एक मज़दूर की अन्तरात्मा की आवाज़
सिद्धेश्वर यादव, वेल्डर क्रान्तिकारी यूनियन का सदस्य, फौजी कलोनी, लुधियाना
मेरे प्यारे गरीब मजदूर-किसान भाइयो एवं साथियो। आज की पूँजीवादी व्यवस्था में आला अफसरों, अधिकारियों, नेताओं, फैक्टरी मालिकों, साहूकारों, पुलिस अफसरों में मजदूरों का दमन करने की होड़ लगी हुई है। कोई भी साधारण से साधारण व्यक्ति जब ऊंचे ओहदे वाला अधिकारी बन जाता है तो वह अपनी नैतिक जिम्मेवारी छोड़कर धनाढ्य बनने का सपना देखने लगता है। उसके पास बंगला-गाड़ी हो, चल-अचल सम्पत्ति की भरमार हो इसलिए जनता को लूटना-खसोटना शुरू कर देता है। नेता लोग गरीबों-दलितों को अपने समर्थन में लेने के लिए बड़े-बड़े वायदे करते हैं। गरीबों के उत्थान, रोजी-रोटी, कपड़ा और मकान का वादा करते हैं। गरीबों और दलितों के समर्थन से जब नेता कुर्सी पा जाते हैं तो गरीबों के ख्वाब ख्वाब ही रह जाते हैं। दलित उत्थान का ख्वाब अधर में ही लटक जाता है। सभी नेताओं का यही हाल है चाहे लालू प्रसाद यादव हो, रामविलास पासवान या यूपी की मुख्यमन्त्री बहन मायावती। यह सभी पूँजीपति का साथ पाकर ही सरकार चलाते हैं। इसलिए शोषित मजदूर साथियो, किसान भाइयो, इनके राजनीतिक खेल को समझो और इनके झूठे वायदों में न आओ। जिस तरह नदी के दो किनारे होते हैं और एक किनारे को पकड़कर ही हमारा जीवन बच सकता है, उसी तरह देश में दो अलग-अलग वर्ग हैं। एक पूँजीपति वर्ग है जो ज़ुल्म, अत्याचार, लूट-खसोट करता है। दूसरी तरफ मजदूर वर्ग है जो समाज की हर चीज पैदा करता है। लेकिन जिसे समाज में कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। हर एक मजदूर सारे मजदूर वर्ग के साथ खड़े होकर ही इन्साफ पा सकता है। यही बात बिगुल अखबार के माध्यम से गरीबों, शोषितों, मजदूरों को बतायी जा रही है ताकि उनमें जागृति आये, वे अपने हक के लिए आवाज उठायें। हम आजाद देश के गुलाम हैं। आजादी सिर्फ पूँजीपति वर्ग तक सीमित है, और वह हमारी लूट करता है। वह बल-छल से मजबूत बना हुआ है। यह भस्मासुर है। इसके पास आसुरी शक्तियाँ हैं। इस राक्षस का विनाश करने के लिए हमें एकजुट होना होगा। किसी आदर्शवादी समाजवादी नेता का हाथ पकड़ना होगा जो त्याग, तपस्या, ईमानदारी भरे जीवन से परिपूर्ण हो। ऐसा नेता हमारे लिए एक बूँद खून बहायेगा तो हम उसके लिए दस बूँद ख़ून बहायेंगे। इसलिए शोषित मजदूर भाइयो और ग़रीब किसान भाइयो, अपने बाल-बच्चों, बहन-बेटी को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाकर उनको जागृत करो तथा निडर बनाओ ताकि शोषण, ज़ुल्म के खिलाफ बेहतर जीवन जीने के लिए वे आवाज उठायें।
अमेरिका के मजदूर नेताओं ने मजदूरों के भयंकर शोषण के खिलाफ आवाज उठायी। मजदूरों को 16-18 घण्टे तक काम करता देखकर उन्होंने मजदूरों को संगठित किया। वे मजदूर क्रान्ति के लिए लड़े। उन्होंने हँसते हुए फाँसी का फन्दा चूमा। वे दुनिया के मज़दूरों को सन्देश देकर गये कि दुनिया के मजदूरो एक हो। शहीद भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु आदि वीर नौजवानों ने आजादी के लिए फाँसी का फन्दा चूमा और शोषण और ज़ुल्म के खिलाफ लड़ने का सन्देश दे गये। आज उनके सन्देश को हर मजदूर, देश की समस्त मेहनतकश जनता तक पहुँचाना हमारा फर्ज बनता है। हमें उनका सपना साकार करना है। हमें कुर्बानियाँ देने वाले मजदूर नेताओं के सपने पूरे करने के लक्ष्य को हर मजदूर का लक्ष्य बनाना होगा। कुछ झूठे मजदूर नेता भी हैं जो दुकानदारी चलाते हैं। उनसे सावधान रहना चाहिए। वे धोखेबाज मालिकों के दलाल हैं, उनके चमचे हैं। हमारा कल्याण ईमानदार नेतृत्व से ही हो सकता है।
हमें एकजुट होकर मालिकों, नताओं, आला अफसरों द्वारा हो रहे मज़दूरों के दमन के विरुद्ध, मान-सम्मान की जिन्दगी जीने के अधिकार के लिए संघर्ष करना है। हमें अच्छे नेतृत्व वाले संगठन से जुड़ना होगा। हमें आने वाली पीढ़ी के लिए आजादी हासिल करनी है। एकजुटता से ही हमें आजादी मिल सकती है।
बिगुल, अगस्त 2009
‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्यता लें!
वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये
पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये
आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये
आर्थिक सहयोग भी करें!
बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन
आप ने बिलकुल सही कहा।