मुख्यमंत्री केजरीवाल से मिलने गये मेट्रो मज़दूरों पर बरसी पुलिस की लाठी
बिगुल संवाददाता
पिछली 3 मार्च को दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के ठेका कर्मचारियों ने अपनी माँगों को लेकर दिल्ली सचिवालय पर प्रदर्शन किया। ‘दिल्ली मेट्रो रेल कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन’ के नेतृत्व में बड़ी संख्या में मेट्रो के ठेका कर्मचारी मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौपने के लिए दिल्ली सचिवालय पहुँचे। डीएमआरसी में सभी टॉम ऑपरेटर, हाउसकीपर, सिक्योरिटी गार्ड, एयरपोर्ट लाइन का तकनीकी स्टाफ, ट्रैक ब्वॉय आदि नियमित प्रकृति का कार्य करने के बावजूद ठेके पर रखे जाते हैं। दिल्ली ही नहीं बल्कि भारत की शान मानी जानेवाली दिल्ली मेट्रो इन ठेका कर्मचारियों को अपना कर्मचारी न मानकर ठेका कम्पनियों जेएमडी, ट्रिग, एटूजेड, बेदी एण्ड बेदी, एनसीईएस आदि का कर्मचारी बताती है, जबकि भारत का श्रम कानून स्पष्ट तौर पर यह बताता है कि प्रधान नियोक्ता स्वयं डीएमआरसी है। ठेका कम्पनियाँ भर्ती के समय सिक्योरिटी राशि के नाम पर वर्कर्स से 20-30 हजार रुपये वसूलती हैं और ‘रिकॉल’ के नाम पर मनमाने तरीके से काम से निकाल दिया जाता है। ज़्यादातर वर्कर्स को न्यूनतम मज़दूरी, ईएसआई, पीएफ की सुविधाएँ नहीं मिलती हैं। यहाँ श्रम कानूनों का सरेआम उल्लंघन किया जाता है। ‘दिल्ली मेट्रो रेल कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन’ की शिवानी ने कहा कि हम यहाँ इसलिए आये हैं कि मुख्यमंत्री ने चुनावों के समय हमसे वायदा किया था कि दिल्ली में नियमित प्रकृति के कार्य में ठेका प्रथा को खत्म किया जाएगा। पिछली बार भी हमने श्री केजरीवाल से अपनी समस्या बतायी थी लेकिन इस बाबत कोई कार्रवाई नहीं हो सकी, लेकिन इस बार पूर्ण बहुमत की सरकार आने के बाद उनके पास हमारी समस्या पर ध्यान न देने का कोई कारण नहीं है। दिल्ली की मजदूर आबादी ने केजरीवाल जी को रिकॉर्ड तोड़ ऐतिहासिक जीत हासिल करवायी है और दिल्ली में साठ लाख ठेका कर्मचारी हैं। जाहिर है, मजदूर आबादी का बड़ा हिस्सा ठेका मजदूरों का है और हमारे ही समर्थन से यह सरकार बनी है।
मज़दूरों की कुछ माँगें तो तुरन्त पूरी की जा सकती हैं इसलिए उनमें देरी करने का कोई कारण नहीं हो सकता है। मिसाल के तौर पर, दिल्ली राज्य में नियमित प्रकृति के कार्य पर ठेका मजदूरों को रखने पर प्रतिबन्ध लगाया जा सकता है और इस बारे में तत्काल एक विधेयक पारित किया जा सकता है।
मज़दूरों के पाँच सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल द्वारा ज्ञापन को स्वीकार करने से सरकार के प्रतिनिधि द्वारा इन्कार कर दिया गया, इस पर वर्कर्स ने आगे बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस द्वारा जोर-जबरदस्ती की गयी, लाठी चार्ज किया गया जिसके कारण कई साथियों को चोट पहुँची। मगर मजदूर दिल्ली सचिवालय के गेट की तरफ बढ़ते रहे। घबराहट में सरकार को अपना नुमाइन्दा भेजना पड़ा। इसके बाद प्रतिनिधिमण्डल ने श्रम मन्त्री के निजी सचिव से मिलकर अपनी बात दिल्ली सरकार तक पहुँचायी।
मेट्रो रेल के कर्मचारियों द्वारा मुख्यमंत्री को जो ज्ञापन सौंपा गया उनमें निम्नलिखित माँगें सम्मिलित हैं-
1- दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन में नियमित प्रकृति का काम करनेवाले सभी ठेका कर्मचारियों को तत्काल स्थायी किया जाये और उन्हें नियुक्ति पत्र दिया जाये, जिनमें कि टॉम ऑपरेटर, हाउसकीपर, सिक्योरिटी गार्ड प्रमुख हैं। इस कदम को प्रभावी बनाने के लिए दिल्ली राज्य स्तर पर नियमित प्रकृति के कार्य पर ठेका प्रथा को निषिद्ध बनाने वाले एक विधेयक को ‘आप’ की भारी बहुमत वाली सरकार तत्काल पारित कराये।
2- ठेका कम्पनियों द्वारा मनमानें तरीके से मजदूरों-कर्मचारियों को ‘‘रिकॉल’’ के नाम पर काम से निकालने पर रोक लगायी जाये, ‘‘रिकॉल’’ किये गये सभी मजदूरों को वापस काम पर लिया जाय और इसका उल्लंघन करने वाली ठेका कम्पनियों पर सख्त कार्रवाई की जाये।
3- ‘‘सिक्योरिटी राशि’’ के नाम पर मजदूरों से लिये जानेवाले 20-30 हजार रुपये वापस करवाये जायें और इस नंगे भ्रष्टाचार पर तत्काल रोक लगायी जाये।
4- सभी डीएमआरसी कर्मचारियों को न्यूनतम मजदूरी, ई.एस.आई., पी.एफ़. आदि श्रम कानूनों से मिलने वाली सुविधाएँ तत्काल सुनिष्चित की जाय।
5- डीएमआरसी और उनके तहत कार्यरत सभी ठेका कम्पनियों का और उनके बीच हुए करारों व लेन-देन का ‘कैग’ द्वारा तत्काल ऑडिट कराया जाय।
मज़दूर बिगुल, मार्च 2015
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