प्रज्वल रेवन्ना सेक्स काण्ड
“धर्मध्वजाधारी” और “संस्कारी” भाजपाइयों द्वारा बलात्कारियों को प्रश्रय और संरक्षण देने की मुहिम का हुआ पर्दाफा़श!
वारुणी
शायद ही ऐसा कोई माह बीतता हो जब किसी बड़े भाजपाई नेता या उसके सहयोगी दलों के नेताओं का नाम स्त्री-विरोधी अपराधों में नहीं आता हो। भाजपा सरकार के पिछले 10 साल के कार्यकाल में बारम्बार इस प्रकार की घटनाएँ सामने आती रही हैं जिसमें कि ख़ुद भाजपा नेता ऐसे स्त्री-विरोधी अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। दूसरी तरफ़, तमाम बलात्कारियों को संरक्षण देने और बढ़ावा देने के काम में भाजपा सरकार निरन्तर संलिप्त पायी जाती रही है। लेकिन अभी कर्नाटक में जो यौन उत्पीड़न और बलात्कार के मामले सामने आये हैं उसकी वीभत्सता की कल्पना भी नहीं की जा सकती। कर्नाटक के हासन से वर्तमान जद(से) सांसद और भूतपूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवीगोड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना ने क़रीब 2800 महिलाओं का न सिर्फ़ बलात्कार किया बल्कि अपने इन कुकृत्यों को रिकॉर्ड किया! ऐसे क़रीब 2976 वीडियो मौजूद हैं। यह वीडियो प्रज्वल ने इसलिए बनाये ताकि आगे इन महिलाओं को ब्लैकमेल कर सके। जिन महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया, उनमें से कई महिलाएँ ख़ुद इसी की पार्टी की सदस्य थीं और कई तो ग़रीब परिवारों से आती थीं, जो मदद के सिलसिले में इस दरिन्दे से मिलने पहुँची थीं। इसने राज्य की महिला अधिकारियों को भी अपनी हवस का शिकार बनाया है। जो वीडियो सामने आये हैं, उनमें उस स्तर की यौन हिंसा है, जिसका ज़िक्र तक नहीं किया जा सकता है! घटना के बाहर आने पर पता चला कि यह घिनौने कुकृत्य कई सालों से जारी थे।
रेवन्ना के कुकृत्यों की जानकारी भाजपा को दिसम्बर महीने से ही थी। ख़ुद इनके राज्य अध्यक्ष को देवराज गोडा ने पत्र लिखकर इसके कुकृत्यों के बारे में बताया था। लेकिन ऐसे बलात्कारियों को भाजपा गठबन्धन द्वारा न सिर्फ़ टिकट दिया गया बल्कि कर्नाटक के इस पोस्टर बॉय के प्रचार में ख़ुद प्रधानमंत्री मोदी यह कहते नहीं थकते थे कि रेवन्ना को दिया गया हर वोट मोदी को दिया गया वोट है। यह एक मायने में सच ही है! मोदी के नेतृत्व में आने के पहले भी भाजपाइयों का चाल-चेहरा-चरित्र तो देश की जनता को पता चल ही गया था लेकिन मोदी के नेतृत्व में तो भाजपा और भाजपाइयों ने यौन-उत्पीड़न के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिये हैं। घटना जब खुलकर सामने आयी तब मोदी द्वारा इस विषय पर कई दिनों तक कोई बात नहीं की गयी। प्रधानमन्त्री मोदी को ख़ुद रेवन्ना के कुकृत्यों के बारे में सारी जानकारी थी, इसके बावजूद उसकी रैलियों में उसका समर्थन करने मोदी जी पहुँचते हैं। हालाँकि यह कोई पहली दफ़ा नहीं जब बलात्कारियों को भाजपा पार्टी द्वारा टिकट दिया जा रहा है या उनका बचाव किया जा रहा है। महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न करने वाले भाजपा के नेता ब्रजभूषण शरण को पार्टी से निकालना तो दूर, उलटे उसके बेटे करण भूषण को भाजपा से लोकसभा सीट की टिकट देकर उसके बाप के कुकर्मों का ईनाम दिया गया है। भाजपा बलात्कारियों को पैदा करने और उनका संरक्षण करने में माहिर पार्टी है। ऐसे में रेवन्ना जैसा घटिया आदमी यदि एनडीए गठबन्धन का कर्नाटक में पोस्टर बॉय बना हुआ है, तो इसमें चकित होने की कोई बात नहीं है।
भाजपा सरकार के पिछले दस साल का इतिहास रहा है कि यह बलात्कारियों को मज़बूती प्रदान करने वाली पार्टी रही है। हर बार ही सिर उठाने वाले ऐसे तमाम मामले को सबसे पहले दबाया जाता है ताकि वह जनता के समक्ष ना आये। लेकिन ऐसे कुकृत्यों के पर्दाफफ़ाश होने के बाद भाजपाइयों द्वारा बड़े बेशर्म और नंगे तरीक़े से इन बलात्कारियों को संरक्षण प्रदान किया जाता है। रेवन्ना के मामले में भी यही किया गया। वोटिंग के दिन तक इन्हीं सत्तासीन लोगों द्वारा रेवन्ना के कुकृत्यों पर पर्दा डालने का प्रयास किया गया। लेकिन, ठीक वोटिंग के बाद जब रेवन्ना के यौन अपराधों की वीडियो पेन ड्राइव के ज़रिये लीक हो गयी, तो पूरे राज्य में रेवन्ना को गिरफ़्तार करने की माँग उठने लगी। फ़िर बड़े शातिराना ढंग से रेवन्ना जैसे अपराधी को जर्मनी भागने की छूट दी गयी। अब जब प्रज्वल रेवन्ना जर्मनी भाग चुका है, तब राज्य की कांग्रेस सरकार ने आनन-फ़ानन में एसआईटी घटित कर मामले की जाँच शुरू की है। एसआईटी अपनी ख़ोजबीन में लगी हुई है। अभी कुछ दिन पहले इस मामले में एक महिला के ग़ायब होने के बाद उसके बेटे द्वारा प्रज्वल रेवन्ना के बाप एचडी रेवन्ना पर उसे अगवा करने का आरोप लगाया गया। इस सम्बन्ध में एसआईटी द्वारा एचडी रेवन्ना को गिरफ़्तार करवाया गया था, लेकिन बाद में उसे बेल पर रिहा कर दिया गया। दूसरी तरफ़ इस मामले में शिकार हुई महिलाओं पर लगातार दवाब बनाया जा रहा है। हाल ही में उन महिलाओं की कई वीडियो को वायरल कर दिया गया है। इस मामले में भाजपा के नेता देवराज गौड़ा द्वारा इन वीडियो को लीक करने की बात सामने आ रही है। जब भाजपा नेता देवराज गौड़ा पर प्रज्वल रेवन्ना काण्ड में यौन शोषण के वीडियो लीक करने का आरोप सामने आया है, तब इस मामले में भाजपा के नेताओं द्वारा सीबीआई जाँच की माँग रखी जा रही है ताकि “निष्पक्ष जाँच” की जा सके! भाजपा की सत्ता में सीबीआई पर किस हद तक भरोसा किया जा सकता है, यह जगज़ाहिर है! दूसरी तरफ़ इसी मामले में केन्द्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष की विश्वसनीयता पर कई सवाल उठ रहे हैं। केन्द्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष (जोकि भाजपा से क़रीबी रखती हैं) द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई करना तो दूर उलटे उनके द्वारा यह घोषित किया जा रहा है कि ये सारे मामले फ़र्जी हैं। यह जगज़ाहिर हो चुका है कि भाजपा पार्टी किस प्रकार तमाम पूँजीवादी जनवादी संस्थाओं को अन्दर से टेकओवर कर चुकी है और उसे धड़ल्ले से अपने राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल कर रही है। फ़ासीवादी राज में न सिर्फ़ पुलिस और प्रशासन तंत्र बल्कि आज महिला आयोग, कोर्ट-कचहरी, सीबीआई से लेकर तमाम संस्थाओं से कोई उम्मीद पालना मूर्खतापूर्ण बात होगी। फ़ासीवादी भाजपा पार्टी तमाम पूँजीवादी संस्थानों को अन्दर से टेकओवर कर चुकी है और उसका इस्तेमाल बलात्कारियों के संरक्षण समेत अपने तमाम राजनीतिक मंसूबों के लिए करती रही है। इसके कई उदहारण हमारे सामने मौजूद हैं।
यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है जब बलात्कारियों को बचाने के लिए भाजपा राज्य मशीनरी के सारे अंग-उपांगों का इस्तेमाल कर रही हो। इसके पहले भी आसाराम बापू, डेरा सच्चा सौदा के राम रहीम, स्वामी नित्यानन्द, स्वामी चिन्मयानन्द, कुलदीप सिंह सेंगर आदि को बचाने के लिये फ़ासीवादी भाजपाई किस हद तक उतर चुके हैं, इससे हम सब वाक़िफ़ है। यह कैसे भूला जा सकता है कि कठुआ में 8 साल की बच्ची के बलात्कारियों के समर्थन में इन्हीं भाजपाइयों ने तिरंगा लेकर रैली निकाली थी! क्या हम यह भूल जाएँ कि बिल्किस बानो के बलात्कारियों के रिहाई आदेश को मोदी सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा आधिकारिक तौर पर मंजूरी दी गयी थी और भाजपा नेताओं द्वारा अच्छे “संस्कारी ब्राह्मण” होने के लिए रिहा किये गये इन बलात्कारियों का स्वागत फूल-मालाओं से किया गया था? हम यह कैसे भूल जाएँ कि जब हाथरस में बलात्कार की घटना हुई तो उसके आरोपियों को बचाने के लिए सवर्णों की ग्यारह गाँवों की पंचायत करने वाले जातिवादियों को भाजपा की योगी सरकार ने पूरा संरक्षण और मदद प्रदान की? इतिहास इस बात का साक्षी है कि भाजपा बलात्कारियों की न सिर्फ़ शरणस्थली रही है बल्कि जन्मस्थली भी रही है। “संस्कृति”, “संस्कार”, “चाल-चेहरा-चरित्र” की बात करने वाली भाजपा और संघ परिवार के नेताओं की असलियत यही है कि इसमें सारे निकृष्ट कोटि के बदमाश, बलात्कारी, अपराधी, और हत्यारे मौजूद हैं! यही भाजपा के शुचिता और संस्कार का सच है!
फ़ासीवादी भाजपा सरकार की सत्ता में एक तरफ़ महिलाओं को ही सीमा में और संस्कार में रहने की हिदायत दी जाती है, महिलाओं के ओढ़ने, पहनने, खाने, जीवनसाथी चुनने की आज़ादी पर हमला किया जाता है और दूसरी तरफ़ बलात्कारियों को खुली छूट मिलती है! जब ऐसी पार्टी सत्ता में होगी तो क्या नवधनाढ्य वर्गों, लम्पट टुटपुँजिया वर्गों और नेताओं की बिगड़ी औलादों का दुस्साहस नहीं बढ़ेगा कि वह किसी भी औरत पर हमला करे और उसका बलात्कार करे? जब इन आपराधिक तत्वों को यह यक़ीन है कि इन अपराधों की उसे कोई सज़ा नहीं मिलेगी, बस उसे भाजपा में शामिल हो जाने की आवश्यकता है, तो ज़ाहिर सी बात है कि स्त्री–विरोधी अपराधों में बढ़ोत्तरी तो होगी ही। सभी आँकड़ें इसी बात की पुष्टि कर रहे हैं। एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान लोकसभा में क़रीब 43 प्रतिशत सांसदों के विरुद्ध स्त्री-विरोधी अपराधों सहित तमाम तरह के आपराधिक आरोप हैं। इनमें सबसे बड़ी संख्या भाजपा के सांसदों की है जिनमें से 30 प्रतिशत के विरुद्ध बलात्कार, हत्या, अपहरण जैसे गम्भीर स्त्री–विरोधी अपराधों के आरोप हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों की कुल संख्या 2014 में 3,37,922 से बढ़कर 2020 में 3,71,503 हो गयी है। प्रति लाख जनसंख्या पर महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों की संख्या 2014 में 56.3 से बढ़कर 2022 में 66.4 हो गयी है। इसी रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में महिलाओं के ख़िलाफ़ कुल अपराधों (जैसे बलात्कार, हत्या, अपहरण और सामूहिक बलात्कार) में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार देश में शीर्ष पर है।
यह सच है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ अत्याचार सदियों से पूँजीवादी पितृसत्तात्मक भारतीय समाज की एक कड़वी सच्चाई रही है, लेकिन भाजपा सरकार के तहत बलात्कारियों, छेड़छाड़ करने वालों और सिलसिलेवार अपराधियों को जो छूट मिल रही है वह चौंकाने वाली सच्चाई है। निश्चित तौर पर, स्त्रियों की ग़ुलामी क़ायम रहने तक स्त्री विरोधी अपराधों को समाप्त करना सम्भव नहीं है, यदि हमें इन स्त्री-विरोधी अपराधों को ख़त्म करना है, तो हमें उस पूँजीवादी व्यवस्था और समूचे वर्ग समाज के ख़िलाफ़ निर्णायक संघर्ष छेड़ना होगा जो पितृसत्ता, मर्दवाद, स्त्री-पुरुष असमानता के तमाम रूपों को जन्म देता है और उनका फ़ायदा उठाता है। लेकिन हमें इस विशेष परिस्थिति को भी समझना होगा कि जब भी पूँजीपति वर्ग की नग्न तानाशाही क़ायम होगी यानी फ़ासीवादी ताक़तें सत्ता पर काबिज़ होंगी तो औरतों के ख़िलाफ़ अपराधों में अभूतपूर्ण बढ़ोत्तरी होगी! अभी भाजपा जैसी फ़ासीवादी पार्टी के शासन में यही हो रहा है। आज फ़ासीवादी सत्ता ने समाज के सबसे आपराधिक, पाशविक, बर्बर और प्रतिक्रियावादी तत्वों व शक्तियों को न सिर्फ़ खुला हाथ दे दिया है बल्कि भाजपा अपनी राज्य मशीनरी में घुसपैठ के ज़रिये उनका खुलेआम संरक्षण कर रही है। असल में स्त्री-विरोधी अपराधों में बढ़ोत्तरी इस फ़ासीवादी उभार का एक अंग है और इसलिए आज हमें अपने इस सबसे बड़े दुश्मन के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए एकजु, गोलबन्द और संगठित होना होगा।
मज़दूर बिगुल, मई 2024
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