अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस पर पूँजीवादी शोषण के खि़लाफ़
संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया
बिगुल डेस्क
लुधियाना
लुधियाना में अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस के महान दिन पर मज़दूर पुस्तकालय, ईडब्ल्यूएस कालोनी (ताजपुर रोड) पर मज़दूर संगठनों द्वारा मज़दूर दिवस सम्मेलन का आयोजन किया गया। सैकड़ों मज़दूरों ने मई दिवस के मज़दूर शहीदों – अल्बर्ट पार्सन्स, अगस्त स्पाईस, एडॉल्फ़ फि़शर, जाॅर्ज एंजिल, और लूईस लिंग को भावभिन्नी श्रद्धांजलि भेंट की और अपने अधिकारों के लिए पूँजीवादी लूट-शोषण के खि़लाफ़ संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया। ”मई दिवस के शहीदों को लाल सलाम”, ”दुनिया के मज़दूरो एक हो!”, ”अमर शहीदों का पैग़ाम, जारी रखना है संग्राम”, ”इंक़लाब जिन्दाबाद”, आदि गगनभेदी नारों के साथ मज़दूर वर्ग का क्रान्तिकारी लाल झण्डा फहराया गया। मई दिवस के शहीदों की याद में दो मिनट का मौन रखा गया।
सम्मेलन को कारख़ाना मज़दूर यूनियन के अध्यक्ष लखविन्दर, टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन के अध्यक्ष राजविन्दर, स्त्री मज़दूर संगठन की बलजीत, नौजवान भारत सभा के सचिव कुलविन्दर ने सम्बोधित किया। क्रान्तिकारी सांस्कृतिक मंच ‘दस्तक’ द्वारा शहीद भगत सिंह के जेल जीवन के अन्तिम दिनों के बारे में दविन्दर दमन का लिखा नाटक ‘छिपने से पहले’ पेश किया गया। दस्तक द्वारा क्रान्तिकारी गीत भी पेश किये गये।
वक्ताओं ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस मनाने को रस्मपूर्ति के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए। मई दिवस दुनिया के मज़दूरों को देश, धर्म, जाति, भाषा, भेष, रंग, नस्ल के नाम पर बाँटने वालों के खि़लाफ़ एक वर्ग के तौर पर एकजुट होने, पूँजीवादी लूट-शोषण के खि़लाफ़ व्यापक संघर्ष छेड़ने का आह्वान करता है।
इस वक़्त पूरी दुनिया में मज़दूर सहित अन्य तमाम मेहनतकश लोगों का पूँजीपतियों-साम्राज्यवादियों द्वारा लुट-शोषण पहले से भी बहुत बढ़ गया है। वक्ताओं ने कहा कि भारत में तो हालात और भी बदतर हैं। मज़दूरों को हाड़तोड़ मेहनत के बाद भी इतनी आमदनी भी नहीं है कि अच्छा भोजन, रिहायश, स्वास्थ्य, शिक्षा, आदि ज़रूरतें भी पूरी हो सकें। भाजपा, कांग्रेस, अकाली दल, आप, सपा, बसपा सहित तमाम पूँजीवादी पार्टियों की उदारीकरण-निजीकरण-भूमण्डलीकरण की नीतियों के तहत आठ घण्टे दिहाड़ी, वेतन, हादसों व बीमारियों से सुरक्षा के इन्तज़ाम, पीएफ़, बोनस, छुट्टियाँ, काम की गारण्टी, यूनियन बनाने आदि सहित तमाम श्रम अधिकारों का हनन हो रहा है। काले क़ानून लागू करके जनवादी अधिकारों को कुचला जा रहा है। धार्मिक कट्टरपन्थी जनता को आपस में बाँटकर जनता का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटकाने में पूरे जोर-शोर से लगे हुए हैं। अल्पसंख्यकों, महिलाओं, आदिवासियों, दलितों पर हमले हो रहे हैं। जनता पर पूँजीपति वर्ग का हमला और भी तेज़ हो गया है। वक्ताओं ने कहा कि लोगों को आपसी भाईचारा और सद्भावना क़ायम करनी होगी। वर्गीय एकता मज़बूत करनी होगी। बुनियादी ज़रूरतों से जुड़े अधिकारों के लिए संघर्ष तेज़ करना होगा।
पूँजीवादी व्यवस्था दुनिया के मेहनतकशों को ग़रीबी-बदहाली, दमन, युद्ध तबाही, धर्म-नस्ल-देश-जाति-क्षेत्र के नाम पर नफ़रत व क़त्लेआम आदि के सिवा और कुछ नहीं दे सकती। अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि यही हो सकती है कि पूँजीवादी शोषण के ख़ात्मे के लिए मई दिवस का पैग़ाम हर मज़दूर, हर मेहनतकश तक पहुँचाया जाये।
पूर्वी उत्तर प्रदेश
अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस पर पूर्वी उत्तर प्रदेश में बिगुल मज़दूर दस्ता की ओर से 26 अप्रैल से 1 मई तक ‘मई दिवस स्मृति संकल्प सप्ताह’ का आयोजन किया गया। ‘मई दिवस स्मृति संकल्प सप्ताह’ के दौरान इलाहाबाद के सिविल लाइन्स स्थित बिजली विभाग, डाकघर, प्रयाग रेलवे स्टेशन, अल्लापुर लेबर चौराहा और राजकीय मुद्रणालय में नुक्कड़ सभाओं, नुक्कड़ नाटक और क्रान्तिकारी गीतों के ज़रिये कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। बिगुल मज़दूर दस्ता की गोरखपुर इकाई ने गोरखपुर स्थित पूर्वोत्तर रेलवे के ‘यान्त्रिक कारख़ाना’ में पोस्टर प्रदर्शनी लगायी तथा मोहरीपुर औद्योगिक इलाक़े में पैदल मार्च निकालकर नुक्कड़ सभाएँ की गयीं। बिगुल मज़दूर दस्ता की उरई (जालौन) की इकाई ने माधोगढ़ क्षेत्र के चाकी, भंगा, सिरसादोगड़ी और राजपुरा गाँवों में सभाओं के ज़रिये मई दिवस की विरासत और आज की परिस्थितियों पर चर्चा की गयी। बिगुल मज़दूर दस्ता की ओर से अम्बेडकरनगर में मुडि़यारी, कसमा का पूरा, मिश्रौलिया और टण्डवा शुक्ल गाँव में सभाएँ की गयीं। 1 मई को गोरखपुर के बरगदवाँ औद्योगिक क्षेत्र स्थित शिव मन्दिर पर सभा की गयी। सभा को बिगुल मज़दूर दस्ता और टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन के प्रतिनिधियों ने सम्बोधित किया। इस दौरान क्रान्तिकारी गीत गाये गये और बरगदवाँ और मोहरीपुर के इलाक़े में जुलूस निकाला गया। मऊ में वामपन्थी मोर्चा की ओर से चौक से आजमगढ़ मोड़ जुलूस निकाला गया। जुलूस में बिगुल मज़दूर दस्ता के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की। जुलूस के बाद बिजली विभाग के कम्पाउण्ड में सभा की गयी। 1 मई को बिगुल मज़दूर दस्ता की ओर से ‘अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस’ के अवसर पर गवर्नमेण्ट प्रेस स्थित श्रम हितकारी केन्द्र के सभागार में सभा का आयोजन किया गया। सभा से पूर्व एकलव्य चौराहे से एजी ऑफि़स के बीच नुक्कड़ सभाएँ करके पर्चे वितरित किये गये। कार्यक्रम की शुरुआत ‘तस्वीर बदल दो दुनिया की’ से की गयी। सभा के दौरान बिगुल मज़दूर दस्ता के प्रसेन ने कहा कि मई दिवस के शहीदों की क़ुरबानियों और पूरी दुनिया के मज़दूर आन्दोलनों के दबाव के बाद ही ‘आठ घण्टे काम, आठ घण्टे आराम, आठ घण्टे मनोरंजन’ का क़ानूनी अधिकार प्राप्त हुआ था। आज के समय में जब पूरी दुनिया भयंकर आर्थिक संकट का शिकार है, एक-एक करके सभी हक़ों-अधिकारों में कटौती शुरू हो गयी है। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले करोड़ों मज़दूरों के लिए आठ घण्टे काम का नियम केवल किताबी बात है। श्रम क़ानूनों में संशोधन करके मोदी सरकार ने रही-सही सुरक्षा को भी छीनकर पूँजी की लूट के सामने खुला छोड़ दिया है। न्यूनतम वेतन, ओवरटाइम के डबल रेट समेत ईएसआई/ईपीएफ़ आदि सुविधाएँ कहीं भी हासिल नहीं हैं। सरकारी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के ऊपर भी असुरक्षा की तलवार लटक रही है। नयी पेंशन नीति, 50 साल की उम्र में सीआरएस जैसे फै़सलों के रूप में कर्मचारियों के हक़ों पर होने वाले हमले रोज़ बढ़ रहे हैं। ऐसे समय में इन नीतियों के ख़िलाफ़ मज़दूरों, कर्मचारियों और छात्रों की एक व्यापक एकजुटता बनाने के साथ ही फासीवाद के मुहाने पर खड़ी दुनिया को एक नये समाजवादी भविष्य की दिशा में मोड़ना आज के समय का एक अहम कार्यभार है। मई दिवस के शहीदों की विरासत इस सदी को निर्णायक सदी में बदलने के लिए प्रेरणा स्रोत है। सभा को राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के जिला महामन्त्री विनोद कुमार पाण्डेय, नलकूप मण्डल इलाहाबाद के मण्डल अध्यक्ष कपिल कुमार, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संघ के प्रेमचन्द्र ‘क्रान्तिकारी’, गवर्नमेण्ट प्रेस इम्प्लाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश शंकर, ध्रुव नारायण समेत विभिन्न ट्रेड यूनियनों और जनसंगठनों के प्रतिनिधियों ने सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन एएन सिंह ने किया। सभा की अध्यक्षता प्रिन्टिंग एण्ड स्टेशनरी मिनिस्टीरियल एसोसिएशन के अध्यक्ष रामसुमेर ने की। कार्यक्रम के दौरान क्रान्तिकारी गीत ‘हम मेहनत करने वाले’, ‘आँखों में हमारी नयी दुनिया के ख़वाब हैं’, ‘हम मेहनतकश जग वालों से’, ‘बड़ी-बड़ी कोठिया सजाये पूँजीपतिया’ आदि गीत गाये और नुक्कड़ नाटक ‘मशीन’ प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का समापन गवर्नमेण्ट प्रेस से एजी ऑफि़स तक जुलूस निकालकर किया गया।
नोएडा
मई दिवस के अवसर पर बिगुल मज़दूर दस्ता द्वारा नोएडा के पास बहरामपुर गाँव के बाहर, मज़दूरों के बीच मई दिवस का पर्चा वितरित किया गया। पर्चा वितरण के दौरान मज़दूरों से बातचीत हुई जिसमें उन्होंने बताया कि फै़क्टरियों-कारख़ानों में हालात बहुत खराब हैं। कम्पनी में ओवरटाइम न करो तो नौकरी से निकालने की धमकी दी जाती है। बारह-बारह घण्टे काम करने के बावजूद भी 8-9 हज़ार ही कमा पा रहे हैं। महँगाई इतनी बढ़ गयी है कि घर-परिवार का गुज़ारा भी नहीं हो पा रहा है। 2014 में मोदी सरकार के द्वारा दिखाये गये अच्छेे दिनों के सपने भी अब बुरे दिनों की हक़ीकत ही दिखाते हैं। उन्होंने बताया कि आज मई दिवस के दिन भी काम पर बुलाया गया है। इन सारी बातों का गुस्सा मज़दूरों के बीच दिखायी दे रहा था। वहीं मौजूद कुछ मज़दूरों ने बताया कि नोएडा की कई कम्पनियों में मज़दूर यूनियनें भी हैं लेकिन मई दिवस के मौक़े पर काम पर बुलाने पर किसी भी यूनियन की मज़दूरों के हक़ में कहीं कोई आवाज़ भी नहीं सुनायी देती। बिगुल के कार्यकर्ताओं ने मई दिवस का महत्व बताते हुए कहा कि इन हालातों को बदलने के लिए किसी भी चुनावबाज़ पार्टी या दलाल यूनियनों की पूँछ पकड़कर चलने से कुछ नहीं होगा। आज ज़रूरत यह है कि सभी मज़दूरों-मेहनतकशों को नये सिरे से अपने आप को संगठित करना होगा और क्रान्तिकारी संगठन व पार्टी का निर्माण करना होगा, जो सच्चे अर्थों में मज़दूरों के हक़ में लड़ते हुए इस पूँजीवादी व्यवस्था का ही ख़ात्मा करे जिसने मज़दूरों को पूँजी का गुलाम बना रखा है।
दिल्ली
मई दिवस पर मज़दूरों ने किया वज़ीरपुर का चक्काजाम!
दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन और बिगुल मज़दूर दस्ता के हड़ताली दस्तो ने वज़ीरपुर की फैक्टरियों में जाकर काम बन्द करवाया। जैसे-जैसे हड़ताली दस्ता एक फैक्ट्री में जाकर काम बंद करवाता वैसे-वैसे फैक्टरियों से बाहर निकल मज़दूर हड़ताली दस्ते में शामिल हो जाते और हड़ताली दस्ते का कारवां आगे बढ़ जाता। मज़दूरों ने अपने साथियों के आह्वान पर फैक्ट्री से बाहर निकल अपना लाल-झण्डा थामा और मई दिवस के शहीदों को याद करते हुए नारे बुलंद किये। कई फॅक्टरी मालिकों और मुनीमों ने मज़दूरों को फैक्ट्री से बाहर जाने से रोकने का असफल प्रयास भी किया। कई जगह फैक्ट्री मालिकों से हड़ताली दस्ते के सदस्यों की झड़प भी हुई लेकिन अपनी एकता के दम पर मज़दूरों ने फैक्टरियों में काम ठप्प कर वज़ीरपुर का चक्काजाम कर दिया। सभी मज़दूरों ने मिलकर वज़ीरपुर में मई दिवस के अवसर पर एक विशाल रैली निकाली। वज़ीरपुर के चौराहों और फैक्टरियों के बाहर नुक्कड़ सभाएं कर मज़दूरों को मई दिवस के इतिहास और मज़दूर वर्ग के लिए इस दिन के महत्व के बारे में बताया गया। मई दिवस वास्तव में मज़दूर वर्ग का असली त्यौहार है आज ही के दिन लगभग 133 साल पहले अमेरिका के शिकागो शहर में मज़दूरों ने 8 घण्टे काम की अपनी राजनीतिक माँग को लेकर संघर्ष शुरू किया। जिसके बाद मई दिवस से शुरू हुआ संघर्ष अमरीका से निकल पूरे विश्व में फैल गया और अपनी इसी राजनीतिक माँग के बैनर तले मज़दूर वर्ग ने खुद को लामबंद किया। मई दिवस के शहीदों पार्सन्स, स्पाइस, फिशर, एंजिल, नीबे, शवाब, फ़ील्डेन को याद करते मज़दूरों ने एकजुट हो अपने हक़ों के लिए संघर्ष करने का संकल्प लेते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। मई दिवस के नारे ‘8 घण्टे काम, 8 घण्टे आराम और 8 घण्टे मनोरंजन’ और इन्सान के लायक जीवन जीने के अधिकार को हासिल करने के लिए संघर्ष करने का प्रण लिया।
दिल्ली के बवाना औद्योगिक क्षेत्र में हनुमान चौक के पास मई दिवस सप्ताह के तहत सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में ‘देश को आगे बढ़ाओ’ नाटक का मंचन किया गया औए साथ ही क्रान्तिकारी गीतों को प्रस्तुति भी की गई। बिगुल मज़दूर दस्ता के सनी ने मई दिवस के राजनीतिक महत्व पर बात रखते हुए कहा कि मई दिवस मज़दूरों के संघर्ष का वो स्वर्णिम अध्याय है जब मज़दूरों ने एकजुट होकर पूरे पूँजीपति वर्ग के सामने अपनी राजनीतिक माँग रखी थी। बवाना औद्योगिक मज़दूर यूनियन के भारत ने सभा मे बात रखते हुए कहा कि मई दिवस का इतिहास जानना और मई दिवस के शहीदों की कुर्बानी को याद करते हुए आज यह हमारा कर्तव्य बन जाता है कि हम अपने संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए एकजुट हो।आज के कार्यक्रम में मज़दूरों ने बेहद उत्साह के साथ शिरकत की।
दिल्ली की शाहबाद डेरी में मई दिवस सप्ताह के तहत सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। आज के इस कार्यक्रम में शाहबाद डेरी के निवासियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सेदारी की। सभा की शुरुआत में दिल्ली घरेलू कामगार यूनियन की अदिति ने मई दिवस के बारे में बात रखते हुए मई दिवस के शहीदों को याद कर आज के हालातों के ख़िलाफ़ एकजुट हो कर संघर्ष करने के लिए आगे बढ़ने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। बिगुल मज़दूर दस्ता के प्रेमप्रकाश ने सभा में शामिल सभी लोगों को शिकागों से शुरु हुई ‘काम के घंटे 8 करो’ आंदोलन के इतिहास से अवगत करवाया। उन्होंने मज़दूर वर्ग के उस शानदार संघर्ष के बारे में बताया जिसके चलते पूरे पूँजीपति वर्ग को मज़दूरों की इस राजनीतिक माँग के आगे सिर झुकाना पड़ा था। सांस्कृतिक संध्या में क्रान्तिकारी गीतों के साथ एक नाटक का मंचन भी किया गया। दिल्ली घरेलू कामगार यूनियन के साथ बवाना औद्योगिक क्षेत्र मज़दूर यूनियन, करावल नगर मज़दूर यूनियन और दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन ने भी शिरकत की।
पटना
बिगुल मजदूर दस्ता द्वारा मई दिवस सप्ताह के तहत पटना के विभिन्न इलाकों में नुक्कड़ सभाओं का आयोजन किया गया। पटना के मुन्ना चौक और मलाही पकड़ी स्थित लेबर चौकों पर नुक्कड़ सभाओं का आयोजन किया गया व परचा वितरण भी किया गया। बाटा फैक्टरी के मज़दूरों के बीच मई दिवस के शहीदों को याद करते हुए नुक्कड़ सभा की गयी एवं पर्चे बाँटे गये।
लखनऊ
मई दिवस के अवसर पर बिगुल मज़दूर दस्ता की टोली मई दिवस का पैग़ाम लेकर लखनऊ के तालटकटोरा औद्योगिक क्षेत्र और गढ़ी कनौरा रिहायशी इलाके में पहुँची। इस औद्योगिक क्षेत्र में 100 से अधिक फैक्ट्रियाँ हैं जिनमें मज़दूर 12-12 घंटे तक खटकर प्लाईवुड, डब्बे, प्लास्टिक सामान और मोमोज़ आदि बनाते हैं। मई दिवस के दिन भी सभी फैक्ट्रियों में काम बदस्तूर जारी रहा। शाम को जब एक फैक्ट्री के बाहर बिगुल मज़दूर दस्ता की टोली जनसभा कर रही थी तभी उस फैक्ट्री के भीतर से मैनेजमेंट का एक आदमी और इलाके के मालिकों की एसोसिएशन का एक कारकून आकर सभा को रोकने की कोशिश करने लगा। उसका कहना था कि मई दिवस का संदेश दीजिए लेकिन लाल पट्टी पहनकर क्रांतिकारी बातें मत कीजिए। लगभग सभी फैक्ट्रियों में मज़दूर अंदर ओवरटाइम पर काम कर रहे थे। जो मज़दूर वापस घर लौट रहे थे उन्होंने मई दिवस का संदेश सुना और पर्चे लिये। मई दिवस की पूर्व संध्या पर डालीगंज के लेबर चौक और खदरा में सभाएँ की गयीं और पर्चे बाँटे गये।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के अहमदनगर में अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर नौजवान भारत सभा, बिगुल मजदूर दस्ता व क्रांतिकारी मजदूर मोर्चा की तरफ से लेबर चौक मजदूरों के बीच अभियान चलाया गया, पर्चे वितरित किये गये व क्रांतिकारी गीत पेश किये गये। शाम को सफाई कामगारों के बीच सिद्धार्थनगर इलाके में एक वृत्तचित्र दिखाया गया।
उत्तराखंड
मई दिवस के अवसर पर बिगुल मज़दूर दस्ता द्वारा रोशनाबाद (हरिद्वार) के परमानंद विहार मज़दूर बस्ती में मई दिवस के शहीदों के संघर्षों और उनकी कुर्बानियों की याददिहानी को लेकर नुक्कड़ सभाएँ की गईं और व्यापक पर्चा वितरण किया गया।
नुक्कड़ सभा में बात रखते हुए वक्ताओं ने कहा कि, मई दिवस पूरी दुनिया के मज़दूरों की वर्गीय एकजुटता और उनके राजनीतिक संघर्षों व आंदोलनों का प्रतीक दिवस है। यह मज़दूरों के गरिमामय जीवन,स्वाभिमान और वर्गीय राजनीतिक चेतना को अभिव्यक्त करने वाला त्योहार है,जिसे दुनियाभर के मज़दूर बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। आज मई दिवस की विरासत और मई दिवस के शहीदों की कुर्बानियों को याद करने का मक़सद मज़दूरों के संघर्षों और आंदोलनों की परम्परा को आगे बढ़ाना है।
राजस्थान
बहरोड़, अलवर में मई दिवस के मौक़े पर बिगुल मज़दूर दस्ता के कार्यकर्ताओं द्वारा सोतानाला इण्डस्ट्रियल इलाक़े में पर्चा वितरण व सभाओं का आयोजन किया गया। सोतानाला इलाक़े में छोटी-बड़ी कई फै़क्टरियाँ स्थापित हैं। यहाँ मुख्यतः केमिकल, प्लास्टिक, पेपर, स्टोन, बीयर एवं शराब बनाने के कारख़ाने मौजूद हैं। इन कारख़ानों के आसपास मज़दूरों की छोटी-छोटी बसाहटें हैं, जिनमें अधिकतर बाहर से आये हुए मज़दूर रहा करते हैं। मज़दूर दिवस पर राज्य सरकार द्वारा जारी किये गयक सवैतनिक अवकाश बाबत नोटिफिकेशन के बावजूद अधिकतर फै़क्टरियों में काम चालू था। मज़दूरों ने बातचीत के दौरान बताया कि नयी स्थापित फै़क्टरियों को छोड़कर बाक़ी सभी में आज भी काम पर बुलाया गया है। अधिकांश मज़दूरों को तो यह तक नहीं पता था कि आज मज़दूर दिवस है। मज़दूरों ने बताया कि यहाँ हर फै़क्टरी में ज़्यादातर मज़दूर ठेकेदारों के तहत काम करते हैं। स्थायी मज़दूर तो गिने-चुने ही हैं। ज़्यादातर फै़क्टरियों में काम 12 घण्टे तक करना पड़ता है। वर्तमान में 8 घण्टे काम की जो मज़दूरी मिलती है, वो बहुत कम है। दुर्घटना हो जाने पर कोई सहायता राशि प्रदान नहीं की जाती। अगर मज़दूर मैनेजमेण्ट से कभी कोई छोटी सी माँग भी करते हैं तो उन्हें काम से निकाल देने की धमकी दी जाती है। बातचीत के दौरान मज़दूरों ने यूनियन बनाने की आवश्यकता को स्वीकार किया। पर्चे के अलावा कार्यकर्ताओं ने मज़दूरों को ‘बिगुल’ अख़बार से भी परिचित करवाया। बहुत से मज़दूरों ने अख़बार को पढ़ने की इच्छा जाहिर की।
मज़दूर बिगुल, मई 2018
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