कम्पनी की लापरवाही से मज़दूर की मौत, सीटू नेताओं ने यहाँ भी की दलाली
बिगुल संवाददाता, लुधियाना
लुधियाना के फ़ोकल प्वाइण्ट, फेस-5 में स्थित ऑटो पार्ट्स बनाने वाली एक बड़ी कम्पनी बजाज संस इण्डिया लिमि. की सी-103 यूनिट, जिसमें लगभग 1000 मज़दूर काम करते हैं, में गुज़री 18 जनवरी को कम्पनी की लापरवाही की वजह से एक मज़दूर को अपनी जान गँवानी पड़ी। जीतू की उम्र लगभग 45 वर्ष थी। वह कम्पनी के पास ही स्थित जीवननगर में किराये के कमरे में अपनी माँ, पत्नी, 4 बच्चों के साथ रहता था। इस कम्पनी में लम्बे समय से काम कर रहा था। इन दिनों उसकी ड्यूटी पीस चेक करने पर लगी थी। जहाँ पर खड़े होकर उसे यह काम करना पड़ता था। उसके सामने एक 8 फ़ुट चौड़ा गेट है। इस गेट से ट्रॉली वगैरे से सामान ढोने का काम होता है। गेट पर पर्दा लगा होने की वजह से ट्रॉली के आने-जाने में दिक़्क़त आती थी। इसलिए कम्पनी मैनेजमेण्ट ने पर्दा हटवा दिया।
इसकी वजह से काफ़ी ज़्यादा सर्दी अन्दर आने लगी। जीतू ने इसकी शिकायत मैनेजर प्रमोद शर्मा से की और पर्दा लगाने के लिए कहा। लेकिन मैनेजर ने उसे गुस्से में बोला – “तुम्हें ज़्यादा ठण्डी लगती है? कोई पर्दा-वर्दा नहीं लगेगा।” एक हफ़्ते बाद 18 जनवरी को जीतू सुबह 6 बजे ड्यूटी आया। बहुत ज़्यादा सर्दी लगने से उसके पेट में दर्द शुरू हो गया। वो दो घण्टे कम्पनी में तड़पता रहा। इसके बाद ही कम्पनी की एम्बुलेंस से उसे ईएसआई अस्पताल ले जाया गया। कम्पनी के किसी मैनेजर ने उसे अपनी गाड़ी से अस्पताल ले जाने की पेशकश नहीं की। ईएसआई अस्पताल ने इलाज की अक्षमता बतायी और अपोलो अस्पताल रेफ़र कर दिया। लेकिन राह में ही उसकी मौत हो गयी।
उधर कम्पनी के रवैये से मज़दूर भड़के हुए थे। सबकी माँग थी कि लाश कम्पनी गेट पर आये। ग़ौरतलब है कि कम्पनी में सीटू की यूनियन है। सीटू द्वारा मज़दूरों की पीठ में छुरा घोंपने, धोखा देने, और पूँजीपतियों की दलाली, उनकी सेवा करने का पुराना इतिहास है। इस कम्पनी में भी सीटू लम्बे समय से अपना यही चरित्र पेश करती आयी है। इस मामले में सीटू नेताओं ने लाशों पर दलाली करने वाला चरित्र पेश किया है। सीटू नेताओं को पता था कि अगर लाश कम्पनी गेट पर जायेगी तो कम्पनी के ख़िलाफ़ मज़दूरों का ज़ोरदार प्रदर्शन होगा। दलाल नेता ऐसा हरगि़ज़ नहीं चाहते थे। लाश कम्पनी गेट पर लाने की बजाय सीधा उसके घर पर ले जायी गयी। वहाँ भी सिर्फ़ 15-20 मिनट रुका गया। कम्पनी मैनेजमेण्ट और सीटू नेताओं दोनों ही जल्द से जल्द लाश शमशान घाट पहुँचाने के लिए हड़बड़ाये हुए थे। असल में वे डरते थे कि कहीं कम्पनी के सारे मज़दूर घर पर ही न पहुँच जायें। शमशान घाट पहुँचकर भी सीटू नेता पण्डित को कह रहे थे कि भईया जल्दी-जल्दी मन्त्र पढ़ो, ज़्यादा देर मत लगाओ।
डॉक्टरी रिपोर्ट में लिख दिया गया कि जीतू घर पर बीमार हुआ है। मौक़े पर मौजूद सीटू नेताओं ने इस पर भी कोई किन्तु-परन्तु नहीं किया। सीटू नेताओं ने खुलकर कम्पनी का पक्ष लेते हुए कहा कि – “इसमें कम्पनी की क्या ग़लती है? कोई भी बीमार पड़ सकता है। और आधे घण्टे बाद एम्बुलेंस आ तो गयी थी”। जब कि एम्बुलेंस दो घण्टे लेट पहुँची। और अत्यधिक ठण्ड में काम करवाने, गेट से पर्द हटाने, पर्दा लगाने की माँग करने पर डाँटने की सारी बातें सीटू नेता गोल कर गये। वास्तव में यह तो क़त्ल है। और सीटू नेताओं ने सरेआम कातिल कम्पनी को बचाने का काम किया है। सीटू नेताओं ने बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए मज़दूरों के सामने हाँक रहे थे कि – “देखा, दोनों यूनिटों में छुट्टी करवा दी, और कितना बड़ा जुलूस निकला है। लोगों को लग रहा है कि कोई बड़ा आदमी मरा है।” मज़दूरों को सीटू नेताओं के रवैये पर बेहद गुस्सा आ रहा था। लेकिन वे मौक़े पर कुछ कर नहीं पाये।
जब सीटू नेता ही जेब में हों तो मैनेजमेण्ट को किस बात का डर? मज़दूरों को बोल दिया गया कि दो घण्टे की छुट्टी में जो उत्पादन का नुक़सान हुआ है, उसे पूरा करना होगा।
बजाज संस लि. में रोज़ाना मज़दूरों के साथ हादसे होते हैं, ख़ासकर पावर प्रेस विभाग में। लेकिन सीटू नेता कभी इसके खि़लाफ़ आवाज़ नहीं उठाते। सीटू नेताओं ने मज़दूरों को पहले यह भी नहीं बताया था कि कुशलता के हिसाब से न्यूनतम वेतन का क्या क़ानूनी अधिकार है और मज़दूरों का कितना-कितना न्यूनतम वेतन बनता है। इन माँगों पर जब ‘बिगुल’ ने मज़दूरों को जगाया और मज़दूरों ने न्यूनतम वेतन और अन्य माँगों के लिए सीटू से अलग होकर संघर्ष शुरू किया तो सीटू नेताओं ने अपना आधार बचाने के लिए मैनेजमेण्ट को कहकर न्यूनतम वेतन लागू करवाया। मैनेजमेण्ट को भी डर था कि अगर मज़दूर जूझारू संघर्ष की राह चल पड़े और सीटू का आधार ख़त्म हो गया तो बहुत गम्भीर स्थिति हो जायेगी। इस तरह सीटू और मैनेजमेण्ट की मिलीभगत का बजाज संस लि. में लम्बा इतिहास है। जीतू की मौत के मामले में भी सीटू नेता दलाली खाने से बाज नहीं आये। बहुत से मज़दूर कहते हैं कि नहीं सोचा था कि सीटू नेता कम्पनी की दलाली करते-करते इतना नीचे गिर जायेंगे।
बजाज संस लि. के मज़दूर जितनी जल्दी मैनेजमेण्ट-सीटू गठबन्धन के बिछाये जाल से बाहर निकल आयें उतना अच्छा है।
मज़दूर बिगुल, फरवरी 2019
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