दिल्ली की आँगनवाड़ी महिलाकर्मी 31 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर!

दिल्ली की आँगनवाड़ी महिलाकर्मी अपनी जायज़ माँगों को लेकर लगातार संघर्षरत हैं। यह रिपोर्ट लिखे जाने तक अनिश्चितकालीन हड़ताल के तीसरे दिन हज़ारों की संख्या में आँगनवाड़ी स्त्री कामगार केजरीवाल आवास के बाहर अपनी माँगें उठा रही हैं।
मालूम हो कि केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा अपने माँगपत्रक पर कोई ठोस कार्रवाई न होने की सूरत में 22,000 वर्कर्स और हेल्पर्स 31 जनवरी से दिल्ली की आँगनवाड़ी केन्द्रों का काम ठप्प कर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स यूनियन की अध्यक्ष शिवानी ने बताया कि “आँगनवाड़ीकर्मी तब तक काम पर नहीं लौटेंगी जब तक माँगें मान नहीं ली जाती हैं। 7 सितम्बर 2021 के चेतावनी प्रदर्शन के बाद दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम ने एक हफ़्ते के भीतर हमारी माँगों पर ठोस कार्रवाई का आश्वासन दिया था। लम्बे इन्तज़ार के बाद भी कोई जवाब न मिलने पर 6 जनवरी को एक बार फिर आँगनवाड़ीकर्मियों ने एकदिवसीय हड़ताल कर काम ठप्प किया और मंत्री महोदय की याददिहानी के लिए अपना माँगपत्रक सौंपा। मगर पंजाब चुनाव प्रचार में व्यस्त केजरीवाल सरकार को दिल्ली की आँगनवाड़ीकर्मियों की समस्या नहीं दिखी। इसलिए, हमने यह ऐलान किया है कि अब और ग़ुलामी हमें मंज़ूर नहीं।”

देशभर के कई राज्यों में आँगनवाड़ी महिलाकर्मी अपनी माँगों के लिए संघर्षरत हैं

केन्द्र सरकार और अन्य राज्य सरकारों के लिए आँगनवाड़ी की महिलाएँ सस्ते श्रम का स्रोत हैं। ‘स्वयंसेविकाओं’ का दर्जा देकर सरकारें इनसे कई ऐसे काम कराती हैं, जो इनके कार्यभार का हिस्सा नहीं है। आँगनवाड़ी महिलाओं का काम बच्चों, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली माओं के स्वास्थ्य जाँच व टीकाकरण का है, पोषाहार आवण्टन, 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए अनौपचारिक प्रारम्भिक शिक्षा, सर्वेक्षण मात्र का है। मगर इसके अलावा उनसे जनगणना का काम, आधार कार्ड बनवाने का काम, गोदभराई, बीएलओ का काम, अन्नप्राशन, जानवरों का सर्वे इत्यादि कई ऐसे काम थोप दिये जाते हैं। “महिला सशक्तिकरण” के नाम पर “सहेली समन्वय केन्द्र” नाम की स्कीम चलाकर दिल्ली सरकार आँगनवाड़ी महिलाओं को इलाके की स्त्रियों को सशक्त करने का ज़िम्मा सौंप रही है। मगर, यह भी एक मज़ाक़ ही है कि 9698 रुपये और 4839 रुपये के मानदेय में बेगारी खट रही महिलाएँ अन्य महिलाओं को “सशक्त” करेंगी!
कोरोना महामारी के दौरान आँगनवाड़ीकर्मियों ने अपनी ज़िम्मेदारी का परिचय देते हुए अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर काम किया। वैक्सीनेशन से लेकर कोरोना मरीज़ों को दवा पहुँचाने तक का अतिरिक्त कार्य किया मगर न तो केन्द्र न ही दिल्ली सरकार ने उन्हें बचाव के लिए ज़रूरी साधन मुहैय्या कराये।
बेगारी खटवाने के ख़िलाफ़ व अपनी अन्य जायज़ माँगों को लेकर 31 जनवरी से वर्कर्स और हेल्पर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इससे पहले 2017 में 58 दिनों तक चली हड़ताल के बाद केजरीवाल सरकार को राजपत्र जारी कर आँगनवाड़ीकर्मियों का मानदेय दोगुना करना पड़ा था।
मगर आज 2022 में भी महिलाकर्मी उसी मामूली मानदेय पर काम करने को मजबूर हैं। 2017 की तुलना में आज 2022 में महँगाई की रफ़्तार ने बुलेट ट्रेन की रफ़्तार को पछाड़ दिया है। तमाम आवश्यक वस्तुओं की क़ीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। पेट्रोल-डीज़ल के दामों से लेकर, तेल, गैस,कपड़ों, दवाइयों, शिक्षा इत्यादि पर होने वाले ख़र्चे बेहिसाब बढ़े हैं, मगर आँगनवाड़ीकर्मियों के मानदेय में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है।
हमारी मानदेय बढ़ोत्तरी की माँग पर कम्बल तानकर सोयी हुई केजरीवाल सरकार “पंजाब चुनाव” के मद्देनज़र वहाँ की आँगनवाड़ीकर्मियों को गुलाबी सपने दिखा रही है। महामारी के दौरान आँगनवाड़ीकर्मियों और दिल्ली की आम जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर इस सरकार ने अगस्त 2021 में अपने विधायकों की तनख़्वाह में 66% की बढ़ोत्तरी कर दी।
वहीं अब इस “आम आदमी पार्टी” ने मार्च 2020 से जुलाई 2021 तक 490 करोड़ अपने चुनाव प्रचार के विज्ञापनों में बहा दिये (हर महीने 29 करोड़), जो दिल्ली की 22,000 आँगनवाड़ीकर्मियों को मिलने वाले मानदेय की राशि से दोगुना है। जनता की गाढ़ी कमाई को अपने चुनावी प्रचार पर उड़ाने में केजरीवाल सरकार ने भाजपा को टक्कर देने की ठानी है।

आन्दोलनकारी आँगनवाड़ी कर्मी साथ आये बच्चों के लिए धरना स्थल पर ही क्रेच भी चला रही हैं और उनकी पढ़ाई में भी कोई व्यवधान नहीं पड़ने दे रही हैं

दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन के नेतृत्व में 31 जनवरी से शुरू हुई इस हड़ताल में आँगनवाड़ीकर्मियों ने न सिर्फ़ अपना काम ठप्प किया है बल्कि इन तमाम चुनावबाज़ पार्टियों के आँगनवाड़ीकर्मी विरोधी चरित्र व जनविरोधी चरित्र का पर्दाफ़ाश भी कर रहीं हैं। यूनियन ने यह घोषणा की है कि “आँगनवाड़ी महिलाओं के माँगपत्रक को नज़रअन्दाज़ करने वाली पार्टियों का हम पूर्ण रूप से और सक्रिय बहिष्कार करेंगी। वोट देना या नहीं देना तो दीगर बात है। जो भी पार्टियाँ लिखित तौर पर एक समयसीमा के अन्दर हमारी तमाम माँगों को पूरा करने का वायदा नहीं करेंगी, हम उनका न केवल दिल्ली के नगर निगम चुनावों में बहिष्कार करेंगी, बल्कि पंजाब, उत्तर-प्रदेश, गोवा, उत्तराखण्ड विधानसभा चुनावों में भी आँगनवाड़ीकर्मियों की टीमें भेजकर व सोशल मीडिया के ज़रिए व्यापक भण्डाफोड़ करेंगी।”

प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट लीग के साथी हड़ताल के समर्थन में

आँगनवाड़ीकर्मियों की चल रही अनिश्चितकालीन हड़ताल में कई प्रगतिशील संगठनों ने अपना समर्थन दिया। भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) से सनी ने अपनी बात रखते हुए आँगनवाड़ी स्त्री कामगारों की सभी माँगो का बिना शर्त समर्थन किया।
इसके अलावा प्रगतिशील महिला संगठन से पूनम कौशिक, इफ़टू दिल्ली के महासचिव राजेश कुमार, डीटीसी कॉण्ट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन से बाल्मीकि झा, ऑटोमोबाइल इण्डस्ट्री कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन से शाम शामिल रहे और अपना समर्थन दिया। इसके अलावा प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स लीग के छात्र-नौजवान भी हड़ताल में अपनी कला के ज़रिए संघर्षरत महिलाओं के साथ अपनी एकजुटता पेश कर रहे हैं। हरियाणा की क्रान्तिकारी मनरेगा मज़दूर यूनियन ने भी संघर्षरत महिलाओं से एकजुटता ज़ाहिर करते हुए सन्देश भेजा।

महिलाओं ने केजरीवाल सरकार और विभाग की हर चाल को नाकामयाब किया!

अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के पालतू बन चुके महिला एवं बाल विकास विभाग ने हड़ताल को तोड़ने की कई साज़िशें की। हड़ताल की घोषणा सुनते ही विभाग ने कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को नेतृत्व से अलग करने के लिए अपने सारी तिकरमें लगा दीं लेकिन आँगनवाड़ी की महिलाओं ने अपनी यूनियन दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन के कुशल नेतृत्व में बेहतरीन जवाब दिया और विभाग की हर चाल को नाकाम किया।
अरविन्द केजरीवाल की सरकार की चालबाज़ियाँ उल्टी पड़ीं और महिलाओं का सरकार के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा और तेज़ हो गया और यूनियन के नेतृत्व और राजनीति पर भरोसा और दृढ़ हुआ।
दिल्ली की आँगनवाड़ी महिलाओं के संघर्ष में यह एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व हड़ताल है क्योंकि इस बार पूरी दिल्ली के 95 फ़ीसदी सेण्टर्स पर ताले लगे हैं और महिलाएँ हड़ताल स्थल पर अपने नारों और बैनर-झण्डों के ज़रिए अपनी आवाज़ बुलन्द कर रही हैं।
बिगुल मज़दूर दस्ता दिल्ली की आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों की हड़ताल का समर्थन करता है।
आँगनवाड़ीकर्मियों की एकता ने पहले भी दिखाया है कि मज़दूरों की एकजुटता, सही राजनीतिक दिशा व नेतृत्व संघर्षरत मज़दूरों को उनका हक़ दिला सकता है।

दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन का माँगपत्रक :-

• हमारी ज़िम्मेदारी और महँगाई को ध्यान में रखते हुए सरकार हमारे मानदेय में तत्काल प्रभाव से बढ़ोत्तरी कर कार्यकर्ता एवं सहायिका को क्रमशः 25,000 रुपये व 20,000 रुपये के हिसाब से मानदेय का भुगतान करे।
• दिल्ली व केन्द्र सरकार यह सुनिश्चित करे कि केन्द्र सरकार द्वारा घोषित व 1 अक्तूबर 2018 से लागू मानदेय वृद्धि की बकाया राशि (जनवरी 2022 तक 39 महीनों के लिए कार्यकर्ता व सहायिका को क्रमशः 58,500 रुपये व 29,250 रुपये) का तुरन्त भुगतान किया जाये।
• आँगनवाड़ीकर्मियों को रिटायरमेण्ट सुविधाएँ दी जायें।
• दिल्ली व केन्द्र सरकार द्वारा आँगनवाड़ीकर्मियों को बेगार खटवाने के लिए ‘सहेली समन्वय केन्द्र’ खोलने व नयी शिक्षा नीति के फ़ैसले वापस लिये जायें। आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों के कार्यदिवस को बढ़ाने का फ़ैसला तत्काल वापस लिया जाये।
• कोविड महामारी के दौरान कार्यरत महिलाकर्मियों के लिए सुरक्षा का पूर्ण इन्तज़ाम किया जाये व उनके संक्रमित होने की स्थिति में उचित इलाज की ज़िम्मेदारी विभाग द्वारा उठायी जाये।
• समेकित बाल विकास परियोजना में ग़ैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) की घुसपैठ और हस्तक्षेप पर तत्काल पाबन्दी लगायी जाये।
• सभी आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाये, हमें नियमित किया जाये व श्रम क़ानूनों के अन्तर्गत लाया जाये ताकि हमें रोज़गार की पक्की गारण्टी मिले।
• नयी शिक्षा नीति – 2020 वापस ली जाये व ‘समेकित बाल विकास परियोजना’ (आई.सी.डी.एस.) में किसी भी प्रकार के निजीकरण पर रोक लगायी जाये।
• सभी आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को ई.एस.आई., पी.एफ़. व पेंशन जैसी सुविधाएँ मुहैया करायी जायें व सभी आँगनवाड़ी महिलाकर्मियों के लिए सामाजिक सुरक्षा कार्ड जारी किये जायें।
• आई.सी.डी.एस. योजना में रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती की जाये। सुपरवाइज़र पद पर पदोन्नति (प्रमोशन) आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं में से ही की जाये और योग्य आँगनवाड़ी सहायिकाओं का ‘प्रमोशन’ कार्यकर्ताओं के तौर पर किया जाये। इस प्रक्रिया को पूरी तरह ‘पारदर्शी’ बनाया जाये।
• जिन आँगनवाड़ीकर्मियों को ‘पैनल’ या ‘लीव’ पर रखा गया है, उन्हें तत्काल पारदर्शिता के साथ नियमित किया जाये। 2021 में नियमित की गयीं पैनल वर्कर्स के लेटर तुरन्त जारी किये जायें।
• आँगनवाड़ी का बजट बढ़ाया जाये व आँगनवाड़ी केन्द्रों में सूखे खाने को ही नियमित किया जाये।
• आबादी के अनुसार नये केन्द्र खोले जायें व ‘अडिशनल चार्ज’ का सिस्टम ख़त्म किया जाये।
• आँगनवाड़ी वर्करों की बन्द की गयी विधवा पेंशन पुनः बहाल की जाये।
• फ़ोन और इण्टरनेट बिल का ख़र्च सरकार वहन करे और इसका भुगतान नियमित किया जाये।
• दिल्ली एवं महिला बाल विकास विभाग द्वारा बीते 3 दिसम्बर को आँगनवाड़ीकर्मियों पर दण्डात्मक कार्रवाई की मंशा से जारी निर्देश को तत्काल वापस लिया जाये।
• डायरेक्ट बेनिफ़िट ट्रांसफ़र की स्कीम को रद्द किया जाये।
• पोषण ट्रैकर ऐप बन्द किया जाये।

मज़दूर बिगुल, फ़रवरी 2022


 

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