सोवियत संघ और स्तालिन के बारे में
पाब्लो नेरूदा
सोवियत संघ, जो खून बहा
तुम्हारे संघर्षों में,
जो तुमने दिया एक मां के रूप में इस दुनिया को
ताकि मरती हुई आजादी जिन्दा रह सके,
यदि हम इकट्ठा कर सकते वो सारा खून,
तो हमारे पास एक नया सागर होता
दूसरे किसी भी सागर से अधिक बड़ा
दूसरे किसी भी सागर से अधिक गहरा
तमाम नदियों की तरह स्पन्दित
और सक्रिय, अराउकेनियन ज्वालामुखियों की आग की तरह।
अपने हाथ डुबाओ इस सागर में,
हर देश के लोगो, फिर बाहर निकाल लो और डुबो दो इसमें
वह सब कुछ जो भुला दिया गया है, जिसे लांछित किया गया है,
झुठलाया गया है और कलंकित किया गया है जिसे,
उन सबको, जो पश्चिमी घूरे के
सैंकड़ों छोटे-छोटे कुत्तोंं में शामिल हो गये हैं
और तुम्हारे रक्त को अपमानित किया है जिन्होंने,
ओ मुक्त लाेगों की मां
प्राचीन क्रेमलिन के तीन कमरों में
जोसेफ स्तालिन नामक एक आदमी रहता है,
बत्तियां उसके कमरे की, देर रात गये बुझती हैं
दुनिया और उसका देश उसे आराम नहीं करने देता।
दूसरे वीर एक देश को अस्तित्व में लाये,
उससे आगे, उसने उसे संजाेया,
और उसका निर्माण किया
और उसकी हिफाजत की।
उसकी विशाल धरती, इसलिए, उसका हिस्सा है,
और वह आराम नहीं कर सकता
क्योंकि वह धरती आराम नहीं करती।
दूसरे वक्तों में बर्फ और बारूद ने पाया उसे
पुराने लुटेरों का मुकाबला करते हुए
जो फिर से जिन्दा करना चाहते थे
कोड़ा और दु:ख, भूदासों को संताप,
करोड़ों विपन्नों की प्रसुप्त पीड़ा।
पश्चिम द्वारा “संस्कृति की रक्षा” के लिए भेजे गए
रैंगलों और देनिकिनों के खिलाफ था वह।
वहां अपने गुप्त शरण्यों से वंचित कर दिये गये थे वे लोग,
जल्लाादों के वे प्रतिरक्षक, और पूरे सोवियत संघ की
दूर-दूर तक फैली धरती पर स्तालिन ने काम किया दिन-रात।
लेकिन फिर पिघले सीसे की लहर के मानिन्द आये
जर्मन, जिन्हें चैम्बरलेन ने बनाया था मोटा-तन्दुरूस्त।
दूर तक विस्तारित सभी सीमान्तों पर स्तालिन ने मोर्चा लिया उनसे
हर हाल में, जब वे पीछे हट रहे थे, या चाहे आगे बढ़ रहे थे,
और जनगण के एक प्रचण्ड झंझावात की तरह सुदूर बर्लिन तक
पहुँचे उसके बेटे, लिये हुए रूस की व्यापक शान्ति।
वहां मोलोतोव और वोरोशिलोव भी हैं,
मैं देखता हूँ उन्हें, दूसरे आला जनरलों के साथ,
दुर्दम्य हैं जो।
बर्फ से ढंके शाह-बलूत के झुण्डों की तरह दृढ़।
महल नहीं है इनमें से किसी के पास।
किसी के भी पास नहीं है गुलामों की रेजिमेण्टें।
धनी नहीं बना इनमें से कोई भी युद्ध के जरिए,
खून बेचकर।
इनमें से कोई भी मोर की तरह
रियो डि जेनेरियो या बगोटा की यात्रा नहीं करता
क्षुद्र क्षत्रपों और खून के धब्बों से सजे जालिमों को निर्देश देने के लिए।
उनमें से किसी के भी पास नहीं हैं दो सौ सुट,
हथियार कारखानों में किसी की भी हिस्सेदारी नहीं है
और उनमें से सभी की हिस्सेदारी है
आह्लाद में और उस विशाल देश के निर्माण में
जहां भोर की अनुगूंंजें प्रतिध्वनित होती हैं
मौत की रात से उठती हुई।
उन्होंने दुनिया से कहा, “कामरेड।”
उन्होंने बढ़ई को राजा बनाया।
इस सुई की आंख से कोई ऊॅंट नहीं गुजरेगा।
उन्होंने गांवों की साफ-सफाई की,
जमीन का बंटवारा किया,
भूदास को ऊपर उठाया,
भिखमंगे को मुक्ति दी,
नृशंस का नाश किया।
गहरी रात मेंं रोशनी लेकर आये वे…
(एक लम्बी कविता का अंश)
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