मज़दूरों के जुझारू संघर्ष और देशव्यापी जनदबाव से गोरखपुर में मजदूर आन्दोलन को मिली आंशिक जीत
अंकुर उद्योग से निकाले गए सभी 18 मज़दूर काम पर लिए गए, कारखाना कल से शुरू होगा गोलीकांड के मुख्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी, घायल मजदूरों को सरकार से मुआवजा दिलाने, फर्जी मुकदमे हटाने तथा न्यायिक जांच की मांग को लेकर आंदोलन जारी रहेगा
मांगें नहीं मानने पर शुरू हो जाएगा ‘मज़दूर सत्याग्रह’ का दूसरा चरण
पुलिस-प्रशासन के भारी दमन के बावजूद गोरखपुर के मजदूरों के जुझारू संघर्ष और एक सप्ताह से जारी दमन-उत्पीड़न की देशव्यापी निन्दा तथा व्यापक जनदबाव ने प्रशासन और मालिकान को कदम पीछे खींचने पर मजबूर कर दिया और वहां मजदूर आन्दोलन को आंशिक जीत हासिल हुई है।
कल ‘मज़दूर सत्याग्रह’ के लिए शान्तिपूर्ण ढंग से आयुक्त कार्यालय पर जा रहे मजदूरों पर शहर में जगह-जगह हुए लाठीचार्ज, गिरफ्तारी, सार्वजनिक वाहनों तक से उतारकर मजदूरों की पिटाई और महिला मजदूरों के साथ पुलिस के दुव्यर्वहार की चैतरफा भर्त्सना और सैकड़ों मजदूरों के टाउनहाल पर भूख हड़ताल शुरू कर देने के बाद प्रशासन भारी दबाव में आ गया था। अधिकारियों ने देर शाम हिरासत में लिए गए सभी मजदूर नेताओं और मजदूरों को रिहा कर दिया तथा मालिकों को वार्ता के लिए बुलाया था। कुछ मांगों पर मालिक की सहमति तथा आज औपचारिक वार्ता तय होने के बाद कल रात अधिकांश मजदूरों द्वारा भूख हड़ताल स्थगित कर धरना हटा लिया गया था लेकिन करीब 25 मजदूरों का जत्था भूख हड़ताल जारी रखे था।
आज उपश्रमायुक्त की मौजूदगी में मालिकों तथा मजदूरों के प्रतिनिधियों के बीच हुई वार्ता के बाद अंकुर उद्योग से निकाले गए सभी 18 मज़दूरों को काम पर वापस लेने तथा कारखाना कल से शुरू करने पर मालिक पक्ष सहमत हो गया। हालांकि वी.एन. डायर्स के दो कारखानों से निकाले गए 18 मज़दूरों को बहाल करने के सवाल पर अब भी गतिरोध बना हुआ है।
आन्दोलन का संचालन कर रहे संयुक्त मज़दूर अधिकार संघर्ष मोर्चा के अनुसार गोलीकांड के मुख्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी तथा अभियुक्तों को बचाने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई, घायल मजदूरों को सरकार से मुआवजा दिलाने, मजदूरों पर थोपे गए सभी फर्जी मुकदमे हटाने, तथा गोलीकांड और 9 मई को ‘मज़दूर सत्याग्रह’ पर हुए बर्बर दमन की न्यायिक जांच की मांग को लेकर आन्दोलन जारी रहेगा। अगर ये मांगें नहीं मानी गयीं तो जल्दी ही ‘मज़दूर सत्याग्रह’ का दूसरा चरण शुरू किया जाएगा जो पहले से भी अधिक व्यापक होगा।
कल ‘मज़दूर सत्याग्रह’ के बर्बर दमन की देश-विदेश में कठोर भर्त्सना हुई है। देश भर से न्यायविदों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मजदूर आंदोलन से जुड़े लोगों ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री, राज्यपाल, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों तथा केन्द्र सरकार को सैकड़ों की संख्या में फैक्स, ईमेल, फोन तथा ज्ञापन भेजकर अपना विरोध दर्ज कराया है तथा दमन चक्र तत्काल रोकने, घटना की तुरंत न्यायिक जांच कराने, मजदूरों की जायज मांगे मानने और दोषियों की खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने की मांग की है। पीयूसीएल एवं पीयूडीआर की ओर से जांच टीमें गोरखपुर भेजने की घोषणा की गयी है और वरिष्ठ पत्रकारों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं की कुछ स्वतंत्र जांच टीमें भी जल्दी ही तथ्यसंग्रह के लिए गोरखपुर जाएंगी।
सरकारी दमन तथा मालिक-प्रशासन-सांप्रदायिक ताकतों के गंठजोड़ द्वारा जारी अंधेरगर्दी के विरुद्ध भारी जन आक्रोश और व्यापक जनदबाव के कारण यह छोटी-सी जीत मिली है लेकिन गोरखपुर के मजदूरों के सामने अभी बहुत कठिन लड़ाई है और देशभर के इंसाफपसन्द नागरिकों तथा किसी भी मोर्चे पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को उनका साथ देना होगा। दमन-उत्पीड़न के तात्कालिक मसले पर मजूदरों को थोड़ी राहत मिली है लेकिन जिन बुनियादी मांगों को लेकर गोरखपुर में मजदूरों ने आवाज उठाई थी वे आज भी यथावत हैं। वहां के किसी भी कारखाने में कोई भी श्रम कानून लागू नहीं होता। न्यूनतम मजदूरी, काम के घंटे, जबरन ओवरटाइम, जाॅब कार्ड, ईएसआई जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी मजदूर वंचित हैं। श्रम विभाग सब कुछ जानते हुए भी कुछ नहीं करता। जब तक इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा तब तक बीच-बीच में मजदूर असन्तोष का ज्वार फूटता ही रहेगा।
संयुक्त मज़दूर अधिकार संघर्ष मोर्चा ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर मालिकों ने फिर से पहले की तरह वायदाखिलाफी और छलकपट से मजदूरों को उनके अधिकार से वंचित करने की कोशिश की या अगुआ मजदूरों को किसी भी तरह से प्रताडि़त करने की कोशिश की तो इसके नतीजे भुगतने के लिए उन्हें तैयार रहना होगा।
मोर्चा ने मजदूर आन्दोलन का भरपूर साथ देने तथा प्रशासन पर दबाव बनाने में मदद करने वाले न्यायविदों, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए गोरखपुर के मजदूरों को न्याय दिलाने के संघर्ष में सभी से आगे भी सहयोग की अपील की है।
उपलब्ध तस्वीरें –
‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्यता लें!
वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये
पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये
आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये
आर्थिक सहयोग भी करें!
बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन