मोदी सरकार के आपराधिक निकम्मेपन की सिर्फ़ दो मिसालें देखिए!
– पत्रकार दिलीप ख़ान की फ़ेसबुक वॉल से साभार
5 मई 2021 की दो पोस्टों पर आधारित
जब देशभर में लाखों मरीज़ ऑक्सीजन के अभाव में तड़प रहे थे, हज़ारों रोज़ मर रहे थे, अस्पतालों तक में ऑक्सीजन ख़त्म होने से मौतें हो रही थीं, तब मोदी सरकार के नाकारापन की यह बानगी देखिए!
1. गुजरात के गाँधीधाम के एसईज़ेड में देश के कुल दो तिहाई ऑक्सीजन सिलेण्डर बनते हैं।
2. पिछले 10 दिनों से यहाँ के सभी प्लाण्ट्स में ताला बन्द है।
3. वजह? वजह यह कि सरकार ने औद्योगिक ऑक्सीजन के इस्तेमाल पर पाबन्दी लगायी थी। लेकिन, आदेश में इन सिलेण्डर निर्माता इकाइयों को भी शामिल कर लिया गया।
4. फिर 27 तारीख़ को गृह मंत्रालय को इलहाम हुआ तो एक ‘स्पष्टीकरण’ जारी किया गया। इसमें कहा गया कि ऑक्सीजन सिलेण्डर बनाने वाले कारख़ानों को लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाये।
5. लेकिन, यह आदेश काग़ज़ों में ही सिमटकर रह गया। गुजरात सरकार के पास या तो आदेश की कॉपी नहीं पहुँची या फिर वहाँ की भाजपा सरकार को ऑक्सीजन की कमी से मर रहे लोगों की फ़िक्र नहीं है। हफ़्ते भर बाद भी सारे कारख़ाने बन्द पड़े हुए हैं।
6. उद्योग से जुड़े लोगों का दावा है कि उन्होंने ऑक्सीजन की आपूर्ति की कमी को लेकर सरकार के ‘सर्वोच्च स्तर’ पर अपनी चिंता ज़ाहिर की, लेकिन हुआ कुछ नहीं।
7. गाँधीधाम से ऑक्सीजन सिलेण्डर की आपूर्ति देश के लगभग सभी राज्यों में होती है क्योंकि 100 में से 66 सिलेण्डर यहीं बनते हैं। अभी हालत ये है कि सरकार विदेशों से भीख माँग रही है या फिर दोगुने-चौगुने दाम पर ऑक्सीजन सिलेण्डर ख़रीद रही है। जो अपने कारख़ाने हैं, वहाँ ताला जड़कर बैठी हुई है।
8. न मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने इसका पालन किया और न ही राज्य के खाद्य और औषधि प्राधिकरण के कानों पर जूँ रेंगी।
9. पूरा देश कुप्रबन्धन का शिकार बना बैठा है। देश को जितनी ऑक्सीजन की ज़रूरत है, उतनी भारत में रोज़ बन सकती है। हालात आपाकाल जैसे हैं, लेकिन जनसंहार के बीच भीषण अयोग्य प्रधानमंत्री टिनोपाल डालकर कुर्ता रंगने में जुटा है।
इससे निकम्मी सरकार भारत ने कभी नहीं देखी। यह जनरल डायर जैसी क्रूर और हत्यारी सरकार है। 25 अप्रैल से लेकर अब तक कई हवाई जहाज़ों में लादकर दुनिया के कई देशों ने भारत को ऑक्सीजन सिलेण्डर, ऑक्सीजन कन्सण्ट्रेटर्स, वेण्टिलेटर समेत कई ज़रूरी सामान भेजे। 18 घण्टे काम का ढोंग करने वाली नरेन्द्र मोदी की हत्यारी सरकार एक हफ़्ते तक एस.ओ.पी. नहीं बना पायी जिससे सारा सामान हवाई अड्डों पर ही पड़ा रहा और लोग मरते रहे।
एस.ओ.पी. का मतलब होता है स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर, यानी किसी स्थिति के संचालन के सरकारी तौर-तरीक़े, नियम-क़ायदे।
एस.ओ.पी. अब तक नहीं बनता अगर अमेरिका के एक पत्रकार ने वहाँ अपनी सरकार से सवाल नहीं पूछे होते। अमेरिकी पत्रकार ने पूछा कि उनके करदाताओं के पैसे से अमेरिकी सरकार ने सहायता के तौर पर जो सामान दिल्ली भेजा, उसका कुछ अता-पता नहीं चल पा रहा है।
अमेरिका ने जब मोदी सरकार को कोंचा, तब पता चला कि विदेश मंत्रालय स्वास्थ्य मंत्रालय के भरोसे था और स्वास्थ्य मंत्रालय गृह मंत्रालय के। किसी मंत्रालय को पता नहीं था कि सामान का बँटवारा किस मंत्रालय की ज़िम्मेदारी है। इस बीच देश में लोग तड़प-तड़पकर मर रहे थे।
मज़दूर बिगुल, मई 2021
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