Category Archives: संघी ढोल की पोल

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले पर फ़ैसला, सभी दंगेबाज़ साम्प्रदायिक फ़ासीवादी हुए बरी

लखनऊ की सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने अपने फै़सले में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में नामज़द सभी जीवित 32 आरोपियों को दोषमुक्त करके मुक़दमे से बरी कर दिया है। कोर्ट के फ़ैसले के बाद न्यायपसन्द लोगों के ज़ेहन में नये सवाल ये उभर रहे हैं कि यदि यह कुकर्म पूर्वनिर्धारित-पूर्वनियोजित नहीं था तो फिर आडवाणी के नेतृत्व में संघी गिरोह की रथयात्राएँ किस चीज़ के लिए निकाली जा रही थी?

ट्रम्प की भारत यात्रा : “गुजरात मॉडल” की सच्चाई दीवारों के पीछे छिपाये न छिपेगी

पिछली 24-25 फ़रवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान अहमदाबाद में ट्रम्प के रोड शो का आयोजन किया गया। चूँकि इस रोड शो के रास्ते के कुछ हिस्से में ग़रीबों की झोंपड़पट्टियाँ भी आ रही थीं, इसलिए फटाफट 500 मीटर लम्बी दीवार खड़ कर दी गयी ताकि ट्रम्प को “न्यू इण्डिया” का ही दर्शन हो पाये और असली भारत दीवार के पीछे छिप जाये।

ये झूठ है! झूठ है! झूठ है!

22 दिसंबर को नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली के दौरान कहा था: डिटेंशन सेंटर की अफ़वाहें हैं; यह झूठ है, झूठ है, झूठ है। 24 दिसम्बर को अमित शाह ने कहा: डिटेंशन सेंटर सतत प्रक्रिया है, अगर कोई विदेशी नागरिक पकड़ा जाता है तो उसे डिटेंशन सेंटर में रखते हैं। शाह ने कहा: 6 साल में एनआरसी पर कोई बात नहीं हुई। लेकिन संसद में और कई चुनावी रैलियों में अमित शाह ने कहा था: ये मानकर चलिए, एनआरसी आने वाला है।

राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ की देशभक्ति का सच

आरएसएस और उसकी पार्टी, यानी भाजपा, इस समय देशभक्ति के सबसे बड़े ठेकेदार बने हुए हैं। मोदी सरकार की कारगुज़ारियों के ख़ि‍लाफ़ अगर इस

देश का कोई भी नागरिक आवाज़ उठाता है, तो उसे “देशद्रोही” करार दिया जाता है। मगर ख़ुद इनकी देशभक्ति की सच्‍चाई क्‍या है? पिछले छह वर्षों में मोदी सरकार ने किस तरह से देश की जनता के ख़ि‍लाफ़ काम किया है, और किस तरह से मुटद्यठीभर देशी-विदेशी पूँजीपतियों के हाथों इस देश की सम्‍पदा को बेचा है, उसकी बात तो हम करते ही रहे हैं।

सियाचिन में खड़े जवान भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बटोरने का साधन हैं!

भाजपा समर्थक बात-बात पर सेना के जवानों की दुहाई देते हैं। नरेन्द्र मोदी पुलवामा के शहीद जवानों के नाम पर वोट माँगने में भी नहीं शर्माते। मगर इन्हीं जवानों की हालत क्या है? भारत के नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक (सीएजी) की संसद में पेश रिपोर्ट के मुताबिक सियाचिन, लद्दाख, डोकलाम जैसे ऊँचे क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को ज़रूरत के अनुसार कैलोरी वाला भोजन नहीं मिल रहा। उन्हें वहाँ के मौसम से निपटने के लिए जिस तरह के ख़ास कपड़ों की ज़रूरत होती है उसकी ख़रीद में भी काफी देरी हुई।