बोलते आँकड़े चीखती सच्चाइयाँ

  • अमेरिकी अर्थव्यस्था 2008 की चौथी तिमाही में 3.8 प्रतिशत सिकुड़ गयी। 1982 के बाद से यह इसका सबसे खराब प्रदर्शन है। ज्यादातर कम्पनियों के गोदाम अनबिके मालों से भरे हुए है और इसलिए 2009 की पहली तिमाही में उत्पादन में और अधिक कटौती, और अधिक छँटनी और अर्थव्यवस्था का और अधिक सिकुड़ना तय है।

    अमेरिका में नौकरी की तलाश में जुटे बेरोज़गारों की भीड़

    अमेरिका में नौकरी की तलाश में जुटे बेरोज़गारों की भीड़

  • पिछले वर्ष की अन्तिम तिमाही में अमेरिकी निर्यात में 19.7 प्रतिशत और आयात में 15.7 प्रतिशत की गिरावट आ गयी।
  • दुनिया की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के भी सिकुड़ने की भविष्यवाणी की जा रही है। यूरोजोन की अर्थव्यवस्था 2 प्रतिशत, ब्रिटेन की 2.8 प्रतिशत और जापान की अर्थव्यवस्था 2.6 प्रतिशत सिकुड़ सकती है।
  • कुछ अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि विश्व अर्थव्यवस्था -0.5 प्रतिशत की दर से ट्टणात्मक वृद्धि का सामना कर सकती है। 1930 के दशक की महामन्दी के बाद से पहली बार ऐसा होगा।
  • मंदी की शुरुआत से अब तक अमेरिका में 40 लाख नौकरियाँ जा चुकी हैं। सिर्फ पिछले तीन महीनों में 18 लाख लोगों की नौकरी चली गयी है। इसी दर से अगले दो साल में एक करोड़ 40 लाख रोजगार खत्म होने का अन्देशा ज़ाहिर किया जा रहा है।
  • अमेरिका में इस समय एक करोड़ 16 लाख बेरोजगार और 78 लाख अर्द्धबेरोजगार हैं।
  • जापान में बेरोजगारी में पिछले 41 वर्ष में सबसे तेज बढ़ोत्तरी हुई है। मार्च तक कम से कम 4 लाख अस्थायी मज़दूर निकाल दिये जायेंगे। इनमें से बहुत से तो बेघर हो जायेंगे क्योंकि वे फैक्ट्री की डॉरमिट्री में ही रहते थे।
  • चीन के 13 करोड़ प्रवासी मजदूरों में से 2 करोड़ बेरोजगार हो चुके है।
  • यूरोपीय संघ के 27 देशों में बेरोजगारी की दर 8.7 प्रतिशत हो चुकी है। फ्रांस में यह दर 10.6 प्रतिशत है जबकि स्पेन में बेरोजगारी की दर 14.4 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है।
  • अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन की हाल की रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष के अन्त तक दुनिया भर में 5 करोड़ से ज्यादा रोजगार छिन जायेंगे।
  • भारत में पिछले चार माह में मंदी के कारण 5 लाख नौकरियां चली गयीं। अनुमान किया जा रहा है कि सिर्फ निर्यात क्षेत्र में अगले एक वर्ष में 1 करोड़ नौकरियां चली जायेंगी।
  • घोषित आँकड़ों से कहीं अधिक संख्या नौकरी से निकाले गये अस्थायी और ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों की है क्योंकि इनके बारे में नियोक्ता सरकार को पूरी जानकारी नहीं देते। पिछले दो दशकों से अस्थायी कर्मचारियों की संख्या दुनिया भर में बढ़ी है। अमेरिका में कुल कर्मचारियों के एक तिहाई यानी लगभग सवा चार करोड़ कर्मचारी अस्थायी हैं।
  • अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन का अनुमान है कि काम करते हुए भी बेहद गरीबी में जीने वाले लोगों की संख्या 1 अरब 40 करोड़ तक यानी दुनिया के कुल रोजगारशुदा लोगों के 45 प्रतिशत तक पहुँच सकती है। इस समय गरीबी रेखा से कुछ ऊपर रह रहे लोगों में से 20 प्रतिशत इस वर्ष बेहद गरीबी में धँस जायेंगे।

 

 

बिगुल, फरवरी 2009

 


 

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