करावल नगर मज़दूर यूनियन ने मज़दूर माँगपत्रक आन्दोलन के दूसरे चरण की शुरुआत की
करावल नगर मज़दूर यूनियन ने इलाक़े में असंगठित क्षेत्र के लाखों मज़दूरों की माँगों को लेकर मज़दूर माँगपत्रक आन्दोलन की नयी शुरुआत की। वैसे ज़्यादातर मज़दूर साथी जानते हैं कि हमने 1 मई 2011 को देश की राजधानी में हज़ारों मज़दूरों के जुटान के साथ अपना 26 सूत्री माँगपत्रक प्रधानमन्त्री और श्रममन्त्री को सौंपकर यह ऐलान किया था कि मज़दूरों का यह पहला जुटान सिर्फ़ एक चेतावनी है कि मज़दूरों की इन जायज माँगों को पूरा किया जाये, वरना आने वाले समय में मज़दूरों का ये सैलाब एक सुनामी की तरह शासक वर्ग की नींद हराम कर देगा।
अगर हम करावल नगर औद्योगिक क्षेत्र पर नज़र डाले तो यहाँ सैकड़ों क़िस्म की छोटी फ़ैक्टरियाँ, वर्कशाप और बादाम के गोदाम हैं जहाँ लाखों मज़दूर आधुनिक गुलामों की तरह काम करते हैं। इनमें बादाम प्रसंस्करण, कुकर, गत्ता, गारमेण्ट, प्लास्टिक दाना, तार, खिलौना प्रमुख हैं। इनमें से ज़्यादातर में 10 से 20 मज़दूर काम करते हैं। कुछ एक फ़ैक्टरियों में मज़दूरों की संख्या 50 से अधिक है। इसके अलावा भवन निर्माण के मज़दूरों से लेकर रिक्शा-ठेला मज़दूरों की संख्या हज़ारों में हैं। ऐसे में, करावल नगर मज़दूर यूनियन किसी एक पेशे या फ़ैक्टरी की यूनियन नहीं है, बल्कि यह इलाक़ाई यूनियन के तौर पर मज़दूरों की बीच काम कर रही हैं जो एक तरफ मज़दूरों की संकुचित पेशागत प्रवृत्ति को तोड़ती है और साथ ही मज़दूरों के आर्थिक संघर्षों के साथ उनके बुनियादी नागरिक अधिकारों के संघर्ष का नेतृत्व भी करती है। वैसे भी, असंगठित मज़दूरों को संगठित करने की चुनौती में इलाक़ाई मज़दूर यूनियन मज़दूर वर्ग के आन्दोलन में एक जबरदस्त अस्त्र सिद्ध हो सकता है। इसके मद्देनजर, करावल नगर मज़दूर इलाक़े में एक परचा वितरित किया गया है, जिसे लेकर यूनियन का प्रचार दस्ते मज़दूरों की लॉजों, फ़ैक्टरी गेट से लेकर लेबर चौक तक नुक्कड़ सभाएँ करके एक संघर्ष की शुरुआत कर रहे हैं।
मज़दूर बिगुल, फरवरी 2013