लुधियाना में 16 वर्षीय शहनाज़ के अपहरण, बलात्कार और क़त्ल का दर्दनाक घटनाक्रम
स्त्रियों, मज़दूरों, मेहनतकशों को अपनी रक्षा के लिए ख़ुद आगे आना होगा

लखविन्दर

लुधियाना के ढण्डारी खुर्द में 4 दिसम्बर को मज़दूर परिवार की एक लड़की को उसके घर में घुसकर बलात्कारी गुण्डा गिरोह ने मिट्टी का तेल डालकर जला दिया। उस समय वह घर में अकेली थी। चार दिन तक मौत से लड़ने के बाद 8 दिसम्बर को उसकी मौत हो गयी। उसके आखिरी शब्द थे – माँ, मुझे इंसाफ़ चाहिए।

2014-12-14-LDH-Protest agnst rape-4यह दर्दनाक घटनाक्रम बयान कर पाना बहुत कठिन है और सिहरन पैदा करता है। इस 16 वर्ष की बारहवीं कक्षा की छात्रा को स्कूल जाते हुए 25 अक्टूबर को गुण्डा गिरोह ने अगवा किया था। परिवार पुलिस के पास रिपोर्ट लिखवाने गये तो उन्हें एक चौकी से दूसरी चौकी दौड़ाया गया। रिश्वत माँगी गई। दो दिन तक बलात्कार करने के बाद उसे छोड़ दिया गया। बहुत भागदौड़ करने के बाद रिपोर्ट दर्ज हुई। लेकिन बलात्कार की धारा नहीं लगायी गयी। चार लड़कों के खिलापफ़ रिपोर्ट दर्ज हुई। इनमें से तीन 15 दिन बाद ज़मानत पर रिहा हो गये और चौथा पकड़ा नहीं गया। 30 अक्टूबर को स्थानीय लोगों ने पुलिस थाने पर प्रदर्शन करके पुलिस से माँग की थी कि चौथे बलात्कारी विक्की को भी पकड़ा जाए और इनपर बलात्कार का केस दर्ज हो। इसके अगले ही दिन 31 अक्टूबर को गुण्डा गिरोह के अन्य लड़कों ने घर में घुसकर लड़की को बाँधकर और उसके मुँह में कपड़ा डालकर मारा-पीटा और धमकाया कि केस वापिस ले। लेकिन वह और उसका परिवार इंसाफ़ के लिए डटे रहे। धमकियों के बावजूद उन्होंने लड़ाई जारी रखी। माँ-बाप पुलिस से सुरक्षा की माँग करते रहे, प्रधानमंत्री को भी चिट्ठी लिखी, विभिन्न पार्टियों के नेताओं से मदद माँगी लेकिन कहीं से मदद नहीं मिली। 4 दिसम्बर को माँ-बाप जब केस की तारीख पर गये थे तो गुण्डे फिर घर में घुसे और तेल डालकर उस लड़की को जला दिया।

2014-12-09-LDH-Protest agnst rape-74 दिसम्बर को पीड़िता को आग लगाने की घटना के बाद जब पुलिस की चारों तरपफ़ से थू-थू हुई तो तीन-चार दिन में चार दोषियों (बिन्दर, अनवर, सहजाद, न्याज) को गिरफ्तार किया गया। अमरजीत, विक्की, बब्बू और बल्ली अभी भी फरार थे। इस गुण्डा गिरोह को नेताओं और पुलिस की कितनी सरपरस्ती हासिल है इसका अन्दाज़ा लगाना कठिन नहीं कि इन दिनों भी दोषी इलाके में खुलेआम घूम रहे थे। बलात्कारियों की मदद करने वाले पुलिस अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी। इलाज का सारा खर्च परिवार को उठाना पड़ रहा था। कारखाना मज़दूर यूनियन ने 8 दिसम्बर की शाम इलाके के मज़दूरों और अन्य स्थानीय लोगों की बड़ी मीटिंग करके संघर्ष कमेटी बनायी। सभी दोषियों को तुरन्त गिरफ्तार करने, केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाकर दोषियों को सज़ा देने, पीड़ित परिवार को कम से कम दस लाख का मुआवज़ा देने, दोषी पुलिस अधिकारियों को बर्खास्त करने और उन पर आपराधिक केस दर्ज करके उन्हें सख्त से सख्त सज़ा देने, गुण्डा गिरोहों-पुलिस-नेताओं के गठज़ोड़ पर लगाम कसने और आम लोगों खासकर स्त्रियों की सुरक्षा की गारण्टी करने की माँगों पर संघर्ष छेड़ने का ऐलान किया गया। अगले दिन पुलिस कमिशनर कार्यालय पर प्रदर्शन किया जाना था। उसी रात पीड़िता की मौत हो गई। संघर्ष समिति के आह्वान पर सुबह इलाके के हजारों मज़दूर काम पर न जाकर पीड़िता के घर पर इकट्ठा हुए और प्रदर्शन कर सरकार से उपरोक्त माँगें पूरी करने की माँग की। मगर इसके बजाय इलाके में भारी संख्या में पुलिस तैनात कर दी गयी। रंग-बिरंगे नेताओं, स्थानीय दलालों का झुण्ड भी आ पहुँचा। इन नेताओं ने परिवार को पुलिस पर भरोसा रखने के लिए कहा और मज़दूरों को धरना हटा देने लिए कहने के लिए दबाव बनाया। वे एक तरफ तो परिवार को पूरा साथ देने का वादा कर रहे थे लेकिन आपस में बात कर रहे थे कि क्या पता लड़की को परिवार ने खुद ही मारा हो। धरने की अगुवाई करने वाले यूनियन नेताओं को आतंकवादी, दंगई आदि कहकर बदनाम किया जा रहा था। ये दलाल मज़दूरों को काम पर जाने या कमरे पर जाकर आराम करने के लिए मना रहे थे। मज़दूरों के ज़ोरदार प्रदर्शन के कारण पुलिस-प्रशासन पर माँगें मानने के लिए काफी दबाव बना हुआ था लेकिन चुनावी पार्टियों के दलाल नेताओं के चलते कोई माँग नहीं मनवायी जा सकी। खानापूर्ती के लिए निचले पदों के दो पुलिस अधिकारियों का निलम्बन कर दिया गया। इसके सिवा बस खोखले जुबानी वायदे किये गये।

2014-12-08-LDH-Protest agnst rape-2पंजाब सरकार खुलेआम दोषियों को बचाने का काम कर रही है। 12 दिसम्बर को पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने बयान दिया कि इस मामले की सच्चाई वो नहीं है जो पेश की जा रही है। उसके बयान का स्पष्ट अर्थ था कि लड़की ने अस्पताल में जज को जो बयान दिया वो झूठा है। वास्तव में, पंजाब सरकार अपने कुप्रशासन को छुपाना चाहती है। सरकार गुण्डा गिरोह व उसकी पीठ थपथपाने वाले नेताओं को बचाना चाहती है।

सुखबीर बादल के उपरोक्त बयान से लोगों का रोष अत्यधिक बढ़ गया। कारखाना मज़दूर यूनियन (अध्यक्ष लखविन्दर), टेक्सटाइल हौज़री कामगार यूनियन (अध्यक्ष राजविन्दर), नौजवान भारत सभा (नवकरण), पंजाब स्टूडेंटस यूनियन (ललकार) के नेतृत्व में 14 तारीख को तीन हज़ार से भी अधिक लोगों ने नेशनल हाईवे-1 (जी.टी. रोड) जाम कर दिया। माँग की गयी कि सुखबीर बादल झूठी बयानबाजी के लिए माफी माँगें, बलात्‍कारियों- कातिलों को बचाने की कोशिशें बन्द की जायें, और पीड़ित परिवार को इंसाफ दिया जाए। दो घण्टे से भी अधिक समय तक हाईवे पूरी तरह जाम रहा। पुलिस-प्रशासनिक उच्च अधिकारियों द्वारा इंसाफ की गारण्टी करने के भरोसे के बाद ही धरना हटाया गया।

2014-12-14-LDH-Protest agnst rape-3अधिकतर परिवार छेड़छाड़, बलात्कार, अगवा आदि की घटनाओं को बदनामी के डर से दबा जाते हैं। लेकिन पीड़ित परिवार ने ऐसा नहीं किया। तमाम धमकियों, अत्याचारों के बावजूद भी लड़ाई जारी रखी है। पीड़ित लड़की और उसके परिवार का साहस सभी स्त्रियों, ग़रीबों और आम लोगों के लिए मिसाल है।

इंसाफ़ की इस लड़ाई में मज़दूरों और अन्य आम लोगों धर्म, जाति, क्षेत्र से ऊपर उठकर जो एकजुटता दिखाई है वह अपने आप में एक बड़ी बात है। कई धार्मिक कट्टरपंथी, चुनावी दलाल नेता, पुलिस-प्रशासन के पिट्ठू छुट्टभैया नेता इस मामले को एक ‘‘कौम’’ का मसला बनाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन जनता ने इनकी एक न चलने दी। 14 दिसम्बर को रोड जाम करके किये गये प्रदर्शन के दौरान पंजाबी भाषी लोगों का भी काफी समर्थन हासिल हुआ। स्त्रियों सहित आम जनता को अत्याचारों का शिकार बना रहे गुण्डा गिरोहों और जनता को भेड़-बकरी समझने वाले पुलिस-प्रशासन, वोट-बटोरू नेताओं और सरकार के गठबन्धन को मज़दूरों-मेहनतकशों की फौलादी एकजुटता ही धूल चटा सकती है।

सरकार और पुलिस-प्रशासन के लिए जनता के इस संघर्ष को एकदम अनदेखा कर देना सम्भव नहीं रह गया है। इस केस को फास्ट ट्रेक कोर्ट में भेजने का ऐलान पुलिस कर चुकी है। प्रदर्शन के बाद दो और दोषी पकड़े जा चुके हैं। प्रशासन परिवार को अधिक से अधिक मुआवज़ा देने की कागज़ी कार्रवाई शुरू कर चुका है।

यह मामला सिर्फ एक परिवार का नहीं है बल्कि सभी उत्पीड़ित स्त्रियों, आम जनता, मज़दूरों, मेहनतकशों, नौजवानों, छात्रों, इंसाफपसंद लोगों का मसला है। स्त्रियों, खासकर ग़रीब स्त्रियों को पूरे समाज में जुल्मों का शिकार बनाया जा रहा है। स्त्रियों के साथ छेड़छाड़, अपहरण, बलात्कार, तेजाब फेंकने, मारपीट, आदि की घिनौनी घटनाएँ बढ़ती ही जा रही हैं। दिनदिहाड़े लड़कियों को अगवा किया जा रहा है, बलात्कार का शिकार बनाया जा रहा है। स्त्रियों ही नहीं बल्कि सभी ग़रीबों पर अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। यह सरकारी तंत्र इतना जनविरोधी हो चुका है कि इससे किसी सुरक्षा की उम्मीद बाकी नहीं रह गई है। इससे जिस हद तक भी हमें कुछ प्राप्त हो सकता है वह भी व्यापक एकजुट संघर्ष के जरिए ही हो सकता है। जनता को अपनी रक्षा खुद करनी होगी। ढण्डारी बलात्कार व कत्ल काण्ड का हमारे लिए यह एक अहम सबक है। गुण्डा गिरोहों का सामना करने के लिए मोहल्लों, बस्तियों, गाँवों में जुझारू दस्ते-कमेटियाँ बनाने होंगे। पूँजीपतियों, गुण्डा गरोहों, पुलिस प्रशासन, चुनावी नेताओं और सरकार की लूट, दमन, अन्याय के खिलाफ जुझारू संगठन खड़े करने होंगे।

यह दर्दनाक घटनाक्रम समाज में स्त्रियों और गरीबों की स्थिति को उघाड़ कर पेश करता है। पूँजीवादी नेताओं और पुलिस-प्रशासन की सरपरस्ती के नीचे पलने वाले गुण्डा गिरोह कितना बेखौफ़ होकर स्त्रियों और गरीबों को निशाना बना रहे हैं यह घटनाक्रम इसका एक बड़ उदाहरण है। यह पूँजीवादी व्यवस्था, इसकी पुलिस-प्रशासन, इसके सेवक नेता, सरकार हमें न्याय देंगे यह उम्मीद पालने की कोई तुक नहीं बनती। मज़दूर-मेहनतकश जनता को इंसाफ़ अपनी एकजुट ताकत पर भरोसा रखकर ही मिल सकता है।

 

 

मज़दूर बिगुल, दिसम्‍बर 2014


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments