नयी शिक्षा नीति के तहत आँगनवाड़ी केन्द्रों में प्री-प्राइमरी की पढ़ाई
आँगनवाड़ी कर्मियों से बेगारी करवाने का नया तरीक़ा!
केन्द्र सरकार ने नयी शिक्षा नीति के तहत प्री-प्राइमरी के बच्चों की आँगनवाड़ी में अनिवार्य पढ़ाई के निर्देश दिये हैं। नयी शिक्षा नीति के तहत आने वाले दिनों में जल्द ही पूरी शिक्षा व्यवस्था की नयी रूपरेखा तैयार की जायेगी जिसमें एक महत्वपूर्ण बात यह है कि हर बच्चे के लिए आवश्यक प्री-प्राइमरी की पढ़ाई आने वाले समय में आँगनवाड़ी कर्मियों के ज़िम्मे होगी। इस नयी ज़िम्मेदारी के लिए आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों की योग्यता कम से कम 12वीं पास होनी चाहिए। नयी शिक्षा नीति के तहत पहले से कार्यरत महिलाकर्मियों में से जिनके पास यह योग्यता नहीं होगी, उन्हें अलग से एक साल इसका प्रशिक्षण लेना पड़ेगा।
यहाँ ध्यान देने की बात यह कि आँगनवाड़ी केन्द्रों में कार्यरत अधिकतर महिलाएँ 8वीं या 10वीं पास हैं जो कि सरकार के प्री-स्कूल के लिए ज़रूरी मापदण्डों पर खरी नहीं उतरेंगी। ज़ाहिरा तौर पर ऐसे लोगों की बड़े पैमाने पर छँटनी होगी और नयी भर्तियों के द्वार खोले जायेंगे या फिर यूँ कहें कि नयी भर्तियों के ज़रिये होने वाले भ्रष्टाचार के लिए द्वार खुल जायेंगे।
हमारे लिए दूसरी ग़ौर करने वाली बात यह है कि प्री-स्कूल की यह व्यवस्था लागू होने से आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों के शोषण में भी बढ़ोत्तरी होगी। सरकार द्वारा ‘स्वयंसेविका’ की संज्ञा से नवाज़ी गयी आँगनवाड़ी महिलाओं से एक कर्मचारी जितना काम कराया जाता है। पहले ही उनसे आँगनवाड़ी के कामों के अतिरित्त सर्वे व अन्य काम कराये जाते हैं। अब इन महिलाओं के सस्ते श्रम का फ़ायदा उठाकर उनकी मेहनत की लूट को खुलेआम अंजाम दिया जायेगा। जिस केन्द्र सरकार की ओर से कोरोना महामारी के दौर में मानदेय भी वक़्त पर नहीं आया और जिस केन्द्र सरकार को मामूली से बढ़ा हुआ मानदेय देने में 1 साल से ऊपर का वक़्त लग गया, उनके पास आँगनवाड़ीकर्मियों के लिए देने को कर्मचारी का दर्जा नहीं, ज़िम्मेदारी का भार है!
इस नयी नीति की बानगी दिल्ली सरकार के महिला और बाल-विकास द्वारा हाल में ही जारी एक नोटिस में देखी जा सकती है जिसमें आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों के काम के घण्टे बढ़ाये जाने का फ़रमान है और साथ ही कई आँगनवाड़ियों को जोड़कर हब केन्द्र बनाने का आदेश है।
हमारा यह मानना है कि आँगनवाड़ी केन्द्रों की गुणवत्ता में बेशक सुधार किया जाये। हमें काम की ज़िम्मेदारी से भी कोई गुरेज़ नहीं है। लेकिन यदि सरकार सिर्फ़ हमपर ज़िम्मेदारी का बोझा लादना चाहती है, तो हम इसके ख़िलाफ़ हैं! बेशक हमें प्री-प्राइमरी की ज़िम्मेदारी सौंपिए, लेकिन पहले हमें कर्मचारी का दर्जा दीजिए और सभी श्रम-क़ानूनों को हमारे लिए लागू कीजिए। इसके इतर यह सुनिश्चित किया जाये कि पहले से ही कार्यरत आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों को इस नयी शैक्षणिक योग्यता के नाम पर बर्ख़ास्त नहीं किया जायेगा। नयी शिक्षा नीति न सिर्फ़ आँगनवाड़ीकर्मियों के शोषण को बढ़ावा देगी, बल्कि यह शिक्षा के अधिकार के ही ख़िलाफ़ है। अतः इस शिक्षा नीति को वापस लिया जाये!
मज़दूर बिगुल, दिसम्बर 2020
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