दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा के नेतृत्व में दिल्ली के जन्तर-मन्तर पर पेपर लीक और भर्तियों में धाँधली के खिलाफ़ छात्रों-युवाओं का जुझारू प्रदर्शन!
पुलिस ने आन्दोलन का बर्बरतापूर्वक दमन किया और सैकड़ों छात्रों को हिरासत में लेकर कापसहेड़ा बॉर्डर थाने में रखा!
मोदी सरकार और दिल्ली पुलिस का छात्र-युवा विरोधी चेहरा एक बार फिर से बेनकाब!
पारदर्शी परीक्षा प्रणाली और भ्रष्टाचार मुक्त भर्ती व्यवस्था हमारा हक़ है, पुलिसिया दमन से हमारा संघर्ष थमेगा नहीं!
पेपर लीक और भर्तियों में धाँधली के खिलाफ़ भगतसिंह जनअधिकार यात्रा के तहत दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा का आन्दोलन जारी रहेगा!

बिगुल संवाददाता

‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ की ऐतिहासिक तारीख़ 9 अगस्त के दिन परीक्षाओं में पेपर लीक और भर्तियों में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ़ राजधानी दिल्ली में जन्तर-मन्तर पर छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। इसमें देश के 12 राज्यों से सैकड़ों की संख्या में छात्र-युवा प्रतिनिधि शामिल हुए। दिल्ली पुलिस ने जुटान से पहले ही “अनुमति” न होने का हवाला दे दिया था। यही इस देश में विरोध करने के जनवादी अधिकार की असल हक़ीक़त बन चुकी है। इसके बावजूद जब छात्र-युवा संसद मार्ग थाने तक एक रैली की शक़्ल में पहुँच गये तब दिल्ली पुलिस के अफ़सरों को मजबूरन जन्तर-मन्तर पर सभा के लिए जगह देनी पड़ी। जन्तर-मन्तर पर चली सभा को अलग-अलग राज्यों से आये छात्र-युवा प्रतिनिधियों ने सम्बोधित किया। अन्धी-बहरी फ़ासीवादी मोदी सरकार का कोई भी प्रतिनिधि छात्र-युवाओं का ज्ञापन लेने तक नहीं आया। प्रदर्शनकारी जब ज्ञापन सौंपने के मक़सद से संसद मार्ग की ओर बढ़े तो मोदी सरकार की दिल्ली पुलिस ने दमन का पाटा चला दिया। छात्राओं तक को बुरे तरीक़े से घसीटा गया। कइयों के कपड़े तक फट गये। लातों-घूँसों से छात्र-छात्राओं को पीटा गया। केशव, अंजलि, नीशू, विशाल आदि कई साथियों को अलग से निशाना बनाया गया। घण्टाभर चली जद्दोजहद के बाद पुलिस द्वारा सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को बसों में ठूँस दिया गया। दिल्ली की सड़कों पर उन्हें घण्टों घुमाया गया। इस दौरान पानी ही नहीं बल्कि घायल और बेहोश साथियों को प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा तक नहीं दी गयी। प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर कापसहेड़ा थाने में रखा गया। हिरासत के दौरान भी छात्रों-युवाओं का धरना लगातार जारी रहा। ख़बर फ़ैलने के बाद देशभर से नागरिकों, बुद्धिजीवियों ने दिल्ली पुलिस-प्रशासन पर दबाव बनाया। अपनी फ़जीहत होती देख और आन्दोलन के तीखे तेवर के सामने पुलिस को अन्त में हार माननी पड़ी और प्रदर्शनकारी छात्रों-युवाओं को बिना किसी कार्रवाई के देर शाम रिहा करना पड़ा। आन्दोलन को आगे बढ़ाने के नये संकल्प के साथ प्रदर्शन का समापन हुआ।

इस देश के हुक्मरानों का अपनी न्यायपूर्ण माँगों के लिए शान्तिपूर्ण विरोध कर रहे आम छात्रों-युवाओं के प्रति रवैया फिर से साफ़ हो गया। ख़ासतौर पर भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान देश में बेरोज़गारी, परीक्षाओं में पेपर लीक और भर्तियों में भ्रष्टाचार पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ चुका है। प्रधानमन्त्री मोदी जी ने कभी इस बात पर गर्व किया था कि हमारा देश युवा आबादी का सबसे बड़ा देश है। लेकिन युवा आबादी के इस सबसे बड़े देश के युवाओं का भविष्य अँधेरे की गर्त में है। पिछले सात सालों के दौरान 80 से ज़्यादा परीक्षाओं के पेपर लीक हो चुके हैं। भर्तियों में होने वाला भ्रष्टाचार हम सबके सामने है। आरओ-एआरओ, यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा, बीपीएससी से लेकर हाल में नीट और यूजीसी नेट जैसी परीक्षाओं की एक लम्बी फ़ेहरिस्त है। इस पर भी मौजूदा शिक्षा मन्त्री धर्मेन्द्र प्रधान संसद में यह बयान देने की बेशर्मी कर रहे हैं कि भाजपा के कार्यकाल में एक भी पर्चा लीक नहीं हुआ है। केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाएँ भी आयोजित करने वाली एनटीए जैसी संस्था को बिना किसी सुव्यवस्थित ढाँचे के चलाया जा रहा है जिसका नतीजा यह है कि एनटीए द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ सामने आ रही हैं। एनटीए द्वारा आयोजित की जाने वाली सभी परीक्षाएँ प्राइवेट एजेंसियों के माध्यम से करायी जा रही हैं। विभिन्न परीक्षाओं के पेपर सरकारी प्रेसों की जगह प्राइवेट प्रेसों से छपवाये जा रहे हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश में आरओ-एआरओ परीक्षा में पेपर लीक में प्राइवेट प्रेस से ही पेपर लीक हुआ था। कहना नहीं होगा छात्रों-युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ लगातार जारी है। हमारे सपनों को मोदी सरकार के राज के दौरान बुरी तरह से कुचला गया है।

वास्तव में परचा लीक और धाँधली की इन बढ़ती घटनाओं को देश में परीक्षा और शिक्षा के सरकारी तन्त्र की विश्वसनीयता को समाप्त करके निजी तन्त्र को बढ़ावा देने की सरकार की कवायद से अलग करके नहीं देखा जा सकता है। इस वर्ष ही एनटीए द्वारा सीयूईटी (यूजी) प्रवेश परीक्षा के परिणाम बहुत देर से जारी किये गये और तब तक बड़े पैमाने पर छात्र विभिन्न प्राइवेट विश्वविद्यालयों में दाखिला ले चुके थे। ऑल इण्डिया सर्वे ऑफ़ हायर एजुकेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के विश्वविद्यालयों में 2014 से 2021 के दौरान 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई लेकिन इस वृद्धि का 84 प्रतिशत निजी विश्वविद्यालयों में चला गया। मोदी सरकार नीत नयी शिक्षा नीति के लागू होने के साथ ही यह प्रक्रिया और तेज़ हुई है। यानी एक तरफ़ सरकारी विश्वविद्यालयों के पूरे ढाँचे को ही तहस-नहस किया जा रहा है, और दूसरी तरफ़ परीक्षाओं में धाँधली और भ्रष्टाचार के माध्यम से उनकी विश्वसनीयता को समाप्त करके उनपर दोहरा हमला किया जा रहा है।

मौजूदा भाजपा सरकार का छात्रों के प्रति सरोकार साफ़ है। इसी भाजपा ने 2014 में हर साल 2 करोड़ रोज़गार देने का वायदा किया था। केन्द्र सरकार के तहत आने वाली भर्तियों के लिए आठ सालों में 22.5 करोड़ से ज़्यादा नौजवानों ने आवेदन भरे, लेकिन नौकरी महज़ 7 लाख 22 हज़ार नौजवानों को मिली। प्रधानमन्त्री “परीक्षा पर चर्चा” के लिए जितने उत्सुक रहते हैं, परीक्षाओं में धाँधली के बारे में बात करने में इस सरकार को उतना ही काठ मार जाता है। भाजपा सरकार के शीर्ष नेतृत्व के हिसाब से तो पकौड़े तलना और भीख माँगना भी रोज़गार की श्रेणी में आता है! सरकारी रिपोर्ट के ही अनुसार 2022 में हर 2 घण्टे में 3 छात्रों ने आत्महत्या की है। निजीकरण-उदारीकरण को बढ़ावा देने वाली भाजपा सरकार देश के नौजवानों को भविष्य की अनिश्चितता और अवसाद ही दे सकती है। भाजपा ने छात्रों-युवाओं को रोज़गार के नाम पर केवल छलाभर है। आठ करोड़ रोज़गार देने का मोदी सरकार का दावा एक सफ़ेद झूठ के अलावा और कुछ नहीं है। सच्चाई यह है कि मोदी सरकार के पिछले एक दशक के कार्यकाल में बेरोज़गारों की संख्या बढ़ी है। आईएलओ की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में बेरोज़गारों में 84 प्रतिशत युवा हैं। एनसीआरबी के आँकड़ों के अनुसार देश में आत्महत्या करने वालों में दो-तिहाई संख्या युवाओं की है। पेपर लीक और धाँधली के पीछे भी वास्तव में रोज़गार का बढ़ता हुआ संकट ही ज़िम्मेदार है। देश में नियमित रोज़गार के अवसर लगातार घटते जा रहे हैं। ऐसे में जो थोड़ी-बहुत भर्तियाँ निकल रही हैं, उनको पैसे और पहुँच रखने वाले लोग किसी भी क़ीमत पर अपने लिए सुरक्षित करा लेना चाहते हैं। यही वजह है कि देश में जैसे-जैसे स्थायी नौकरियाँ घट रही हैं, परीक्षाओं में धाँधली और पेपर लीक की घटनाएँ उसी अनुपात में बढ़ती जा रही हैं।

पुलिसिया दमन से इस संघर्ष को रोका नहीं जा सकता है। मोदी सरकार को बंगलादेश के पूरे घटनाक्रम को देखकर चेत जाना चाहिए। छात्रों-युवाओं पर किया जाने वाला कोई भी दमन मोदी सरकार पर भारी पड़ेगा। दिशा और नौभास का मानना है कि पेपर लीक और भर्तियों में धाँधली के ख़िलाफ़ इस संघर्ष को इस पूरी व्यवस्था से, रोज़गार के हक़ की लड़ाई से जोड़ना होगा। पारदर्शी परीक्षा प्रणाली और भ्रष्टाचार मुक्त भर्ती व्यवस्था युवाओं का हक़ है और वे इसे लेकर रहेंगे। परीक्षाओं में पेपर लीक और भर्तियों में धाँधली के खिलाफ़ भगतसिंह जनअधिकार यात्रा के तहत दिशा-नौभास का आन्दोलन जारी रहेगा!

मज़दूर बिगुल, अगस्‍त 2024


 

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