गोरखपुर में अड़ियल मालिकों के ख़िलाफ मज़दूरों का संघर्ष जारी

बिगुल संवाददाता

गोरखपुर के बरगदवा औद्योगिक क्षेत्र के मज़दूरों के लगातार जारी संघर्ष के बारे में बिगुल में हम लिखते रहे हैं। पिछले दिनों मज़दूरों ने मालिकों और प्रशासन के दमन के विरुद्ध अपने एकजुट संषर्घ से पूर्वी उत्तर प्रदेश के मज़दूरों के सामने एक मिसाल पेश की और प्रशासन को झुकने पर मजबूर कर दिया। प्रशासन ने माडर्न लेमिनेटर्स और पैकेजिंग के मालिक पवन बथवाल को मज़दूरों की माँगों पर समझौता करने का निर्देश दिया लेकिन उसके घनघोर मज़दूर विरोधी रवैये से क्षुब्ध मज़दूरों ने उसके कारखाने से सामूहिक इस्तीफा देने का फैसला कर लिया।

25 अक्टूबर को मजदूरों ने संयुक्त रूप से अपना इस्तीफा डी.एल.सी. को सौंप दिया। मालिकान ने इसे लेने से इंकार कर दिया मगर ज्यादातर मज़दूर दूसरी जगहों पर काम करने चले गये। 8-10 दिन फैक्टी बन्द रही उसके बाद कुछ मज़दूरों को बटोरकर आधी-अधूरी क्षमता से फैक्ट्री चल रही है। मज़दूरों से एक ऐसे पत्र पर दस्तखत करा कर काम पर रखा गया है जिसमें लिखा था कि हमें यूनियन से कोई लेना-देना नही है। हम कभी यूनियन में शामिल नहीं होंगे। हम अपनी मर्जी से 12 घण्टा काम कर रहे हैं, हमें न्यूनतम मजदूरी मिलती है आदि।

हड़ताल के बाद से ठेका मज़दूरों तथा लूम आपरेटरों की मजदूरियाँ कुछ बढ़ गयी हैं लेकिन न्यूनतम मजदूरी सहित किसी भी श्रम कानून का पालन नहीं हो रहा है। इस आन्दोलन ने मज़दूरों की ऑंखें खोल दी ही हैं। उन्हें समझ आ गया है कि श्रम विभाग हो, जिला प्रशासन या जनप्रतिनिधि। मज़दूर के साथ कोई नहीं खड़ा होगा। उनकी एकता और संगठन ही उनके साथ आयेगा।

वी.एन. डायर्स कपड़ा मिल में फिर हड़ताल की तैयारी शुरू

जून में हुए आन्दोलन के बाद वी.एन. डायर्स कपड़ा मिल के मज़दूरो के साथ हुए समझौते को लागू करने को बाध्‍य हुआ मिलमालिक लगातार बौखलाहट में मज़दूरों के ख़िलाफ कार्रवाई कर रहा है। मजदूरों के साथ मार-पीट व गाली-गलौज के विरुद्ध हड़ताल की अगुवाई करने वाले तीन अगुआ मजदूरों बाबूराम चौधरी, जयहिन्द गुप्ता और अनिल श्रीवास्तव को उसने निलम्बित कर दिया। उसके बाद फिर मजदूरों के साथ मार-पीट के बाद दूसरी बार हड़ताल हो गयी। उसके बाद फिर तीन और मज़दूरों रामजी, अखिलेश तिवारी और विनोद मण्डल को निलम्बित कर दिया। अब दो महीने की घरेलू जांच की नौटंकी के बाद 20 नवम्बर को बाबूराम चौधरी, जयहिन्द गुप्ता और अनिल श्रीवास्तव को निष्कासित कर दिया गया है। मज़दूर पहले से ही इस साज़िश को जानते थे। उन्होंने अगली हड़ताल के लिए कमर कस ली है और तैयारी में जुट गये हैं।

12 घण्टे काम कराने की कोशिश नाकाम

अंकुर उद्योग लि, वी एन डायर्स धागा व कपड़ा मिल तथा जालानजी पालिटेक्स के मज़दूरों ने लड़कर काम के घण्टे आठ कराये थे लेकिन मालिकान फिर से 12 घण्टे काम कराने की जी-तोड कोशिश में लगे हैं। लगातार मौखिक दबाव बनाने के बाद अन्त में अंकुर के मालिकान ने एक नोटिस लगा दिया कि अब कम्पनी में 12 घण्टा काम होगा। इसके बाद मजदूरों ने टोलियाँ बनाकर रातभर कमरे-कमरे घूमकर प्रचार किया और तैयारी कर लिया कि काम आठ घण्टा ही करेंगे। इसके बाद अगले दिन सुबह वाली शिफ्ट 2 बजे के 10 मिनट पहले ही मशीनें बन्द कर बाहर आ गयी। बाहर खडी दूसरी शिफ्ट ने ताली बजाकर उसका स्वागत किया। दूसरी शिफ्ट को मालिक ने अन्दर नही लिया। फिर गेट पर ही एक मैराथन मीटिंग शाम तक हुई। मजदूरों ने यह तय किया कि रात 10 बजे नहीं आयेंगे। दो बजे ही आयेगे। अपने अधिकारों के प्रति वे जाग गये हैं इसका एहसास मालिक को करा दिया। अगले दिन दूसरी शिफ्ट नही चली। तीसरे दिन फिर काम के घण्टे आठ रहने की नोटिस लग गयी।

बिगुल, दिसम्‍बर 2009


 

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