साल पुराना कर्मचारी हो उसका उस हिसाब से। मगर फिर भी जो 10 साल पुराने भी हैं उनकी तनख्वाह 3500 रु. से ज़्यादा नहीं है। फिर भी ये फैक्टरी कैसे चलती है इसकी तारीफ तो मालिक की करनी ही होगी। ये ऐसी-ऐसी चालें चलते हैं कि एक मज़दूर की समझ के बाहर होती है। ख़ैर, इस फैक्टरी के मालिक ने प्रोडक्शन सिस्टम बना रखा है जो जितना माल तैयार करेगा उसकी उतनी दिहाड़ी बनेगी।