छह राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के नतीजे और उनके मायने
महॅंगाई, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के कारण देश के व्यापक आबादी में एक असन्तोष का वातावरण है। विधानसभा उपचुनाव के नतीजे इस तरफ संकेत कर रहा है। साथ ही यह नज़र आ रहा है कि बुर्जुआ व्यवस्था के भीतर विकल्पहीनता के दायरे में ही सही, अगर बुर्जुआ विपक्ष मोदी सरकार द्वारा बाँह मरोड़ने के प्रयासों से आतंकित नहीं हुआ और कम-से-कम 300 सीटों पर विपक्ष का एक अकेला उम्मीदवार खड़ा करने में कामयाब हुआ, तो भाजपा के लिए 2024 के चुनावों में दिक्कत पैदा हो सकती है। इसीलिए भाजपा अभी से साम्प्रदायिक दंगे व लहर फैलाने और अन्धराष्ट्रवाद फैलाने की कोशिशों में लग गयी है। जनता को सावधान रहना होगा।