Category Archives: मज़दूर बस्तियों से

राष्‍ट्रीय राजधानी में ग़रीबों के गुमशुदा बच्चों और पुलिस-प्रशासन के ग़रीब-विरोधी रवैये पर बिगुल मज़दूर दस्ता और नौजवान भारत सभा की रिपोर्ट

दिल्ली आज भी गुमशुदा बच्चों के मामले में देश में पहले स्थान पर है, जिनमें 80 प्रतिशत से ज़्यादा संख्या ग़रीबों के बच्चों की होती है। शायद इसीलिए पुलिस से लेकर सरकार तक कोई इस मुद्दे पर गम्भीर नहीं है। पिछले वर्ष सितम्बर तक दिल्ली में 11,825 बच्चे गुमशुदा थे। राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अनुसार हर साल दिल्ली से क़रीब 7,000 बच्चे गुम हो जाते हैं, लेकिन यह संख्या दिल्ली पुलिस के आँकड़ों पर आधारित है। हालाँकि विभिन्न संस्थाओं का अनुमान है कि वास्तविक संख्या इससे कई गुना अधिक हो सकती है क्योंकि ज़्यादातर लोग अपनी शिकायत लेकर पुलिस के पास जाते ही नहीं। पुलिस के पास गुमशुदगी की जो सूचनाएँ पहुँचती भी हैं, उनमें से भी बमुश्किल 10 प्रतिशत मामलों में एफ़आईआर दर्ज की जाती है। ज़्यादातर मामलों को पुलिस रोज़नामचे में दर्ज करके काग़ज़ी ख़ानापूर्ति कर लेती है।

नोएडा की झुग्गी बस्ती की एक तस्‍वीर

मैं नोएडा, सेक्टर–8 की झुग्गी बस्ती में रहता हूं। बस्ती के दक्षिण–पश्चिमी कोने में मेरी झुग्गी है। इस बस्ती में रहना धरती पर ही नर्क भोगने जैसा है। यहां इतनी ज्यादा समस्याएं हैं कि अगर किसी को एक सबसे महत्वपूर्ण और बुनियादी समस्या बताने को कहा जाये तो वह असमंजस में पड़ जायेगा। सुबह से शाम तक हर आदमी इस बस्ती में समस्याओं से ही दो–चार होते हुए जीता है।

समाज बदल सकता है बशर्ते हम एकजुट हों

बिगुल के माध्यम से हम लोगों को इन दलाल नेताओं से सावधान रहने और एकता बनाने का जो संदेश मिला है उससे हमारी स्थिति में थोड़ा बदलाव भी आया है। हम लोगों ने नौजवान भारत सभा की बैठकें शुरू कर दीं और लोगों को जगाना शुरू किया। इतने से ही हमारी बस्ती में अवैध वसूली रुक गयी है। आज इस बात की जरूरत है कि लोगों को एकजुट होना पड़ेगा। मजदूर भाइयों को शोषण करने वालों के खिलाफ जागना है। अगर सभी लोग जाग जाते हैं तो सुधार हो सकता है, समाज बदल सकता है।