क्रान्तिकारी मनरेगा यूनियन (हरियाणा) द्वारा सदस्यता कार्ड जारी किये गये और आगामी कार्य योजना बनायी गयी

बिगुल संवाददाता

जुलाई माह में हरियाणा के कैथल ज़िले में क्रान्तिकारी मनरेगा मज़दूर यूनियन द्वारा गाँव चौशाला, रामगढ, फरल के मनरेगा मज़दूरों के साथ आम सभा की गयी। सभा में मनरेगा के काम की समस्या से लेकर यूनियन नेतृत्व की कमियों-खामियों पर आत्मालोचना पेश की गयी व नये सिरे से यूनियन ढाँचे को मज़बूत बनाने की रूपरेखा बनाई गई।

यूनियन साथी अजय ने बताया कि कलायत, कैथल में मनरेगा के काम की जाँच-पड़ताल में पता चला है कि यहाँ किसी भी मज़दूर परिवार को पूरे 100 दिन का रोज़गार नहीं मिलता है, जैसा कि क़ानूनन उसे मनरेगा के तहत मिलना चाहिए। असल में सरकारी क़ानून के तहत 1 वर्ष में एक मज़दूर परिवार को 100 दिन के रोज़गार की गारण्टी मिलना चाहिए। साथ ही क़ानूनन रोज़गार के आवदेन के 15 दिन के भीतर काम देने या काम ना देने की सूरत में बेरोज़गारी भत्ता देने की बात कही गयी है।

मनरेगा के तहत न्यूनतम मज़दूरी भी अलग-अलग राज्यों के हिसाब से तय की गयी है। हरियाणा में अभी फिलहाल 376 रुपये दिहाड़ी तय की गयी है। यह भी बेहद कम है। लेकिन इसके बाद भी मोदी सरकार की मज़दूर विरोधी नीतियों के कारण मनरेगा के बजट में लगातार कटौती की जा रही है। बजट कटौती का सीधा मतलब श्रम दिवस के कम होने और मनरेगा के तहत रोज़गार के अवसरों में भी कमी है। साथ ही, इस बजट का एक बड़ा हिस्सा भी भ्रष्ट अफ़सरशाही की जेब में चला जाता है। इसलिए मनरेगा में भ्रष्टाचार रोकने के लिए व पूरे साल रोजगार, दिहाड़ी 1156 रुपये जैसी माँगों के लिए हमें यूनियन को मज़बूत बनाना होगा।

बैठक में यह तय किया गया है कि नये सिरे से यूनियन का ढाँचा खड़ा करना होगा। साथ ही, मनरेगा मज़दूरों की यूनियन पाठशाला दोबारा शुरू करनी होगी जिसमें मज़दूरों को सिर्फ़ आर्थिक माँगों पर न गोलबन्द करते हुए बल्कि उन्हें समाज परिवर्तन के समूचे मज़दूर वर्ग की लम्बी लड़ाई के लिए भी राजनीतिक तौर पर शिक्षित-प्रशिक्षित किया जाता है। हम सभी जानते हैं कि हमारे देश में जाति व धर्म की कितनी गहरी जड़ें हैं। मज़दूरों की असल लड़ाई लड़ने वाली यूनियन इन जाति-धर्म की दीवारों पर चोट करने के साथ-साथ मज़दूरों में वर्ग एकजुटता पैदा करने का काम करेगी ताकि हर जाति-धर्म से आने वाले मज़दूरों में वर्गीय भावना पैदा की जा सके।

यूनियन की सदस्य मेट मीना ने बताया कि मनरेगा यूनियन मज़दूरों के प्रति जबावदेही की मिसाल देती है। इसलिए यूनियन के अन्दर जनवाद की बहाली के लिए सभी फ़ैसले सामूहिकता में लिये जाते हैं। यूनियन ने अभी तक लगभग 150 से ज्यादा सदस्यता व आई कार्ड जारी किये हैं। आगे आने वाले महीनों में यह प्रक्रिया जारी रखी जायेगी।

 

 

मज़दूर बिगुल, जुलाई 2024


 

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