धन्नासेठों के चन्दे पर निर्भर पूँजीवादी संसदीय चुनाव – जिसका खायेंगे उसका गायेंगे
एडीआर की रिपोर्ट से जो यह खुलासा हो पाया, वह भी आगे ना हो पाये, इसका इन्तज़ाम भाजपा सरकार कर रही है। मालूम हो कि कारपोरेट चन्दे से जुड़ी जानकारी हर वित्तीय वर्ष में चुनाव आयोग को देनी होती है। लेकिन अब ऐसे खुलासे आम लोगों तक नहीं पहुँच सकेंगे, क्योंकि एडीआर के संस्थापक प्रोफ़ेसर जगदीप छोकर ने बताया कि वित्त मन्त्री अरुण जेटली ने क़ानून पास करवा दिया है कि अब इलेक्टोरल बॉण्ड की ख़रीद करके कम्पनियों और राजनीतिक दलों को यह बताना ज़रूरी नहीं होगा कि किस कारपोरेट घराने ने किस पार्टी को कितना चन्दा दिया है और किसने कितना लिया है, यह पारदर्शिता के िख़लाफ़ है।