चार क्रान्तिकारी संगठनों ने अमर शहीद सुखदेव का जन्मदिन मनाया
शहीद सुखदेव के जन्म स्थान नौघरा मोहल्ला में हुआ श्रद्धांजलि कार्यक्रम
बिगुल संवाददाता
15 मई को शहीद सुखदेव के जन्म स्थान नौघरा मोहल्ला, लुधियाना में बिगुल मज़दूर दस्ता, लोक मोर्चा पंजाब, इंक़लाबी केन्द्र पंजाब व इंक़लाबी लोक मोर्चा द्वारा संयुक्त तौर पर शहीद सुखदेव का जन्मदिन मनाया गया। घण्टाघर चौक के नज़दीक नगर निगम कार्यालय से लेकर नौघरा मोहल्ला तक पैदल मार्च किया गया। शहीद सुखदेव की यादगार पर लोगों ने श्रद्धांजलि फूल भेंट किये। इस अवसर पर बिगुल मज़दूर दस्ता के राजविन्दर, लोक मोर्चा पंजाब के कस्तूरी लाल, इंक़लाबी केन्द्र पंजाब के नेता कंवलजीत खन्ना व इंक़लाबी लोक मोर्चा के विजय नारायण ने सम्बोधित किया।
वक्ताओं ने कहा कि उनके लिए शहीद सुखदेव को याद करना कोई रस्मपूर्ति नहीं है। क्रान्तिकारी शहीदों की कुर्बानियाँ मानवता की लूट, दमन, अन्याय के खि़लाफ़ जूझने वालों के लिए हमेशा से प्रेरणा का स्रोत रही हैं। उन्होंने कहा – शहीद सुखदेव और उनके साथी सिर्फ़ अंग्रेज़ हुकूमत से आज़ादी के लिए नहीं लड़ रहे थे। शहीद सुखदेव व उनके साथियों के विचारों के जितने बड़े दुश्मन अंग्रेज़ हाकिम थे, उतने ही बड़े दुश्मन भारतीय हाकिम भी हैं।
वक्ताओं ने कहा कि सुखदेव का यह स्पष्ट मानना था कि सिर्फ़ अंग्रेज़ों की गुलामी से मुक्ति से ही मेहनतकशों की जि़न्दगी बेहतर नहीं हो जायेगी, कि जब तक समाज के समूचे स्रोत-संसाधनों पर मेहनतकश लोगों का क़ब्ज़ा नहीं हो जाता तब तक जनता बदहाल ही रहेगी। वे समाज के स्रोत-संसाधनों पर चन्द धन्नाढ्यों का क़ब्ज़ा नहीं चाहते थे, बल्कि उनकी लड़ाई तो समाजवादी व्यवस्था क़ायम करने के लिए थी। सुखदेव ने लिखा था – ”हिन्दुस्तानी सोशलिस्ट रिपब्लिकन पार्टी के नाम से ही साफ़ पता चलता है कि क्रान्तिकारियों का आदर्श समाज-सत्तावादी प्रजातन्त्र की स्थापना करना है।”
वक्ताओं ने शहीद सुखदेव को धर्म, जाति, बिरादरी, क्षेत्र आदि से जोड़कर उनकी कुर्बानी के महत्व को कम करने व उनके विचारों पर पर्दा डालने की जाने-अनजाने में हो रही कोशिशों का विरोध करते हुए कहा कि उनकी लड़ाई तो समूची मानवता को हर तरह की आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक गुलामी, लूट, दमन, अन्याय से मुक्त करने की थी। मेहतनकश लोगों का ग़रीबी-बदहाली, बेरोज़गारी से छुटकारा धर्मों, जातियों, क्षेत्रों आदि के भेद मिटाकर एकजुट होकर लुटेरे हाकिमों के खि़लाफ़ क्रान्तिकारी वर्ग संघर्ष के ज़रिये ही हो सकता है।
वक्ताओं ने कहा कि अमीरी-ग़रीबी की बढ़ती खाई, बेरोज़गारी, इलाज योग्य बीमारियों से भी मौतें, बाल मज़दूरी, स्त्रियों के विरुद्ध बढ़ते अपराध, ग़रीबों की शिक्षा से बढ़ती दूरी, वोटों के लिए लोगों को धर्म-जाति आधारित साम्प्रदायिकता की आग में झोंक देने की तेज़ हो रही घिनौनी साजिशें, क़दम-क़दम पर साधारण जनता पर बढ़ता जा रहा ज़ोर-जुल्म – यही वो आज़ादी है जिसके गुणगान देश के हाकिम पिछले 70 वर्षों से करते आये हैं। देशी-विदेशी धन्नासेठ मालामाल हैं, लेकिन लोग कंगाल हैं। ग़रीबी-बदहाली के महासागर में अमीरी के कुछ टापू – यही है आज़ाद भारत की भयानक तस्वीर। जनता के हक़ों के लिए संघर्षशील लोगों को देशद्रोही क़रार देकर दमन किया जा रहा है। जब से केन्द्र में मोदी सरकार बनी है तब से जनाधिकारों पर हमला और भी तेज़ हो गया है। उन्होंने कहा कि शहीद सुखदेव और उनके साथियों के सपनों का समाज बनना अभी बाक़ी है। उन्होंने शहीद सुखदेव के जन्मदिन पर इंक़लाबी शहीदों की सोच अपनाने व फैलाने का प्रण करने व उनके सपनों के समाज के निर्माण की ज़ोरदार तैयारी में जुट जाने का आह्वान किया।
मज़दूर बिगुल, मई 2018
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